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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हसन रिज़वी

1946 - 2002

हसन रिज़वी

ग़ज़ल 26

नज़्म 1

 

अशआर 5

अब उस से बढ़ के भला मो'तबर कहें किस को

ज़माना उस का है माज़ी-ओ-हाल उस के हैं

कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना

हमें भी है याद आज तक वो नज़र से हर्फ़-ए-सलाम लिखना

था जो एक लम्हा विसाल का वो रियाज़ था कई साल का

वही एक पल में गुज़र गया जिसे उम्र गुज़री पुकारते

वो इक़रार करता है वो इंकार करता है

हमें फिर भी गुमाँ है वो हमीं से प्यार करता है

ये उस के प्यार की बातें फ़क़त क़िस्से पुराने हैं

भला कच्चे घड़े पर कौन दरिया पार करता है

पुस्तकें 7

 

वीडियो 4

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hawa-e-dard chali aur uski yaad aai

अमजद परवेज़

कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना

नूर जहाँ

कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना

ग़ुलाम अली

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