aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سرمد"
सरमद सहबाई
born.1945
शायर
नईम सरमद
born.1992
अली सरमद
सरमद ख़ान
born.1994
शहराम सर्मदी
born.1975
सरमद काशानी
1590 - 1661
लेखक
सरमद
शहाब सर्मदी
1914 - 1994
सरमद मज़ाहिरी
मक़बूल सरमद
पर्काशक
बेदार सरमदी
अज़मतुल्लाह खान सरमद
सरमद अकादमी, लाहौर
सीमा शर्मा सरहद
नफ़ीर सरमदी
सुना है उस की सियह-चश्मगी क़यामत हैसो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं
सब की अपनी मंज़िलें थीं सब के अपने रास्तेएक आवारा फिरे हम दर-ब-दर सब से अलग
कैसी बिपता पाल रखी है क़ुर्बत की और दूरी कीख़ुशबू मार रही है मुझ को अपनी ही कस्तूरी की
शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अंबरीं क्यूँ हैनिगह-ए-चश्म-ए-सुरमा सा क्या है
उस के जाने का यक़ीं तो है मगर उलझन में हूँफूल के हाथों से ये ख़ुश-बू जुदा कैसे हुई
सरहद को मौज़ू बनाने वाली ये शायरी सरहद के ज़रिये किए गए हर क़िस्म की तक़्सीम को नकारती है और मोहब्बत के एक ऐसे पैग़ाम को आम करती जो ज़मीन के तमाम हिस्सों में रहने वाले लोगों को एक रिश्ते में जोड़ता है। तक़्सीम के बाद शोरा ने सरहद और इस से जन्म लेने वाले मसाएल को कसरत से बरता है। यहाँ हम ऐसी शायरी का एक इंतिख़ाब पेश कर रहे हैं।
Rubaiyat-e-Sarmad Shaheed
शायरी
रुबाइयात-ए- सरमद
रुबाई
हयात-ए-सरमद
अबुल कलाम आज़ाद
जीवनी
Rubaiyat-e-Sarmad
रुबाइयाते-सरमद
Sarmad Aur Unki Rubaiyan
मुजीबुल्लाह नदवी
Tareekh Jung-e-Azeem Europe
विश्व इतिहास
Tazkira Hazrat Sarmad Shaheed
सय्यद मोहम्मद अहमद
Hayat-e-Sarmad
Wardat-e-Sarmad
काव्य संग्रह
Jawaahar Manzoom Tarjuma-e-Urdu Rubaaiyaat-e-Sarmad
Kathputliyon Ka Shahar
नाटक / ड्रामा
मैं सरमद ओ मंसूर बना हूँ तिरी ख़ातिरये भी तिरी उम्मीद से कम है तो मुझे क्या
हर कोई शामिल हुआ 'सरमद' जुलूस-ए-आम मेंमुँह उठाए चल दिया है तू किधर सब से अलग
अब की सर्दी में कहाँ है वो अलाव सीनाअब की सर्दी में मुझे ख़ुद को जलाना होगा
दिल-ए-मुज़्तर मुझे इक बात बता सकता हैतू किसी तौर मुझे छोड़ के जा सकता है
हर्फ़-ए-सरमद ख़ून-ए-दारा के अलावा शहर मेंकौन है जो सर उठाए बादशाहत के ख़िलाफ़
उस के मिलने पे भी महसूस हुआ है 'सरमद'उस ने देखा ही न हो मैं ने बुलाया ही न हो
कितना चालाक है वो यार-ए-सितमगर देखोउस ने तोहफ़े में घड़ी दी है मगर वक़्त नहीं
हम न ईसा न सरमद ओ मंसूरलोग क्यूँ सू-ए-दार ले के चले
जब सतवत-ए-शाही को कुछ ठेस लगी होगीसूली पे कई सरमद लटकाए गए होंगे
یوں مجموعی سطح پر دیکھا جائے تو ادب ایک نئے تصور سے جڑا اور زبان کے اندر اظہار کی بے پناہ قوت پیدا ہوئی۔ تخلیقی زبان لکھنے کی اس لگن کے زمانے میں جہاں نظم مختلف ہوگئی تھی وہاں ہمارا افسانہ بھی اس سے اثر قبول کر رہا تھا۔ یہی...
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