Best short sayings in Urdu
Assorted quotes that
are the very definition of short, sharp, and simple. Pen them down on your personal diary or inscribe one on your coffee-mug, whatever you choose to do, they'll be etched in your memory for long!
उर्दू अदब के हक़ में दो चीज़ें सबसे ज़्यादा मोहलिक साबित हुईं। इन्सान दोस्ती और खद्दर का कुर्ता।
ताज महल उसी बावर्ची के ज़माने में तैयार हो सकता था जो एक चने से साठ खाने तैयार कर सकता था।
Duniya Mein Jitni Laantein Hain, Bhook Unki Maan Hai.
Duniya Mein Jitni Laantein Hain, Bhook Unki Maan Hai.
हर गुनहगार मुआशरा अपने गुनाहों का बोझ अपने उज़्व-ए-ज़ईफ़ पर डालता है। गुनहगार मुआशरा में अदीब की हैसियत उज़्व-ए-ज़ईफ़ की होती है।
उर्दू में अफ़साना अब भी अफ़साना कम है, मज़मून या मुरक़्क़ा या वाअ्ज़ ज़्यादा। अफ़्साना निगार अब भी अफ़सानों में ज़रूरत से ज़्यादा झाँकता है।
Har Haseen Cheez Insaan Ke Dil Mein Apni Waq'at Paida Kar Deti Hai. Khwaah Insaan Ghair-tarbiyat-yaafta Hi Kyun Na Ho?
Har Haseen Cheez Insaan Ke Dil Mein Apni Waq'at Paida Kar Deti Hai. Khwaah Insaan Ghair-tarbiyat-yaafta Hi Kyun Na Ho?
सोज़-ओ-गुदाज़ में जब पुख़्तगी आ जाती है तो ग़म, ग़म नहीं रहता बल्कि एक रुहानी संजीदगी में बदल जाता है।
आज का लिखने वाला ग़ालिब और मीर नहीं बन सकता। वो शायराना अज़्मत और मक़्बूलियत उसका मुक़द्दर नहीं है। इसलिए कि वह एक बहरे, गूँगे, अंधे मुआशरे में पैदा हुआ है।
अगर ये बात ठीक है कि मेहमान का दर्जा भगवान का है तो मैं बड़ी नम्रता से आपके सामने हाथ जोड़ कर कहूँगा कि मुझे भगवान से भी नफ़रत है।
फ़सादाद के मुतअ'ल्लिक़ जितना भी लिखा गया है उसमें अगर कोई चीज़ इंसानी दस्तावेज़ कहलाने की मुस्तहिक़ है तो मंटो के अफ़साने हैं।
Har Aurat Vaishya Nahi Hoti Lekin Har Vaishya Aurat Hoti Hai, Is Baat Ko Hamesha Yaad Rakhna Chaahiye.
Har Aurat Vaishya Nahi Hoti Lekin Har Vaishya Aurat Hoti Hai, Is Baat Ko Hamesha Yaad Rakhna Chaahiye.
शायद यह बहस कभी ख़त्म न होगी कि नक़्क़ाद की ज़रूरत है भी या नहीं। बहस ख़त्म हो या न हो, दुनिया में अदीब भी हैं और नक़्क़ाद भी।
Jo Darwaaze M'aashi Kashmakash Ne Eik Dafa Khol Diye Hon, Bahut Mushkil Se Band Kiye Ja Sakte Hain.
Jo Darwaaze M'aashi Kashmakash Ne Eik Dafa Khol Diye Hon, Bahut Mushkil Se Band Kiye Ja Sakte Hain.
अस्ल में हमारे यहाँ मौलवियों और अदीबों का ज़हनी इर्तिक़ा (बौद्धिक विकास) एक ही ख़ुतूत पर हुआ है।
रिश्तों की तलाश एक दर्द भरा अमल है। मगर हमारे ज़माने में शायद वो ज़्यादा ही पेचीदा और दर्द भरा हो गया है।
जम्हूरियत... सरमाया-दारी का वह ख़ुशनुमा हथियार है, जो मज़दूर को कभी सिर नहीं उभारने देता।
हर माक़ूल आदमी का बीवी से झगड़ा होता है क्योंकि मर्द औरत का रिश्ता ही झगड़े का है।
किसी क़ौम को अहमक़ बनाना हो तो उस क़ौम के बच्चों को आसान और सहज लफ़्ज़ों के बदले जबड़ा तोड़ लफ़्ज़ घुँटवा दीजिए। सब बच्चे अहमक़ हो जाएंगे।
Vaishya Paida Nahi Hoti, Banaai Jaati Hai, Ya Khud Banti Hai.
Vaishya Paida Nahi Hoti, Banaai Jaati Hai, Ya Khud Banti Hai.
रस्म-उल-ख़त की तब्दीली महज़ रस्म-उल-ख़त की तब्दीली नहीं होती, बल्कि वो अपने बातिन को भी बदलने का इक़दाम होती है।
अदब की समाजी अहमियत उस वक़्त तक समझ में नहीं आ सकती, जब तक हम अदीब को बा-शऊर न मानें।