aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "طوطے"
मुंशी तोता राम शायाँ
died.1880
शायर
मुंशी तोता राम
लेखक
तूती-ए-हिंद प्रेस, मेरठ
पर्काशक
आदमिय्यत और शय है इल्म है कुछ और शयकितना तोते को पढ़ाया पर वो हैवाँ ही रहा
कमरा बहुत छोटा था जिसमें बेशुमार चीज़ें बेतर्तीबी के साथ बिखरी हुई थीं। तीन चार सूखे सड़े चप्पल पलंग के नीचे पड़े थे जिनके ऊपर मुँह रख कर एक ख़ारिश ज़दा कुत्ता सो रहा था और नींद में किसी ग़ैरमरई चीज़ को मुँह चिड़ा रहा था। उस कुत्ते के बाल...
ज़फ़र: (हल्का क़हक़हा) मिर्ज़ा नौशा, ख़ुदा तुम्हें ज़िंदा रखे। बड़े ही दिलचस्प आदमी हो और भई पढ़ते तो ख़ूब हो। रावी: 9 बजे सुबह का अमल है, ग़ालिब खाना खाने अंदर जाते हैं। चेहरे पर परेशानी के आसार हैं। एक तोता सर्दी की वजह से सिमटा सिमटाया परों में चोंच...
नीम तारीकी में बिजली के क़ुमक़ुमे क़तार दर क़तार आँखें झपकना शुरू कर दें। हवा में ख़ुनकी पैदा हो जाये और फ़िज़ा पर एक अफ़सानवी कैफ़ियत सी छा जाये तो किसी अजनबी औरत की क़ुरबत की ज़रूरत महसूस हुआ करती है। एक ऐसी जिसका एहसास तहत-ए-शऊर में छुपा रहता है।...
“हाँ न उगे बाँस न बजे बांसुरी, सास न हो तो कोई झगड़ा नहीं रहता।” इंदू ने एका एकी ख़फ़ा होते हुए कहा, “तुम जाओ जी सो रहो जा कर बड़े आए हो आदमी जीता है तो लड़ता है ना? मरघट की चुपचाप से झगड़े भले। जाओ न रसोई में...
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नत्थू ने दूर ही से मुआमले की नज़ाकत महसूस की और क़दम तेज़ करके उनके पास पहुंच गया। माधव ने इशारे से उसे अपने पास बैठने को कहा। नत्थू बैठ गया और उसका एक हाथ ग़ैर इरादी तौर पर अपने बालों के उस गुच्छे की तरफ़ बढ़ गया जिसकी जड़ें...
पैंतीस साल पहले जैसे ढोंडू ख़ाली हाथ िमल में काम करने आया था उसी तरह ख़ाली हाथ वापस लौटा और दरवाज़े से बाहर निकलने पर और अपना नम्बर कार्ड पीछे छोड़ आने पर उसे एक धचका सा लगा। बाहर आ के उसे ऐसा मालूम हुआ कि जैसे इन पैंतीस सालों...
हमारे पड़ोस में एक मियां बीवी रहते हैं जिनका जोड़ा पूरी तौर से मिल गया है। ये दोनों आदमी इिन्तहा दर्जे के काहिल, परले सिरे के झूटे और हद के नकारे हैं, मगर जब देखिए दोनों क़ुमरियों की तरह एक दूसरे के साथ हैं और गलबहियां डाले बैठे हैं। उनके...
شاعری سے اگر صرف تفریح مقصود ہو تو مبالغہ کام آسکتا ہے لیکن وہ شاعری جو ایک طاقت ہے، جو قوموں کو زیر و زبر کر سکتی ہے، جو ملک میں ہلچل ڈال سکتی ہے، جس سے عرب قبائل میں آگ لگا دیتے تھے، جس سے نوحہ کے وقت در...
सरताज ने डिबिया पकड़ी तो उसका वुजूद मुकम्मल सिपास गुज़ारी का इश्तिहार बन गया। आँखों में हल्की हल्की नमी, ख़मीदा टांगें कन्हैया रूप आगे पीछे। उसने चिट को उठाया, उसपर रक़म था, “अपनी बहुत ही प्यारी बहन के लिए...” बड़ी रिक़्क़त के साथ सरताज घड़ी को उसकी तरफ़ बढ़ाते हुए...
इस तोते का पिंजरा खोलो फिर देखोकैसे इस तोते के तोते उड़ते हैं
एक मुशायरा हम मुल्तान के चिड़ियाघर में पढ़ चुके हैं जिसकी तरहें हस्ब-ए-ज़ैल थीं, लाख तोते को पढ़ाया पर वह हैवाँ ही रहा...
मेरा मतलब ये नहीं कि मैं ये उम्मीद लगाए बैठा था कि मेरे दहलीज़ पर क़दम रखते ही मुर्ग़ सर्कस के तोते की मानिंद तोप चला कर सलामी देंगे, या चूज़े मेरे पांव में वफ़ादार कुत्ते की तरह लोटेंगे, और मुर्ग़ियां अपने अपने अंडे “सिपर दम बुतो माए-ए-ख़वेश रा” कहती...
ठाकुर साहब ने ये ख़ुश आइंद ख़बरें सुनीं और देहात की सैर को चले। वही तुज़्क-ओ-एहतिशाम, वही लठैतों का रिसाला, वही गुंडों की फ़ौज! गाँव वालों ने उनके ख़ातिर-ओ-ताज़ीम की तैयारीयां करनी शुरू कीं। मोटे ताज़े बकरों का एक पूरा गल्ला चौपाल के दरवाज़ा पर बाँधा। लकड़ी के अंबार लगा...
बेगम बिल्क़ीस तुराब अली जैसे ही उस पेड़ के पास पहुंचीं उनके कान में दीवार के बाहर से किसी के बोलने की आवाज़ आई। उन्होंने उस आवाज़ को फ़ौरन पहचान लिया। ये उस इलाक़े की मिहतरानी सगू की आवाज़ थी जो अपनी बेटी जग्गू से बात कर रही थी। ये...
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