ज़ैन अली आसिफ़
ग़ज़ल 9
अशआर 5
जब याद में तड़पें तो मोहब्बत को बढ़ा दें
ख़ुद दर्द-ए-मोहब्बत की मसीहाई मोहब्बत
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
जो दश्त के ग़ुबार में गुमसुम रहे उन्हें
क़िस्सा समुंदरों का सुनाना फ़ुज़ूल है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तिरी यादों के सहरा में सनम क्या क्या नहीं होता
जहाँ हो तिश्नगी का ग़म वहाँ दरिया नहीं होता
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
रू-ब-रू होते ही जो सोज़-ए-निहाँ कर दे 'अयाँ
हर किसी आँख में कब इतना हुनर होता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हर शे'र मुझ को ख़ून-ए-जिगर के 'एवज़ मिला
ये फ़न किसी के दर से उधारा नहीं मिला
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए