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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Best short sayings in Urdu

Assorted quotes that

are the very definition of short, sharp, and simple. Pen them down on your personal diary or inscribe one on your coffee-mug, whatever you choose to do, they'll be etched in your memory for long!

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उर्दू अदब के हक़ में दो चीज़ें सबसे ज़्यादा मोहलिक साबित हुईं। इन्सान दोस्ती और खद्दर का कुर्ता।

Intizar Hussain

ताज महल उसी बावर्ची के ज़माने में तैयार हो सकता था जो एक चने से साठ खाने तैयार कर सकता था।

Intizar Hussain

Dil Aisi Shay Nahi Jo Baanti Ja Sake.

Dil Aisi Shay Nahi Jo Baanti Ja Sake.

Saadat Hasan Manto

Duniya Mein Jitni Laantein Hain, Bhook Unki Maan Hai.

Duniya Mein Jitni Laantein Hain, Bhook Unki Maan Hai.

Saadat Hasan Manto

हमारे इजतिमाई अलामती निज़ाम की बड़ी अमीन ग़ज़ल चली आती है।

Intizar Hussain

हर गुनहगार मुआशरा अपने गुनाहों का बोझ अपने उज़्व-ए-ज़ईफ़ पर डालता है। गुनहगार मुआशरा में अदीब की हैसियत उज़्व-ए-ज़ईफ़ की होती है।

Intizar Hussain

आर्ट बे-नफ़्सेही ज़िंदगी की जुस्तजू है।

Mohammad Hasan Askari

उर्दू में अफ़साना अब भी अफ़साना कम है, मज़मून या मुरक़्क़ा या वाअ्ज़ ज़्यादा। अफ़्साना निगार अब भी अफ़सानों में ज़रूरत से ज़्यादा झाँकता है।

Aale Ahmad Suroor

Har Haseen Cheez Insaan Ke Dil Mein Apni Waq'at Paida Kar Deti Hai. Khwaah Insaan Ghair-tarbiyat-yaafta Hi Kyun Na Ho?

Har Haseen Cheez Insaan Ke Dil Mein Apni Waq'at Paida Kar Deti Hai. Khwaah Insaan Ghair-tarbiyat-yaafta Hi Kyun Na Ho?

Saadat Hasan Manto

सोज़-ओ-गुदाज़ में जब पुख़्तगी जाती है तो ग़म, ग़म नहीं रहता बल्कि एक रुहानी संजीदगी में बदल जाता है।

Firaq Gorakhpuri

क़दीमी (प्राचीन) समाज में अफ़्साना होता था, अफ़्साना-निगार नहीं होते थे।

Intizar Hussain

दर-अस्ल शादी एक लफ़्ज़ नहीं पूरा फ़िक़्रा है।

Shafiqur Rahman

आज का लिखने वाला ग़ालिब और मीर नहीं बन सकता। वो शायराना अज़्मत और मक़्बूलियत उसका मुक़द्दर नहीं है। इसलिए कि वह एक बहरे, गूँगे, अंधे मुआशरे में पैदा हुआ है।

Intizar Hussain

तन्हाई का एहसास अगर बीमारी बन जाये तो उसी तरह आरज़ी है जैसे मौत का ख़ौफ़।

Syed Ehtisham Husain

मंटो को इंसान अपनी शक्ल ही में क़बूल है। ख़्वाह वो कैसी भी हो।

Mohammad Hasan Askari

जो आदमी ख़ुद किसी मुसीबत में हो, उसके मश्वरे पर अमल मत करो।

Fikr Taunsvi

अगर ये बात ठीक है कि मेहमान का दर्जा भगवान का है तो मैं बड़ी नम्रता से आपके सामने हाथ जोड़ कर कहूँगा कि ‎मुझे ‎‏भगवान से भी नफ़रत है।‏

Rajinder Singh Bedi

फ़सादाद के मुतअ'ल्लिक़ जितना भी लिखा गया है उसमें अगर कोई चीज़ इंसानी दस्तावेज़ कहलाने की मुस्तहिक़ है तो मंटो के अफ़साने हैं।

Mohammad Hasan Askari

आप दिमाग़ी तौर पर अलील हैं, तो जिस्मानी मज़बूती से आप शिफ़ा नहीं पा सकते।

Fikr Taunsvi

बे-क़सूर आदमी जब तक क़सूर ना करे, सरमाया-दाराना समाज में कोई फ़ायदा नहीं उठा सकता।

Fikr Taunsvi

Har Aurat Vaishya Nahi Hoti Lekin Har Vaishya Aurat Hoti Hai, Is Baat Ko Hamesha Yaad Rakhna Chaahiye.

Har Aurat Vaishya Nahi Hoti Lekin Har Vaishya Aurat Hoti Hai, Is Baat Ko Hamesha Yaad Rakhna Chaahiye.

