aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نہاری"
नामी नादरी
born.1922
शायर
शाह हुसैन नहरी
born.1941
नासिरी लखनवी
लेखक
असजद नाज़री नज़र
born.1968
अंसार नासिरी
एम. एन.नरहरि
नुसरत अली नासरी
पर्काशक
वक़ार नासरी
काशी नागरी प्रचारणी सभा
नरहरी प्रशाद
दुकतर हसन सादात नासरी
मीर अकबर अली नासिरी
फ़रीद अहमद नहरी
संपादक
नहिर अली ख़ान मुज़्तर
अलीम नसिरी
ऐ मिरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़तू नहाती है अब भी बान में क्या
उन की ख़ातिर सुब्ह होते ही नहारी वाह वाऔर हम चाटा करें ईमान-दारी वाह वा
फ़रमाया, "शक्कर निकली, और क्या हाथी घोड़े निकलते।" मुझे ग़ुस्सा तो बहुत आया मगर काफ़ी का सा घूँट पी कर रह गया।...
घुम्मी, एक कबाबी की बदौलत दिल्ली की लाज रह गई। लेकिन अफ़सोस अब ऐसा भी कोई नहीं। लॉग आ पड़े तो कहाँ जाएं? मटर मटर सुना करते हैं कि दिल्ली वाले बेहुनर, बेगैरत, झूटे, शेखीबाज़, यहां के बावर्चियों को खाना पकाना नहीं आता। यहां के हलवाई मिठाई बनानी नहीं जानते।...
हमने कहा, “लाहौल वला क़ुव! उस बुज़ुर्ग की तमाम करदा-ओ-नाकरदा ख़ताएँ तुम्हें सिर्फ़ इस बिना पर माफ़ कर देनी चाहिऐं कि तुम्हारी तरह वो भी चाय के रसिया थे। क्या नाम था उनकी पसंदीदा चाय का? अच्छा सा नाम था, हाँ याद आया। व्हाइट जैसमीन! यासमीन सफ़ेद!”शगुफ़्ता हुए। फ़रमाया, “मौलाना...
शायरी में महबूब माँ भी है। माँ से मोहब्बत का ये पाक जज़्बा जितने पुर-असर तरीक़े से ग़ज़लों में बरता गया इतना किसी और सिन्फ़ में नहीं। हम ऐसे कुछ मुंतख़ब अशआर आप तक पहुँचा रहे हैं जो माँ को मौज़ू बनाते हैं। माँ के प्यार, उस की मोहब्बत और शफ़क़त को और अपने बच्चों के लिए उस प्यार को वाज़ेह करते हैं। ये अशआर जज़्बे की जिस शिद्दत और एहसास की जिस गहराई से कहे गए हैं इस से मुतअस्सिर हुए बग़ैर आप नहीं रह सकते। इन अशआर को पढ़िए और माँ से मोहब्बत करने वालों के दर्मियान शेयर कीजिए।
निहारीنہاری
spicy stew from the Indian subcontinent consisting of slow-cooked meat, mainly shank.
नहारीنہاری
cooked meat dish to be eaten in morning
वह थोड़ा सा खाना जिससे सुबह का फ़ाक़ा तोड़ते हैं, नाशता, एक प्रकार का शोरबादार गोश्त जिसे खमीरी रोटी से खाते हैं।
Fan-e-Tanqeed Aur Urdu Tanqeed Nigari
नूरुल हसन नक़वी
आलोचना
फ़न-ए-तर्जुमा निगारी
ख़लीक़ अंजुम
मज़ामीन / लेख
Urdu Adab Mein Khaka Nigari
साबिरा सईद
ख़ाका: इतिहास एवं समीक्षा
उर्दू मकतूब निगारी
शादाब तबस्सुम
Urdu Mein Tamseel Nigari
मंज़र आज़मी
Fan-e-Tarjuma Nigari
ज़हूरूद्दीन
अनुवाद: इतिहास एवं समीक्षा
Urdu Mein Fan-e-Sawaneh Nigari Ka Irtiqa
मुमताज़ फ़ाख़िरा
आत्मकथा
Urdu Marsiya Nigari
उम्म-ए-हानी अशरफ़
मर्सिया तन्क़ीद
उर्दू नॉवेल निगारी
सुहैल बुख़ारी
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
Rajender Singh Bedi Ki Afsana Nigari
वहाब अशरफ़ी
फ़िक्शन तन्क़ीद
Fan-e-Mazmoon Nigari
आफ़ताब अज़हर सिद्दीक़ी
लेख
Urdu Nasr Mein Mizah Nigari Ka Siyasi Aur Samaji Pas-Manzar
रऊफ़ पारेख
Urdu Mein Mukhtasar Afsana Nigari Ki Tanqeed
परवीन अज़हर
Urdu Mein Qaseeda Nigari
अबु मोहम्मद सहर
शायरी तन्क़ीद
Prem Chand Ki Novel Nigari
यूसुफ़ सरमस्त
अंजुमन दानिश्वरान-ए-अदब के सदर जनाब अब्दुल ख़ालिक़ अब्दुर्रज़्ज़ाक़ एक क़ाबिल और इल्मदोस्त आदमी हैं। अस्ल वतन तो दिल्ली था मगर सालहा साल से कराची में रहते हैं। सिगरेट किंग कहलाते हैं। महीने दो महीने में उनके हाँ एक पुरतकल्लुफ़ दावत होती है। जिसमें पंद्रह बीस मेंबर और दो-चार एज़ाज़ी मेहमान...
