aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "منجمد"
सय्यद हिदायतुल्लाह हिदा मंजुम
लेखक
मीर खैरात अली मुन्जिम
है मुंजमिदया पिघल रहा है
दरियाए किशनगंगा के किनारे इस सड़क के लिए जो मुज़फ़्फ़राबाद से करन जाती है। कुछ अर्से से लड़ाई हो रही थी... अजीब-ओ-गरीब लड़ाई थी। रात को बा'ज़ औक़ात आसपास की पहाड़ियां फ़ायरों के बजाय गंदी-गंदी गालियों से गूंज उठती थीं। एक मर्तबा सूबेदार रब नवाज़ अपनी प्लाटून के जवानों के...
जबरा शायद ये ख़याल कर रहा था कि बहिश्त यही है और हल्कू की रूह इतनी पाक थी कि उसे कुत्ते से बिल्कुल नफ़रत न थी। वो अपनी ग़रीबी से परेशान था, जिसकी वज्ह से वो इस हालत को पहुँच गया था। ऐसी अनोखी दोस्ती ने उसकी रूह के सब...
सहन में पहुंच कर उसने अपनी दुखती हुई कमर सीधी की और ऊपर आसमान की तरफ़ देखा। मटियाले बादल झुके हुए थे, “मसऊद, आज ज़रूर बारिश होगी।” ये कह कर उसने मसऊद की तरफ़ देखा मगर वो अंदर अपनी चारपाई पर लेटा था।...
मुंजमिद होंटों पे सन्नाटों का संगीन तिलिस्मजैसे नायाब ख़ज़ानों पे कड़े पहरे हों
मुंजमिदمنجمد
frozen, congealed, solid
जमा हुआ, ठंड से जमी हुई वस्तु ।।
मुंजमिद
फ़रहत परवीन
अफ़साना
Munjamid Aflak Ke Saye Tale
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इस दौरान में स्टूडियो के लोगों को एक दूसरे के साथ मिल कर बैठने का बहुत मौक़ा मिलता है। मैं तक़रीबन सारा दिन गुलाब के होटल में बैठा चाय पीता रहता था। जो आदमी भी अंदर आता था तो सारे का सारा भीगा होता था या आधा... बाहर की सब...
मुंजमिद है कमरे मेंएक फ़र्श और इक छत
मुंजमिद हैं बर्फ़ में कुछ आग के पैकर अभीमक़बरों की चादरें हैं फूल जैसी औरतें
अब लोग कहते हैं कि वो उर्दू का बहुत बड़ा अदीब है और मैं ये सुनकर हंसता हूँ इसलिए कि उर्दू अब भी उसे नहीं आती। वो लफ़्ज़ों के पीछे यूं भागता है जैसे कोई जाल वाला शिकारी तित्लियों के पीछे। वो उस के हाथ नहीं आतीं। यही वजह है...
मुनीम जी ने एक लाख के घाटे की पुरमलाल ख़बर सुनाई होती तब भी लाला जी को शायद इतना सद्मा न होता जितना कि आशा के इन भोले-भोले अलफ़ाज़ से हुआ, उनका सारा जोश सारा वलवला ठंडा पड़ गया जैसे बर्फ़ की तरह मुंजमिद हो गया। सर पर बाक़ी रखी...
अब क्या खुलेगी मुंजमिद अल्फ़ाज़ की गिरहवो हिम्मत-ए-कशूद-ए-मआनी भी ले गया
चक्की पीसने वाली औरत जो दिन-भर काम करती है और रात को इत्मीनान से सो जाती है, मेरे अफ़्सानों की हीरोइन नहीं हो सकती। मेरी हीरोइन चकले की एक टखयाई रंडी हो सकती है जो रात को जागती है और दिन को सोते में कभी-कभी डरावना ख़्वाब देख कर उठ...
अँगीठी पर रखी हुई तसावीर के ज़ाविए बदले जा रहे हैं। कपड़े लटकाने की खूंटियां एक जगह से उखेड़ कर दूसरी जगह पर जड़ दी गई हैं। कुर्सियों के रुख़ तबदील किए गए हैं... गोया कमरे की हर शय एक क़िस्म की क़वाइद कराई जाती थी। एक रोज़ जब मैंने...
कॉलिज में शाहिदा हसीनतरीन लड़की थी। उसको अपने हुस्न का एहसास था। इसीलिए वो किसी से सीधे मुँह बात न करती और ख़ुद को मुग़लिया ख़ानदान की कोई शहज़ादी समझती। उसके ख़द्द-ओ-ख़ाल वाक़ई मुग़लई थे। ऐसा लगता था कि नूरजहां की तस्वीर जो उस ज़माने के मुसव्विरों ने बनाई थी,...
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