रियाज़ ख़ैराबादी के शेर
ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते
क्यूँ बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो
मुट्ठी में उन की दे दे कोई दिल निकाल के
-
टैग : मेंहदी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उठवाओ मेज़ से मय-ओ-साग़र 'रियाज़' जल्द
आते हैं इक बुज़ुर्ग पुराने ख़याल के
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारी आँखों में आओ तो हम दिखाएँ तुम्हें
अदा तुम्हारी जो तुम भी कहो कि हाँ कुछ है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बच जाए जवानी में जो दुनिया की हवा से
होता है फ़रिश्ता कोई इंसाँ नहीं होता
-
टैग : जवानी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये सुन के आज हश्र में वो बात भी तो हो
हँस कर कहा कि दिन है कहीं रात भी तो हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये क़ैस-ओ-कोहकन के से फ़साने बन गए कितने
किसी ने टुकड़े कर के सब हमारी दास्ताँ रख दी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
धोके से पिला दी थी उसे भी कोई दो घूँट
पहले से बहुत नर्म है वाइज़ की ज़बाँ अब
-
टैग : वाइज़
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बे-अब्र रिंद पीते नहीं वाइ'ज़ो शराब
करते हैं ये गुनाह भी रहमत के ज़ोर पर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
किसी का हंस के कहना मौत क्यूँ आने लगी तुम को
ये जितने चाहने वाले हैं सब बे-मौत मरते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कुछ भी हो 'रियाज़' आँख में आँसू नहीं आते
मुझ को तो किसी बात का अब ग़म नहीं होता
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हम को 'रियाज़' जानते हैं मानते हैं सब
हिन्दोस्तान में धूम हमारी ज़बाँ की है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मिरे घर मिस्ल तबर्रुक के ये सामाँ निकला
आस्तीं क़ैस की फ़रहाद का दामाँ निकला
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मय-ख़ाने में क्यूँ याद-ए-ख़ुदा होती है अक्सर
मस्जिद में तो ज़िक्र-ए-मय-ओ-मीना नहीं होता
अज़ाँ का काम चल जाए जो नाक़ूस-ए-बरहमन से
बड़ा ये बोझ उतरे ऐ मोअज़्ज़िन तेरी गर्दन से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क्या शराब-ए-नाब ने पस्ती से पाया है उरूज
सर चढ़ी है हल्क़ से नीचे उतर जाने के ब'अद
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
देखिएगा सँभल कर आईना
सामना आज है मुक़ाबिल का
-
टैग : आईना
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पाऊँ तो इन हसीनों का मुँह चूम लूँ 'रियाज़'
आज इन की गालियों ने बड़ा ही मज़ा दिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मय-ख़ाने में मज़ार हमारा अगर बना
दुनिया यही कहेगी कि जन्नत में घर बना
-
टैग : मय-कदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सय्याद तेरा घर मुझे जन्नत सही मगर
जन्नत से भी सिवा मुझे राहत चमन में थी
-
टैग : सय्याद
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वो बोले वस्ल की हाँ है तो प्यारी प्यारी रात
कहाँ से आई ये अल्लाह की सँवारी रात
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
आप ने याद दिलाया तो मुझे याद आया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इस वास्ते कि आव-भगत मय-कदे में हो
पूछा जो घर किसी ने तो का'बा बता दिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इस से अच्छे दश्त-ए-सहरा इस से अच्छे गर्द-बाद
आलम-ए-वहशत में मेरा घर कोई घर रह गया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अल्लाह-रे नाज़ुकी कि जवाब-ए-सलाम में
हाथ उस का उठ के रह गया मेहंदी के बोझ से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
है भी कुछ या नहीं मैं हाथ लगा कर देखूँ
हाथ उठाए तो ज़रा अपनी कमर से कोई
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
'रियाज़' एहसास-ए-ख़ुद्दारी पे कितनी चोट लगती है
किसी के पास जब जाता है कोई मुद्दआ' ले कर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
लुट गई शब को दो शय जिस को छुपाते थे बहुत
इन हसीनों से कोई पूछे कि क्या जाता रहा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उठता है एक पाँव तो थमता है एक पाँव
नक़्श-ए-क़दम की तरह कहाँ घर बनाएँ हम
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शैख़-जी गिर गए थे हौज़ में मयख़ाने के
डूब कर चश्मा-ए-कौसर के किनारे निकले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हम बंद किए आँख तसव्वुर में पड़े हैं
ऐसे में कोई छम से जो आ जाए तो क्या हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आलम-ए-हू में कुछ आवाज़ सी आ जाती है
चुपके चुपके कोई कहता है फ़साना दिल का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
घर में पहुँचा था कि आई नज्द से आवाज़-ए-क़ैस
पाँव मेरा एक अंदर एक बाहर रह गया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शेर-ए-तर मेरे छलकते हुए साग़र हैं 'रियाज़'
फिर भी सब पूछते हैं आप ने मय पी कि नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आफ़त हमारी जान को है बे-क़रार दिल
ये हाल है कि सीने में जैसे हज़ार दिल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हिन्दोस्ताँ में धूम है किस की ज़बान की
वो कौन है 'रियाज़' को जो जानता नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आबाद करें बादा-कश अल्लाह का घर आज
दिन जुमअ' का है बंद है मय-ख़ाने का दर आज
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वो पूछते हैं शौक़ तुझे है विसाल का
मुँह चूम लूँ जवाब ये है इस सवाल का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रहमत से 'रियाज़' उस की थे साथ फ़रिश्ते दो
इक हूर जो बढ़ जाती तो और मज़ा होता
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जाने वाले न हम उस कूचे में आने वाले
अच्छे आए हमें दीवाना बनाने वाले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मर गए फिर भी तअल्लुक़ है ये मय-ख़ाने से
मेरे हिस्से की छलक जाती है पैमाने से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मेरे आग़ोश में यूँही कभी आ जा तू भी
जिस अदा से तिरी आँखों में हया आई है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
किस किस तरह बुलाए गए मय-कदे में आज
पहुँचे बना के शक्ल जो हम रोज़ा-दार की
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नासेह के सर पर एक लगाई तड़ाक़ से
फिर हाथ मल रहे हैं कि अच्छी पड़ी नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उन्हीं में से कोई आए तो मयख़ाने में आ जाए
मिलूँ ख़ुद जा के मैं अहल-ए-हरम से हो नहीं सकता
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बाग़बाँ काम हमें क्या है वो उजड़े कि रहे
जब हमीं बाग़ से निकले तो नशेमन कैसा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आगे कुछ बढ़ कर मिलेगी मस्जिद-ए-जामे 'रियाज़'
इक ज़रा मुड़ जाइएगा मय-कदे के दर से आप
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ऐसी ही इंतिज़ार में लज़्ज़त अगर न हो
तो दो घड़ी फ़िराक़ में अपनी बसर न हो
-
टैग : इंतिज़ार
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पी के ऐ वाइज़ नदामत है मुझे
पानी पानी हूँ तिरी तक़रीर से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड