Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

सहर अंसारी के शेर

3.4K
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

दिलों का हाल तो ये है कि रब्त है गुरेज़

मोहब्बतें तो गईं थी अदावतें भी गईं

मौत के बाद ज़ीस्त की बहस में मुब्तला थे लोग

हम तो 'सहर' गुज़र गए तोहमत-ए-ज़िंदगी उठाए

जाने क्यूँ रंग-ए-बग़ावत नहीं छुपने पाता

हम तो ख़ामोश भी हैं सर भी झुकाए हुए हैं

सदा अपनी रविश अहल-ए-ज़माना याद रखते हैं

हक़ीक़त भूल जाते हैं फ़साना याद रखते हैं

अजीब होते हैं आदाब-ए-रुख़स्त-ए-महफ़िल

कि वो भी उठ के गया जिस का घर था कोई

कैसी कैसी महफ़िलें सूनी हुईं

फिर भी दुनिया किस क़दर आबाद है

अब वो शिद्दत-ए-आवारगी वहशत-ए-दिल

हमारे नाम की कुछ और शोहरतें भी गईं

मिरे लहू को मिरी ख़ाक-ए-नागुज़ीर को देख

यूँही सलीक़ा-ए-अर्ज़-ए-हुनर नहीं आया

शायद कि वो वाक़िफ़ नहीं आदाब-ए-सफ़र से

पानी में जो क़दमों के निशाँ ढूँड रहा था

महफ़िल-आराई हमारी नहीं इफ़रात का नाम

कोई हो या कि हो आप तो आए हुए हैं

ये मरना जीना भी शायद मजबूरी की दो लहरें हैं

कुछ सोच के मरना चाहा था कुछ सोच के जीना चाहा है

तिरी आरज़ू से भी क्यूँ नहीं ग़म-ए-ज़िंदगी में कोई कमी

ये सवाल वो है कि जिस का अब कोई इक जवाब नहीं रहा

तंग आते भी नहीं कशमकश-ए-दहर से लोग

क्या तमाशा है कि मरते भी नहीं ज़हर से लोग

हम को जन्नत की फ़ज़ा से भी ज़ियादा है अज़ीज़

यही बे-रंग सी दुनिया यही बे-मेहर से लोग

शिकवा-ए-तलख़ी-ए-हालात बजा है लेकिन

इस पे रोता हूँ कि मैं ने भी रुलाया है तुझे

जिसे गुज़ार गए हम बड़े हुनर के साथ

वो ज़िंदगी थी हमारी हुनर था कोई

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए