Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Tarkash Pradeep's Photo'

तरकश प्रदीप

1984 | दिल्ली, भारत

तरकश प्रदीप के शेर

930
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

हम तो कहते हैं मोहब्बत में मज़ा है ही नहीं

आप कहते हैं तो फिर मान लिया जाता है

और भटकेंगे तो कुछ और नया देखेंगे

हम तो आवारा परिंदे हैं हमारा क्या है

पागल वहशी तन्हा तन्हा उजड़ा उजड़ा दिखता हूँ

कितने आईने बदले हैं मैं वैसे का वैसा हूँ

बनाता हूँ मैं तसव्वुर में उस का चेहरा मगर

हर एक बार नई काएनात बनती है

आज फिर ख़ुद से ख़फ़ा हूँ तो यही करता हूँ

आज फिर ख़ुद से कोई बात नहीं करता मैं

मेरा पिंजरा खोल दिया है तुम भी अजीब शिकारी हो

अपने ही पर काट लिए हैं मैं भी अजीब परिंदा हूँ

अब तो मैं और भी बुरा हूँ कि

अब ज़ियादा सुधर गया हूँ मैं

तुझे गले से लगा के भी देखा जाएगा

अभी तो मुझ को तिरा इंतिज़ार करना है

यूँ अपने आप को बर्बाद करता है कोई

मेरे दिल तू समझदार है नहीं है क्या

तुम ने तो आप ही पिंजरे को खुला छोड़ दिया

कोई ऐसे भी परिंदों को रिहा करता है

हुस्न होता है किसी शय का कोई अपना ही

और फिर देखने वाले की नज़र होती है

ख़ूब मुश्किल है पर आसान लिया जाता है

कितना हल्के में ये इंसान लिया जाता है

आप ने इस के फ़साने ही सुने होते हैं

और अचानक ये बला आप के सर होती है

मुझ से कहते नहीं बनता कि सितम कम कीजे

फिर ऐसा हो किसी रोज़ मिरा ग़म कीजे

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए