aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

अनीस अहमद अनीस

1940

अनीस अहमद अनीस के शेर

अब ग़म का कोई ग़म ख़ुशी की ख़ुशी मुझे

आख़िर को रास ही गई ज़िंदगी मुझे

गवारा ही थी जिन को जुदाई मेरी दम-भर की

उन्हीं से आज मेरी शक्ल पहचानी नहीं जाती

कभी इक बार हौले से पुकारा था मुझे तुम ने

किसी की मुझ से अब आवाज़ पहचानी नहीं जाती

तवाफ़-ए-माह करना और ख़ला में साँस लेना क्या

भरोसा जब नहीं इंसान को इंसान के दिल पर

हमीं ने चुन लिए फूलों के बदले ख़ार दामन में

फ़क़त गुलचीं के सर इल्ज़ाम ठहराया नहीं जाता

यारब मिरे गुनाह क्या और एहतिसाब क्या

कुछ दी नहीं है ख़िज़्र सी उम्र-ए-रवाँ मुझे

उधर वो अहद-ओ-पैमान-ए-वफ़ा की बात करते हैं

इधर मश्क़-ए-सितम भी तर्क फ़रमाया नहीं जाता

मैं वो रिंद-ए-नौ नहीं हूँ जो ज़रा सी पी के बहकूँ

अभी और और साक़ी कि मैं फिर सँभल रहा हूँ

वो अपने दामन-ए-पारा पे भी निगाह करे

जहाँ में मुझ पे उठा कर जो उँगलियाँ गुज़रे

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए