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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Hasan Rizvi's Photo'

हसन रिज़वी

1946 - 2002

हसन रिज़वी के शेर

वो इक़रार करता है वो इंकार करता है

हमें फिर भी गुमाँ है वो हमीं से प्यार करता है

ये उस के प्यार की बातें फ़क़त क़िस्से पुराने हैं

भला कच्चे घड़े पर कौन दरिया पार करता है

कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना

हमें भी है याद आज तक वो नज़र से हर्फ़-ए-सलाम लिखना

था जो एक लम्हा विसाल का वो रियाज़ था कई साल का

वही एक पल में गुज़र गया जिसे उम्र गुज़री पुकारते

अब उस से बढ़ के भला मो'तबर कहें किस को

ज़माना उस का है माज़ी-ओ-हाल उस के हैं

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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