بے در و دیوار ناٹک گھر بنایا چاہیے صحیح نام اور پتہ بتانےسے ہم قاصر ہیں، اس لیے کہ اس میں کچھ پردہ نشینوں کے بھی نام آتے ہیں۔ سردست اتنا اشارہ کافی ہوگا کہ اس تھیٹر کو اداکاروں کی ایک کوآپریٹیو سوسائٹی نقصان باہمی کی بنیاد پر چلا رہی...
“ए भई हुक्म अल्लाह का। धेले का जलेबा दे जाओ।” फेरी वाला धेले के ढेर सारे शहतूत दे गया। अच्छे ज़माने, सस्ते समय, पैसे में चार सौदे आते थे। दिल्ली के दिल वाले सदा के चटोरे हैं। शायद इस ज़बान के चटख़ारे के ज़िम्मेदार यही चटपटे फेरी वाले हैं जिनकी...
“निहारी है?” “जी हाँ है, मुर्ग़ की निहारी भी है, बटेर की निहारी भी है।”...
سات برس تک وہ وادی نیل کی رنگین فضاؤں میں اپنی زندگی کا کوئی نیا سپنا دیکھے بغیر سانس لیتی رہی........ سات برس تک وہ اپنی زندگی کا ایک ہی ورق پڑھتی رہی اور اُسے نیا باب کھولنے کی ضرورت محسوس نہ ہوئی۔ مگر جونہی اس کے شباب نے بیسویں...
इस हलवे की तरकीब निहायत आसान है। हलवा पकाईए और इसमें दूध न डालिए। निहायत मज़ेदार हलवा बे दूध तैयार है। वर्क़ लगाइये और चमचे से खाइए। निहारी...
गुज़श्ता साल से रमज़ान रंडवे की ज़िंदगी गुज़ार रहा था। बीवी बेचारी गोटे के दुपट्टे तक के लिए तरसती रही थी। ज़माने के गर्म-ओ-सर्द ने रमज़ान को बहुत सताया था। साईं जी का उधार अलग बढ़ गया था। कहाँ से ले देता गोटे का दुपट्टा अपनी मुश्की दुल्हन को? ले...
’’اری وہ ٹوکری تو کھول، دیکھ وس میں کیا لایا ہوں تیرے لئے۔‘‘ اب ان میاں بیوی کو میٹھی میٹھی باتیں کرنے دیجئے۔ آیئے ہم آپ چلیں یہاں سے۔ رات سر پر چڑھتی آ رہی ہے۔ صبح سویرے ہی کاریگروں اور دستکاروں کو اپنے اپنے کام پر پہنچنا ہوتا ہے۔...
اس معنی میں ایک اور لفظ نہار آپ بولتے ہیں، نہار منہ۔ یہ فارسی ہے، مگر دیکھئے کہ یہ فارسی ہندوستانی سے ایسا مل گیا ہے کہ گویا ہندوستانی ہی ہے۔ اس کی اصلیت ’’ناہار‘‘ہے۔ نانفی کے لئے ہے اور ہار کے معنی غذا کے ہیں۔ ’’ناہار‘‘ یعنی نہیں کھایا...
दोपहर में छे चपाती चार अंडे आॉमलेटचार-छे शामी कबाब और इक नहारी के प्लेट
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