Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Balwan Singh Azar's Photo'

बलवान सिंह आज़र

1986 | दिल्ली, भारत

बलवान सिंह आज़र के शेर

546
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

हार जाएगी यक़ीनन तीरगी

गर मुसलसल रौशनी ज़िंदा रही

पूछना चाँद का पता 'आज़र'

जब अकेले में रात मिल जाए

ख़त्म होता ही नहीं मेरा सफ़र

कोई थक-हार गया है मुझ में

कोई मंज़िल कभी नहीं आई

रास्ते में था रास्ते में हूँ

चलूँगा कब तलक तन्हा सफ़र में

मुझे मिलता नहीं है कारवाँ क्यूँ

तू भले मेरा ए'तिबार कर

ज़िंदगी मैं तिरे कहे में हूँ

पावँ से काँटा निकल जाए अगर

अपनी रफ़्तार बढ़ा लूँ मैं भी

मार देती है ज़िंदगी ठोकर

ज़ेहन जब उल्टे पाँव चलता है

हवा के दोश पर लगता है उड़ने

जो पत्ता टूट जाता है शजर से

ऐसी होने लगी थकन उस को

दिन के ढलते ही सो गया रस्ता

खुला मकान है हर एक ज़िंदगी 'आज़र'

हवा के साथ दरीचों से ख़्वाब आते हैं

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए