aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "جانماز"
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
1699 - 1781
शायर
जानाँ मलिक
born.1987
ख़ान जांबाज़
born.2001
असरार जामई
1937 - 2020
जामिया हमदर्द, देहली
योगदानकर्ता
मकतबा जामिया लिमिटेड, नई दिल्ली
पर्काशक
जामिया उसमानिया सरकार-ए-अाली, हैदराबाद, दकन
इदारा तालीफ़-ओ-तर्जुमा जामिआ पंजाब, लाहौर
मतबा जामिया उस्मानिया हैदराबाद, दक्कन
जामिया उस्मानिया, हैदराबाद
जामिआ उस्मानिया, सरकार आली, हैदराबाद
सत्यपाल जाँबाज़
born.1934
सय्यद शाह बुरहानुद्दी जानम
जाँबाज़ मिर्ज़ा
लेखक
जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
जा-नमाज़ और फिर मुसल्ला है वहीऔर सज्जादा भी गोया है वही
“बड़े शरीर हैं।” उन्होंने रोमांटिक आवाज़ में शर्मा के कहा। “बी आपा... सुनो बी आपा। ये राहत अच्छे आदमी नहीं।” मैंने सुलग कर कहा। “आज मैं अम्माँ से कह दूँगी।”...
जान तुम पर निसार करता हूँमैं नहीं जानता दुआ क्या है
अम्मामा जा-नमाज़ गए ले के मुग़बचेवाइज़ की अब लिबासी करामात भी गई
تقریباً دو برس تک ہم ان سے پڑھتے رہے، نہ ہم نے کبھی گرمی یا سردی کی شکایت کی اور نہ کبھی وقت بدلنے کا لفظ زبان پر لائے۔ نہ ان دو سال میں ایک دن ناغہ کیا۔ یہاں تک کہ مولوی صاحب بھی ہمیشہ کہتے تھے کہ بیٹا، جب...
उर्पदू में र्तिबंधित पुस्तकों का चयन
पाब्लो नेरूदा ने ठीक ही कहा है, प्यार मुख़्तसर होता है, और भूलना बहुत तवील। उनके प्रसिद्ध कविता संग्रह से प्रेरित होकर, हम आपके लिए पेश करते हैं प्रेम, उसकी सुंदरता, उसके दुखों और निराशाओं के बारे में ये चुनिंदा गीत।
बीसवीं सदी का आरम्भिक दौर पूरे विश्व के लिए घटनाओं से परिपूर्ण समय था और विशेष तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए यह एक बड़े बदलाव का युग था। नए युग की शुरुआत ने नई विचारधाराओं के लिए ज़मीन तैयार की और पश्चिम की विस्तारवादी आकांछाओं को गहरा आघात पहुँचाया। इन परिस्थितियों ने उर्दू शायरी की विषयवस्तु और मुहावरे भी पूरी तरह बदल दिए और इस बदलाव की अगुआई का श्रेय निस्संदेह अल्लामा इक़बाल को जाता है। उन्होंने पाठकों में अपने तेवर, प्रतीकों, बिम्बों, उपमाओं, पात्रों और इस्लामी इतिहास की विभूतियों के माध्यम से नए और प्रगतिशील विचारों की ऎसी ज्योति जगाई जिसने सब को आश्चर्यचकित कर दिया। उनकी शायरी की विश्व स्तर पर सराहना हुई साथ ही उन्हें विवादों में भी घसीटा गया। उन्हें पाठकों ने एक महान शायर के तौर पर पूरा - पूरा सम्मान दिया और उनकी शायरी पर भी बहुत कुछ लिखा गया है। उन्होंने बच्चों के लिए भी लिखा है और यहां भी उन्हें किसी से कमतर नहीं कहा जा सकता। 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसी उनकी ग़ज़लों - नज़्मों की पंक्तियाँ आज भी अपनी चमक बरक़रार रखे हुए हैं। यहां हम इक़बाल के २० चुनिंदा अशआर आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। अगर आप हमारे चयन को समृद्ध करने में हमारी मदद करना चाहें तो आपका रेख्ता पर स्वागत है।
जा-नमाज़جانماز
a carpet or mat on which prayers are offereda prayer mat
फा. अ. स्त्री.नमाज़ पढ़ने की दरी या चटाई आदि।
