1922 - 2010 | सरगोधा, पाकिस्तान
पाकिस्तान के प्रमुखतम आलोचकों में विख्यात
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वो ख़ुश-कलाम है ऐसा कि उस के पास हमें
तवील रहना भी लगता है मुख़्तसर रहना
अजब तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी हम ने
जहाँ में रह के न कार-ए-जहाँ को पहचाना
खुली किताब थी फूलों-भरी ज़मीं मेरी
किताब मेरी थी रंग-ए-किताब उस का था
आधी सदी के बाद
Taweel Nazm
1981
Aaina
Abdur Rahman Chughtai : Shakhsiyat Aur Fan
1980
अब्दुर्रहमान चुग़ताई
शख़्सियत और फ़न
Auraq,Lahore
Salnama: Volume-003
1968
Chahak Uthi Lafzon Ki Chhagal
1991
Chori Se Yari Tak
1982
दस्तक उस दरवाज़े पर
1993
दूसरा किनारा
इनशाइए
डॉ वज़ीर आग़ा अह्द साज़ शख़्सियत
1995
चलो अपनी भी जानिब अब चलें हम ये रस्ता देर से सूना पड़ा है
आहिस्ता बात कर कि हवा तेज़ है बहुत ऐसा न हो कि सारा नगर बोलने लगे
अब तो आराम करें सोचती आँखें मेरी रात का आख़िरी तारा भी है जाने वाला
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