aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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आह संभली
लेखक
ऐश देहलवी
1779 - 1874
शायर
अश्वनी मित्तल 'ऐश'
born.1992
हकीम आग़ा जान ऐश
औज लखनवी
1853 - 1917
सफ़दर आह सीतापुरी
1903 - 1980
ऐश बर्नी
born.1936
ऐश मेरठी
born.1916
मिर्ज़ा अली अकबर औज
born.2002
औज याक़ूबी
सेंट्रल लाइब्रेरी ऑफ़ इलाहबाद यूनिवर्सिटी, इलाहबाद
योगदानकर्ता
राज्य बहादुर सकसेना औज
राजेश कुमार औज
नवाब सैफ अली सय्याफ़
1895 - 1974
जम्मू एण्ड कशमीर एकेडेमी ऑफ़ आर्ट, कल्चर एण्ड लैंग्वेजेज़
पर्काशक
सुना है उस की सियह-चश्मगी क़यामत हैसो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनामवो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
सबसे प्रख्यात एवं प्रसिद्ध शायर. अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण कई साल कारावास में रहे।
रचनाकार की भावुकता एवं संवेदनशीलता या यूँ कह लीजिए कि उसकी चेतना और अपने आस-पास की दुनिया को देखने एवं एहसास करने की कल्पना-शक्ति से ही साहित्य में हँसी-ख़ुशी जैसे भावों की तरह उदासी का भी चित्रण संभव होता है । उर्दू क्लासिकी शायरी में ये उदासी परंपरागत एवं असफल प्रेम के कारण नज़र आती है । अस्ल में रचनाकार अपनी रचना में दुनिया की बे-ढंगी सूरतों को व्यवस्थित करना चाहता है,लेकिन उसको सफलता नहीं मिलती । असफलता का यही एहसास साहित्य और शायरी में उदासी को जन्म देता है । यहाँ उदासी के अलग-अलग भाव को शायरी के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जा रहा है ।
हिज्र मुहब्बत के सफ़र का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |
तारीख़-ए-अदब-ए-उर्दू
जमील जालिबी
इतिहास
Aag Ka Darya
क़ुर्रतुलऐन हैदर
उपन्यास
Angrezi Adab Ki Mukhtasar Tareekh
मोहम्मद यासीन
समीक्षा / शोध
Aag Ka Dariya
उर्दू अदब की मुख़्तसर तरीन तारीख़
सलीम अख़्तर
Akhbar-us-Sanadeed
नजमुल ग़नी ख़ान नजमी रामपुरी
भारत का इतिहास
Tareekh-e-Adab-e-Urdu
राम बाबू सकसेना
Urdu Ki Ibtidai Nash-o-Numa Mein Sufiya-e-Karam Ka Kam
मौलवी अब्दुल हक़
भाषा
उर्दू नॉवेल निगारी
सुहैल बुख़ारी
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
A History of Indian Literature
ए शिमल
Practice of Medicine
डॉ. दौलत सिंह
औषधि
Fort William College
वक़ार अज़ीम
साहित्यिक आंदोलन
Deewan-e-Ghalib Urdu
मिर्ज़ा ग़ालिब
दीवान
तिब्ब-ए-अकबर उर्दू
मोहम्म्द अकबर अरज़ानी
मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
मुझे वफ़ा से बैर हैये बात आज की नहीं
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़ममक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तककौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
आज तक नज़रों में है वो सोहबत-ए-राज़-ओ-नियाज़अपना जाना याद है तेरा बुलाना याद है
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहोकहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले
तेरा फ़िराक़ जान-ए-जाँ ऐश था क्या मिरे लिएया'नी तिरे फ़िराक़ में ख़ूब शराब पी गई
अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने कीजी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की
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