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ग़ज़ल
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
ये ख़िज़ाँ की ज़र्द सी शाल में जो उदास पेड़ के पास है
ये तुम्हारे घर की बहार है उसे आँसुओं से हरा करो
बशीर बद्र
नज़्म
शिकवा
ख़ंदा-ज़न कुफ़्र है एहसास तुझे है कि नहीं
अपनी तौहीद का कुछ पास तुझे है कि नहीं
अल्लामा इक़बाल
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रेख़्ता शब्दकोश
paas se
पास सेپاس سے
क़रीब से, नज़दीक से
paas rahnaa
पास रहनाپاس رَہنا
be present or at hand, remain near, live with
ham-paas
हम-पासہَم پاس
ہمارے پاس ؛ ہمارے قبضے میں ۔
kiye kaa paas
किए का पासکِیے کا پاس
۔اپنے فعل کا لحاظ۔ ؎ دیکھو اپنے۔
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नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक
कुछ बड़ी बात थी होते जो मुसलमान भी एक
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मुझ से पहले
ये भी मुमकिन है कि इक दिन वो पशीमाँ हो कर
तेरे पास आए ज़माने से किनारा कर ले
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
वाँ वो ग़ुरूर-ए-इज्ज़-ओ-नाज़ याँ ये हिजाब-ए-पास-ए-वज़अ
राह में हम मिलें कहाँ बज़्म में वो बुलाए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
कहीं और बाँट दे शोहरतें कहीं और बख़्श दे इज़्ज़तें
मिरे पास है मिरा आईना मैं कभी न गर्द-ओ-ग़ुबार लूँ