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ग़ज़ल
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
अहमद फ़राज़
नज़्म
ख़दशा
तिरी क़सम तिरी क़ुर्बत के मौसमों के बग़ैर
ज़मीं पे मैं भी अकेला फिरा ख़ुदा की तरह
मोहसिन नक़वी
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कहानी
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तंज़-ओ-मज़ाह
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कहानी
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