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Inam Nadeem's Photo'

पाकिस्तान के सबसे विख्यात समकालीन शायरों में शामिल।

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इनाम नदीम के शेर

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एक लम्हा लौट कर आया नहीं

ये बरस भी राएगाँ रुख़्सत हुआ

जिए गरचे इसी दुनिया में हम भी

मगर दुनिया हमारी और ही थी

कभी लौट आया मैं दश्त से तो ये शहर भी

उसी गर्द में था अटा हुआ मिरे सामने

वो दिल जिस ने हमें रुस्वा किया था

हम आज उस दिल को रुस्वा कर चुके हैं

ज़माना है बुरे हम-साए जैसा

सो हम-साए से झगड़ा कर चुके हैं

जो तेरी आरज़ू मुझ को होती

तो कोई दूसरा आज़ार होता

नींद से जागा हूँ तो बैठा सोचता हूँ

ख़्वाब में उस को पाया था या साया था

बुझ जाएगा इक रोज़ तिरी याद का शोला

लेकिन मिरे सीने में धुआँ यूँ ही रहेगा

हम ठहरे रहेंगे किसी ताबीर को थामे

आँखों में कोई ख़्वाब रवाँ यूँ ही रहेगा

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

ये शहर बुलंदी से दरिया नज़र आता है

दरिया को किनारे से क्या देखते रहते हो

अंदर से कभी देखो कैसा नज़र आता है

ये मोहब्बत भी एक नेकी है

इस को दरिया में डाल आते हैं

कुछ रोज़ अभी और है ये आइना-ख़ाना

कुछ रोज़ अभी और मैं हैरत में रहूँगा

जिस रोज़ तिरे हिज्र से फ़ुर्सत में रहूँगा

मालूम नहीं कौन सी वहशत में रहूँगा

ख़ामोश खड़ा हूँ मैं दर-ए-ख़्वाब से बाहर

क्या जानिए कब तक इसी हालत में रहूँगा

पुकारते थे मुझे आसमाँ मगर मैं ने

क़याम करने को ये ख़ाक-दाँ पसंद किया

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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