Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

ज़फ़र अज्मी के शेर

610
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

ये अलग बात कि वो दिल से किसी और का था

बात तो उस ने हमारी भी ब-ज़ाहिर रक्खी

बजा है ज़िंदगी से हम बहुत रहे नाराज़

मगर बताओ ख़फ़ा तुम से भी कभू हुए हैं

किसी के रास्ते की ख़ाक में पड़े हैं 'ज़फ़र'

मता-ए-उम्र यही आजिज़ी निकलती है

ना-ख़ुदा छोड़ गए बीच भँवर में तो 'ज़फ़र'

एक तिनके के सहारे ने कहा बिस्मिल्लाह

सब बड़े ज़ोम से आए थे नए सूरत-गर

सब के दामन से वही ख़्वाब पुराने निकले

इक ख़ौफ़-ए-दुश्मनी जो तआक़ुब में सब के है

इक हर्फ़-ए-लुत्फ़ जो कहीं ग़ाएब है शहर में

कास-ए-दर्द लिए कब से खड़े सोचते हैं

दस्त-ए-इम्कान से क्या चीज़ जाने निकले

ये अहद क्या है कि सब पर गिराँ गुज़रता है

ये क्या तिलिस्म है क्या इम्तिहाँ गुज़रता है

इक ऐसा वक़्त भी सैर-ए-चमन में देखा है

कली के सीने से जब बे-कली निकलती है

ख़याल-ए-ताज़ा से करते हैं ख़्वाब-ए-नौ तख़्लीक़

'ज़फ़र' ज़मीनें नई आसमाँ से खींचते हैं

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए