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रउफ़ रज़ा

1956 - 2016 | दिल्ली, भारत

प्रमुख उत्तर-आधुनिक शायर

प्रमुख उत्तर-आधुनिक शायर

रउफ़ रज़ा के ऑडियो

ग़ज़ल

उस का ख़याल आते ही मंज़र बदल गया

रउफ़ रज़ा

कोई ज़ख़्म खुला तो सहने लगे कोई टीस उठी लहराने लगे

रउफ़ रज़ा

जितना पाता हूँ गँवा देता हूँ

रउफ़ रज़ा

जो भी कुछ अच्छा बुरा होना है जल्दी हो जाए

रउफ़ रज़ा

तुम भी इस सूखते तालाब का चेहरा देखो

रउफ़ रज़ा

नाश्ते पर जिसे आज़ाद किया है मैं ने

रउफ़ रज़ा

बहुत ख़ूबियाँ हैं हवस-कार दिल में

रउफ़ रज़ा

ये मिरी रूह सियह रात में निकली है कहाँ

रउफ़ रज़ा

रौशनी होने लगी है मुझ में

रउफ़ रज़ा

वो तो नहीं मिला है साँसों जिए तो क्या है

रउफ़ रज़ा

सब होत न होत से नथरी हुई आसान ग़ज़ल हूँ छा के सुनो

रउफ़ रज़ा

हर मौसम में ख़ाली-पन की मजबूरी हो जाओगे

रउफ़ रज़ा

Recitation

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