aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "تولید"
कहकशाँ तौहीद
लेखक
तौहीद ज़ेब
born.1997
शायर
तौहीद आलम नदवी
संपादक
तौहीद इस्लाम खां
पर्काशक
मौलवी मोहम्मद तौहीद
तौहीद रब्बानी
मोहम्मद ताैहीद अनवर
हुसैन नोशा तौहीद बलख़ी फिरदौसी
मतबा तौहीद, हैदराबाद
मज्लिस अहयाए-तौहीदो-सुन्नत, हैदराबाद
तौहीद प्रेस, मेरठ
ताैहीद पब्लिशर, लखनऊ
इदारा-ए-तौहीद, अलीगढ़
डॉ. तौहीद ख़ाँ
तौहीद रोड, कराची
रूपा की समझ में न आता था कि वो उससे क्या कहे, वो दिल में सोचती थी कि अब ऐसी कौन सी बात रह गई है जो दुनिया को मालूम नहीं। यही सोचते हुए उसने नत्थू से कहा, “नत्थू भय्या, मुझसे ज़्यादा तो दूसरों को मालूम है, मैं तो सिर्फ़...
दूसरे ही दिन से माहिर-ए-ग़ालिबयात ने, “आप ग़ालिब को ग़लत समझे हैं।” के उनवान से मेरी बाक़ायदा तालीम शुरू कर दी। सवेरे मैं बिस्तर ही पर होता कि वो ‘लज़्ज़त-ए-ख़्वाब-ए-सहर’ पर धावा बोलते आ पहुँचते और पहले ग़ालिब के कुछ इंतिहाई संगलाख़ अशआर पढ़ कर उनके मअनी मुझसे पूछते, गोया...
वैश्या अपनी तारीक तिजारत के बावजूद रौशन रूह की मालिक हो सकती है। वो अपने जिस्म की क़ीमत बड़ी बेदर्दी से वसूल करती है। मगर वो ग़रीबों की वसीअ पैमाने पर मदद भी कर सकती है। बड़े बड़े अमीर उसके दिल में अपनी मुहब्बत पैदा ना कर सके हों। मगर...
मुझे औरतों से डर लगता है। हो सकता है कि आप किसी मर्द के भेस में औरत बनी हों लेकिन मैं आपकी तहरीर पर ए’तबार करके आपको एक औरत तस्लीम करता हूँ। आपके ख़त से जो कुछ मैंने अख़्ज़ किया है, वो मैं मुख़्तसरन अ’र्ज़ किए देता हूँ।...
चेचक का टीका बीमारी को रोके रखता हैज़ब्त-ए-तौलीद इस्क़ात वग़ैरा
तौलीदتولید
begetting, reproduction
जनना, पैदा कराना, पालन- पोषण करना, उत्पन्न करना, पैदा करना, उत्पत्ति, पैदाइश।।
Mirza Ruswa Ke Novelon Ke Niswani Kirdar
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
Tauheed Ka Qurani Tasawwur
अल्ताफ़ अहमद आज़मी
इस्लामियात
Tauheed-o-Marifat
सय्यद इक़बाल अहमद जौनपुरी
तक़लीद से परे
अबु बक्र अब्बाद
फ़िक्शन तन्क़ीद
Ismat Chughtai Fikr-o-Fun
Tauheed-o-Shahadat
अबुल कलाम आज़ाद
Imam Hasan (Ek Qabil-e-Taqleed Abqari Shakhsiyat)
मोहम्मद इसमाईल आज़ाद फ़तेहपुरी
Musaddas Tauheed
मुहिब हुसैन
Islami Tauheed
मोहम्मद यूसुफ़ इस्लाही
Fida-e-Tauheed
अली बहादुर ख़ाँ
ख़्वाजा हसन निज़ामी
आलोचना
Naghma-E-Tauheed
महिलाओं द्वारा अनुदित
Nazria-e-Tauheed
बुरहान अहमद फ़ारुक़ी
जीवनी
Ghalib Taqleed Aur Ijtihad
ख़ुर्शीदुल इस्लाम
शायरी तन्क़ीद
Qabil-e-Taqleed Nazaer-o-Amsal
मोहम्मद शम्सुद्दीन सिद्दीक़ी
शिक्षाप्रद
(1) चेख़ोफ़ ने भी गोर्की की इस ख़ुसूसियत का तज़किरा अपने एक ख़त में किया है जो उसने गोर्की को लिखा था, इस संगीन ज़िंदान की छत तले जो धुएं की सियाही और लकड़ी के जाले से अटी हुई थी, हम निहायत तकलीफ़-देह ज़िंदगी बसर कर रहे थे। इस चार-दीवारी...