Firoz-ul-Lughat Urdu Jame
मौलवी फ़िरोज़ुद्दीन
शब्द-कोश
Janan Janan
अहमद फ़राज़
काव्य संग्रह
Qaraabaa deen-e-Majeedi
दफ़्तर जामिया तिब्बिया, दिल्ली
औषधि
Jame-ul-Qawaid
अबुल्लैस सिद्दीक़ी
भाषा
Jame Tareekh-e-Hind
मोहम्मद हबीब
भारत का इतिहास
जामेउल अमसाल
वारिस सरहिंदी
मुहावरे / कहावत
उर्दू ख़ुश ख़ती
हकीम फ़य्याज़ हुसैन जामई
सीखने के संसाधन
Jame-ul-Hikmat
हकीम मोहम्मद हसन करशी
Arooz
सय्यद कलीमुल्लाह हुसैनी
छंदशास्र
मिर्ज़ा मज़हर जान-ए-जानाँ
सय्यद तबारक अली नक़्श बन्दी
शोध
Farhang-e-Istilahat-e-Jamia Usmaniya
जमील जालिबी
Jang-e-Azadi Ke Muslim Mujahideen
अज़ीज़ुर्रहमान जामई
राजनीतिक आंदोलन
Angrezi Istilahon Aur Muhavaron Ki Jadeed Sahafati Farhang
सैय्यद राशिद अशरफ़
Amal Se Zindagi Banti Hai Jannat Bhi Jahannam Bhi
मोहम्मद बदीउज़्ज़माँ
शायरी तन्क़ीद
’’اس میں میری طرف سے قوام چشیدنی کا اضافہ فرما لیجیے۔ تھوکنے والا اور پھونکنے والا تمباکو کہتے ہوئے تکلیف ہوتی ہے؟‘‘ انہوں نے ہماری فارسی کی تھوتھنی زمین پر گڑتے ہوئے کہا۔ ’’ہم اس کی کاشت، تجارت، آڑھت وغیرہ کے بارے میں جاننا چاہتے ہیں۔‘‘...
थैले वाला आदमी बहुत सोच कर बोला, “मुझे अब बस इस क़दर याद है कि हमारे घर धड़-धड़ जल रहे थे और हम बाहर निकल रहे थे, भाग रहे थे।” नौजवान का दिल भर आया। बोला, “मुझे बस इतना याद है कि उस वक़्त मेरा बाप जा-नमाज़ पे बैठा था...
उस संग-ए-आस्ताँ पे जबीन-ए-नियाज़ हैवो अपनी जा-नमाज़ है और ये नमाज़ है
दो घंटे तक ग़फ़ूर मियाँ ने ख़ुद को ख़ूब मल-मलकर नहलाया। कपड़े पहने और जा-ए-नमाज़ पर बैठ कर दोनों हाथों को सर से ऊँचा किया और अपने सर को दोनों हाथों के बीच में लटका कर बड़े यतीमाना अंदाज़ में दुआ माँगी। ऐ बार-ए-इलाहा, तू नेकी बदी का जानने वाला...
राजा मेंहदी अली ख़ां से रिवायत है कि उन दोनों को एक दफ़ा बाज़ारों में भीक भी मांगनी पड़ी थी। स्कीम बारी साहब ने बताई थी। लोगों के आगे दस्त-ए-सवाल क्यूँ-कर दराज़ किया जाएगा। मिस्कीन और काबिल-ए-रहम शक्ल-ओ-सूरत कैसे बनाई जाएगी। अपना धड़ा किस अंदाज़ से और किन अलफ़ाज़ में...
آج کی رات اس کی بے کارر زندگی کی گزشتہ تمام راتوں سے بے حد مختلف تھی، شاید اسی لیے نیند اس کی آنکھوں سے پھسل کر رات کے گھپ اندھیرے میں کہیں گم ہو گئی تھی، مگر وہ اسے تلاش کرنے کی بے سود کوشش کر رہا تھا کیونکہ...
गए हैं वो मिरी महफ़िल में भूल कर रूमालये जा-नमाज़ बिछा कर पढ़ूँ दोगाना-ए-इशक़
غرض پریشان کرنے اور رونے رُلانے کی جتنی شکلیں ہوسکتی تھیں وہ انھوں نے روروکر اور بیچ میں ہائے ہائے کے گنڈے ڈال ڈال کر سب پوری کردیں۔ جب وقت کا یہ سین کچھ حد سے زیادہ بڑھنے لگا تو ایک ڈاکٹرنی نے آکر مجھے زبردستی پلنگ کے پاس سے...
कुछ दिखाई देता हैजा-नमाज़ का कोना
’’ارے دیکھو تو اتا پیارا ہے۔ اگر بڑوں نے پھنکوا دیا تو بے چارہ کدھر جائےگا۔ مر جائےگا بالکل مر جائےگا اور سارا عذاب ہم پر پڑےگا۔ وہ دادا میاں نے پرسوں بتایا نہیں کہ کسی جاندار کو بلا وجہ مار ڈالنا بڑے سخت گناہ کی بات ہے۔‘‘ پہلے گھس...
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