aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "عہدبودا"
आबिदा उरूज
शायर
आबिदा करामत
लेखक
आबिदा परवीन
born.1954
कलाकार
आबिदा समीउद्दीन
1934 - 2012
आबिदा आफ़रीदी
आबिदा सुलताना
आबिदा सबा
पर्काशक
आबिदा नर्जिस
आबिदा नसरीन
आबिदा बेगम
आबिदा ख़ातून
Abida Khanam
आबिदा तबस्सुम उसमानी
संपादक
आबिदा महबूब
born.1937
पूरे दिनों में भी रुख़साना मुमानी के हुस्न को गहन न लगा। जिस्म फैल गया मगर चाँद दमकता रहा। न पैरों पर सूजन, न आँखों के गिर्द हल्क़े, न चलने फिरने में कोई तकलीफ़। जापे के बा'द चट से खड़ी हो गईं। क्या मजाल जो कमर बराबर भी मोटी हुई...
आँधियाँ ग़म की चलीं और कर्ब-बादल छा गएतुझ से कैसे हो मिलन सब रास्ते धुँदला गए
सच तो ये है कि मुझे सब मुर्ग़, नौज़ाईदा बच्चे और सिख एक जैसी शक्ल के नज़र आते हैं। और उन्हें देखकर अपनी बीनाई और हाफ़िज़े पर शुबहा होने लगता है। मुम्किन है कि उनकी शनाख़्त और तशख़ीस के लिए ख़ास महारत-ओ-मलका दरकार हो। जिसकी ख़ुद में ताब न पाकर...
औरों की आग क्या तुझे कुंदन बनाएगीअपनी भी आग में कभी चुप-चाप जल के देख
ना जाने कब से जिए जा रही थीं। लोग उनकी उम्र सौ से ऊपर बताते थे। खुली गुम-सुम बे-नूर आँखों से वो इतने साल क्या देखती रही थीं। क्या सोचती रही थीं कैसे जीती रही थीं। बारह तेरा बरस की उम्र में वो मेरी अम्मां के चचा दादा से ब्याही...
आबिदा परवीन की गाई हुईं 20 मशहूर ग़ज़लें
उर्दू नस्र का इर्तिक़ा
गद्य/नस्र
Hindustan Ki Jang-e-Azadi Mein Muslim Khwateen Ka Hissa
भारत का इतिहास
Misbah-ul-Adviya
हकीम अब्दुस समद खां
औषधि
Aabida
बिलक़ीस हाश्मी
उपन्यास
Urdu Qatat Nigari : Aghaz-o-Irtiqa
Mujhe Apne Dil Mein Rakhna
रोमांटिक
Urdu Nasar Ka Irtiqa
आलोचना
क़ौमी महाज़-ए-आज़ादी और मुस्लिम शोअरा-ए-उत्तर प्रदेश
संकलन
Qaumi Mahaz-e-Azadi Aur U.P. Ke Musalman Sahafi
पत्रकारिता
पैकर-ए-एहसास
कहानियाँ
Arbao Ki Nazar Mein Qadeem Hindustani Mazahib-o-Mashra
महिलाओं की रचनाएँ
Afra
नॉवेल / उपन्यास
ज़ीन
Arshi
सामाजिक
Qaumi Mahaz Azadi Aur UP Ke Musalman
بجا کہ جارحیت کرنے والے کو دنیا بھر کے سارے وسائل پر دسترس چاہیے اور یہ بھی درست کہ جنگ اور دہشت اسی کا پروڈیکٹ ہے، مگر اس کا احساس بھی تو ہونا چاہیے کہ ہم ادبدا کر اپنے تضادات کا خود شکار ہو رہے ہیں بنیاد پر ستی سے...
دریا سے پار ہونے کے بعد حضرت موسیٰ بنی اسرائیل کو ہمراہ لیے اس جنگل میں پہنچے جس کو تیہ بنی اسرائیل کہتے ہیں۔ یہاں چالیس برس تک رہے۔ ہر چند بنی اسرائیل کو اکسایا کہ فلسطین پر حملہ کرو اور فرعون کے گورنروں کو نکال کر خود اپنے وطن...
اگر اصول و ضوابط میں عہدبہ عہد تبدیلیاں نہ ہوتی رہتیں اور ان تبدیلیوں میں چند مخصوص معاشی، معاشرتی اور تاریخی حقیقتوں کا ہاتھ نہ ہوتا تو البتہ یہ ممکن تھا کہ اصولوں کو محض خیال کی روشنی میں دیکھا جائے جہاں زمان و مکان کے اثرات کام نہ کر...
पहला दरबार हुआ तो बा’दशाह ने खज़ाने का मुँह खोल दिया। मुग़ल शहंशाहों की बे-इंतिहा दौलत पानी की तरह बहने लगी और रिआ’या फ़ारिग़-उल-बाल और माला-माल हो गई। बा’दशाह के हुक्म के मुताबिक़ बाज़ारों में दुनिया ज़माने की चीज़ें मौजूद। इसके इ’लावा फ़रमान हुआ कि रोज़मर्रा सौदा गली-गली और कूचे-कूचे...
“मुख़तार साहब अब बेटी का बोझ उतर गया है। अब बेटे का भी ब्याह कर डालिए। बहुत कमाई खाई आपने उसकी।” दरअस्ल ये ज़िक्र रुक़य्या को शादी का तमाम अहवाल सुनने के बाद छेड़ना चाहिए था, मगर मुख़तार साहब की तरफ़ से मायूस हो कर उसे चंद बातों के...
“ला मैं छुटाऊँ,” उसने पोरों को थूक से गीला कर उसके गाल पे मला। वो अलग सरक गई। “नहीं भई हम ख़ुद साफ़ कर लेंगे और उसने कुरते के दामन को होंटों से गीला किया और गालों को मलना शुरू कर दिया। उसने अपने पोरों को देखा कि लाल गुलाबी...
دادا میاں کو ایک آدھ بار ادبدا کر پوتے کی یاد آ جاتی تو گھر بھرے میں ان کی بوڑھی مگر کراری آواز گونج جاتی، ’’کہاں تھے عزیزم؟‘‘...
समझ ले ये दिल में 'आसमाँ' तू वो लोट हैं तेरे लोटने परजो ओढ़ कर लटपटा दुपट्टा लुटाते हैं अदबदा के आँचल
امی دراصل گھر بھر کی چھوٹی امی تھیں۔ بڑی امی زیادہ تر گاؤں والے گھر میں رہتی تھیں۔ وہ جاگیر سے۔ اپنے اور اپنی سوکن کے بچوں سے بےتحاشا پیار کرتی تھیں۔ ہر طرف ان کی چلتی تھی۔ ان کے جسم پر ہر طرف پیلا پیلا سونا لدا رہتا تھا۔...
उस ने जाने की कही हो जैसेकोई आँधी सी चली हो जैसे
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books