हसरत साहब कहने को तो कश्मीरी हैं मगर अपने रंग और ख़द-ओ-ख़ाल के एतिबार से मालूम नहीं किस नस्ल से ताल्लुक़ रखते हैं। फ़र्बह अंदाज और ख़ासे काले हैं। मालूम नहीं किस एतिबार से कश्मीरी होने का दावा करते हैं? वैसे मुझे इतना मालूम है कि आप आग़ा हश्र काश्मीरी...
زمین کسی کی بھی ہو، کیسی بھی ہو، مگر بیج تو آپ ہی کا ہوگا۔ زمین کا پٹہ آپ کے پاس نہیں تھا۔ یہ بھی کوئی عذر نہیں۔ اسی طرح آپ یہ بھی نہیں کہہ سکتے کہ فلاں رنڈی جس کے بطن سے آپ کے خون کا قطرہ لڑکی یا...
سحر کے اس مختصر جائزے کے بعد اب ہم دوبارہ حاملہ عورت کی مورتیوں کی طرف رجوع کرتے ہیں۔ ہم اس سے قبل لکھ چکے ہیں کہ پرانی قومیں عمل تولید اور پودوں کے نامیاتی عمل کو ایک ہی چیز سمجھتی ہیں۔ چنانچہ بعض پسماندہ قومیں اب تک اسی غلط...
ये उसके लिए कोई नई बात न थी जब से वो इस क़स्बे में मिडवाइफ़ हो कर आई थी ये सब कुछ रोज़ होता था यही चीख़ें, यही धड़ धड़ाहट फ़र्ज़ और आराम की यही तल्ख़ कश्मकश यही झल्लाहट और पसपाई सब इसी तरह, उसे सुब्ह ही उठ कर जाना...
گو نمرود کی شخصیت کا اب تک سراغ نہیں مل سکا ہے لیکن گدھ کی پیٹھ پر بیٹھ کر آسمان پر جانے کا قصہ قدیم بابلی (بیسویں صدی قبل مسیح) اشوری اور نواشوری عہد کے کئی نوشتوں میں ملا ہے۔ اس سے اندازہ ہوتا ہے کہ گدھ کی داستان بہت...
دہلی اور نواحِ دہلی کی بولیوْں کا یہ ملغوبہ پرانی دِلّی کے بازاروْں، حصاروْں اور خانقاہوْں میْں تقریباً سو سال تک اپنی ابتدائی شکل میْں ارتقا پاتا رہا تا آْں کہ چودھویْں صدی کے ربعِ اول میْں یہ فتوحاتِ علائی و تغلق کے ذریعہ گجرات کے راستے دکن تک پہنچ...
लोगों ने मेरे मादा-ए-तौलीद सेदीवारों पर फूल बना लिए
لیکن محبت میں اماوس سے پورنیما اور انکار سے اقرار کا سفر ایک جست میں طے ہوتا ہے اور پلک جھپکتے میں اندو پورے چاند کی صورت ’’مدن کا ہاتھ پکڑ کر اسے ایسی دنیاؤں میں لے جاتی ہے جہاں انسان مر کر ہی پہنچ سکتا ہے۔‘‘ اگرچہ عورت کا...
عزیز احمد، احمد علی، محمد حسن عسکری اور ممتاز شیریں ادب کی وہ شخصیات ہیں جن میں اسکالر اور فنکار کے بیچ ایک مسلسل کشمکش رہی اور سوائے احمد علی کے تینوں کی ا سکالر شپ فنکاری پر غالب آئی۔ احمد علی تخلیقی کام کرتے رہے لیکن اردو میں نہیں...
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