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ग़ज़ल 16
शेर 19
शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए
इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ
लो साथ छोड़ने लगा आख़िर ये साल भी
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