Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

1861 - 1927

प्रतिष्ठित साहित्यिकार, शायर, दकन और दिल्ली के इतिहास पर अपनी यादगार किताबों के लिए प्रसिद्ध

प्रतिष्ठित साहित्यिकार, शायर, दकन और दिल्ली के इतिहास पर अपनी यादगार किताबों के लिए प्रसिद्ध

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी के शेर

568
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

चराग़ उस ने बुझा भी दिया जला भी दिया

ये मेरी क़ब्र पे मंज़र नया दिखा भी दिया

बंधन सा इक बँधा था रग-ओ-पय से जिस्म में

मरने के ब'अद हाथ से मोती बिखर गए

ज़ोर से साँस जो लेता हूँ तो अक्सर शब-ए-ग़म

दिल की आवाज़ अजब दर्द भरी आती है

कभी दर पर कभी है रस्ते में

नहीं थकती है इंतिज़ार से आँख

वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी

है चित भी उन की है पट भी उन की है जीत उन की है मात मेरी

ये उन का खेल तो देखो कि एक काग़ज़ पर

लिखा भी नाम मिरा और फिर मिटा भी दिया

अहद के साथ ये भी हो इरशाद

किस तरह और कब मिलेंगे आप

शाम भी है सुब्ह भी है और दिन भी रात भी

माह-ए-ताबाँ अब भी है महर-ए-दरख़्शाँ अब भी है

रिहाई जीते जी मुमकिन नहीं है

क़फ़स है आहनी दर-बंद पर बंद

ये छेड़ क्या है ये क्या मुझ से दिल-लगी है कोई

जगाया नींद से जागा तो फिर सुला भी दिया

कहते हैं अर्ज़-ए-वस्ल पर वो कहो

दूसरी बात दूसरा मतलब

मिरा दिल भी तिलिस्मी है ख़ज़ाना

कि इस में ख़ैर भी है और शर बंद

Recitation

बोलिए