Saadat Hasan Manto

तंज़ का पौधा मुआशरती हैजान और सियासी कश्मकश की हवाओं में पनपता है।

Syed Ehtisham Husain

रटे हुए लफ़्ज़ों से बड़ा अदब नहीं बना करता।

Firaq Gorakhpuri

आपके अंदर तअ'स्सुब उस वक़्त जी उठता है, जब आपका नस्ब-उल-ऐन मर जाता है।

Fikr Taunsvi

रूमानी शायरी और रूमानी अफ़साना जज़्बात के अग़्वा और क़त्ल की वारदात हैं।

Intizar Hussain

ज़बान जितनी तरक़्क़ी करती जाती है मज्मूई तौर पर वह सादा और परकार होती जाती है।

Aale Ahmad Suroor

अदब की बेहतरीन तारीफ़ तन्क़ीद-ए-हयात है। अदब को हमारी ज़िंदगी पर तबसेरा करना चाहिए।

Premchand

शायद यह बहस कभी ख़त्म होगी कि नक़्क़ाद की ज़रूरत है भी या नहीं। बहस ख़त्म हो या हो, दुनिया में अदीब भी हैं और नक़्क़ाद भी।

Syed Ehtisham Husain

आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अहंकार है।

Premchand

नेक जज़्बात से सिर्फ़ बुरा अदब पैदा हो सकता है।

Mohammad Hasan Askari

शायर ठीक मानों में ख़ालिक़ होता है।

Mohammad Hasan Askari

Jo Darwaaze M'aashi Kashmakash Ne Eik Dafa Khol Diye Hon, Bahut Mushkil Se Band Kiye Ja Sakte Hain.

Jo Darwaaze M'aashi Kashmakash Ne Eik Dafa Khol Diye Hon, Bahut Mushkil Se Band Kiye Ja Sakte Hain.

Saadat Hasan Manto

शायरी का आला-तरीन फ़र्ज़ इन्सान को बेहतर बनाना है।

Premchand

अस्ल में हमारे यहाँ मौलवियों और अदीबों का ज़हनी इर्तिक़ा (बौद्धिक विकास) एक ही ख़ुतूत पर हुआ है।

Intizar Hussain

रिश्तों की तलाश एक दर्द भरा अमल है। मगर हमारे ज़माने में शायद वो ज़्यादा ही पेचीदा और दर्द भरा हो गया है।

Intizar Hussain

अदब इंक़लाब नहीं लाता बल्कि इंक़लाब के लिए ज़हन को बेदार करता है।

Aale Ahmad Suroor

इंसान वो खाने के लिए मुज़्तरिब हो जाता है, जिसे खाने के लिए उसे मना कर दिया गया हो।

Fikr Taunsvi

ज़बान शुऊर का हाथ-पैर है।

Firaq Gorakhpuri

ग़ज़ल इबारत, इशारत और अदा का आर्ट है।

Aale Ahmad Suroor

जम्हूरियत... सरमाया-दारी का वह ख़ुशनुमा हथियार है, जो मज़दूर को कभी सिर नहीं उभारने देता।

Fikr Taunsvi

हर माक़ूल आदमी का बीवी से झगड़ा होता है क्योंकि मर्द औरत का रिश्ता ही झगड़े का है।‏

Rajinder Singh Bedi

किसी क़ौम को अहमक़ बनाना हो तो उस क़ौम के बच्चों को आसान और सहज लफ़्ज़ों के बदले जबड़ा तोड़ लफ़्ज़ घुँटवा दीजिए। सब बच्चे अहमक़ हो जाएंगे।

Firaq Gorakhpuri

इंसानी उ'म्र की सिर्फ़ तीन ही सूरतें हैं। जवानी, जवानी और जो आई।

Mohammad Yunus Butt

Vaishya Paida Nahi Hoti, Banaai Jaati Hai, Ya Khud Banti Hai.

Vaishya Paida Nahi Hoti, Banaai Jaati Hai, Ya Khud Banti Hai.

Saadat Hasan Manto

ग़ज़ल हमारी सारी शायरी नहीं है, मगर हमारी शायरी का इत्र ज़रूर है।

Aale Ahmad Suroor

रस्म-उल-ख़त की तब्दीली महज़ रस्म-उल-ख़त की तब्दीली नहीं होती, बल्कि वो अपने बातिन को भी बदलने का इक़दाम होती है।

Intizar Hussain

अदब की समाजी अहमियत उस वक़्त तक समझ में नहीं सकती, जब तक हम अदीब को बा-शऊर मानें।

Syed Ehtisham Husain

शायरी में वाक़िया जब तक तजरबा बने, उसकी अहमियत नहीं है।

Aale Ahmad Suroor

मैंने इतनी कहानियाँ सुनी हैं कि अपना आप भी कहानी लगता है‎‎।‎

Asif Farrukhi

इस्तिआरे से अलग ‘अस्ल ज़बान’ कोई चीज़ नहीं, क्योंकि ज़बान ख़ुद एक इस्तिआरा है।

Mohammad Hasan Askari

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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