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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हसन अकबर कमाल

1946 - 2017 | पाकिस्तान

हसन अकबर कमाल

ग़ज़ल 17

नज़्म 6

अशआर 11

कल यही बच्चे समुंदर को मुक़ाबिल पाएँगे

आज तैराते हैं जो काग़ज़ की नन्ही कश्तियाँ

वफ़ा परछाईं की अंधी परस्तिश

मोहब्बत नाम है महरूमियों का

पाया जब से ज़ख़्म किसी को खोने का

सीखा फ़न हम ने बे-आँसू रोने का

टूटे और कुछ दिन तुझ से रिश्ता इस तरह मेरा

मुझे बर्बाद कर दे तू मगर आहिस्ता आहिस्ता

दिए बुझाती रही दिल बुझा सके तो बुझाए

हवा के सामने ये इम्तिहान रखना है

पुस्तकें 1

 

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