Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Madan Mohan Danish's Photo'

मदन मोहन दानिश

1961 | ग्वालियर, भारत

मदन मोहन दानिश का परिचय

जन्म : 01 Mar 1961 | बलिया, उत्तर प्रदेश

ये हासिल है मिरी ख़ामोशियों का

कि पत्थर आज़माने लग गए हैं

मदन मोहन दानिश का जन्म 08 सितंबर 1961 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। आरंभिक शिक्षा अपने गांव में ही प्राप्त की। मदन मोहन दानिश का जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा। उनके जीवन के कई वर्ष भोपाल में गुज़रे फिर रोज़गार की तलाश उन्हें ग्वालियर तक ले आई।उनकी उच्च शिक्षा भी इन्हीं दो शहरों में हुई। ग्वालियर में वह आकाशवाणी में कई पदों पर आसीन रहे।आज वह पूरे मुल्क में अपनी शायरी की वजह से मशहूर हैं।

सरल व आसान शैली के मालिक मदन मोहन दानिश अपनी काव्य प्रतिभा के आधार पर देश में व देश के बाहर एक अहम पहचान रखते हैं। ज़िंदगी और उसकी तल्ख़ सच्चाइयों से आंख मिलाती हुई उनकी शायरी समकालीन परिदृश्य में दूर से ही पहचानी जाती है। वह ज़िंदगी के साथ साथ दुनिया और व्यक्ति की सामूहिक और व्यक्तिगत संवेदनाओं को आईना दिखाते हुए नज़र आते हैं और इस तरह कि शे'र का हुस्न अपनी जगह स्थापित रहता है। मदन मोहन दानिश अपनी ताज़ा कारी और नयेपन के सबब पाठक को चौंकाते भी हैं, जैसे मद्धिम सुरों की एक लहर है जो पाठक को अपनी धारा में बहाए लिए जाती है। मौत, इश्क़, ज़िंदगी, रात वग़ैरह उनकी प्रिय शब्दावलियां हैं जिन्हें मिस्रों की लड़ी में पिरोते हैं और शे'र बनाते हैं। उनकी काव्य शैली बहुत अछूती है,यही कारण है कि वह अपने पाठक से शे'रों की भाषा में बात करते हैं। छोटी बहरों में भी मदन मोहन दानिश अपना कमाल दिखाते हैं और इस तरह कि वह अश्आर हमारी स्मृति में अंकित हो जाते हैं। आज उनकी लोकप्रियता की स्थिति यह है कि उनका काव्य संग्रह हाथों-हाथ लिया जाता है और वह मुशायरों की कामयाबी की ज़मानत समझे जाते हैं। उनकी शायरी सरहदों को तोड़ते हुए दुबई, क़तर, शारजाह, पाकिस्तान और अमेरिका, कनाडा वग़ैरह तक पहुंच चुकी है। अब तक उनकी दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। नवीनतम पुस्तक (आसमां फ़ुर्सत में है) के कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं और पाठकों ने इस किताब को हाथों-हाथ लिया है। इसके अलावा उन्हें कई अहम साहित्यिक पुरस्कारों से भी नवाज़ा जा चुका है जिनमें मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी का पुरस्कार भी शामिल है।
इस समय वह ग्वालियर में रहते हैं और आल इंडिया रेडियो ग्वालियर से सेवा निवृत्त हुए हैं।

संबंधित टैग

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए