aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ڈاکٹر"
यासीनआतिर
born.1955
शायर
तारिक़ अज़ीज़
1936 - 2021
लेखक
डॉ भावना श्रीवास्तव
born.1981
डॉक्टर आज़म
born.1963
महताब आलम
born.1972
डॉ. नरेश
born.1942
डॉ अंजना सिंह सेंगर
born.1974
अनवरी बेगम
born.1959
अलीम उस्मानी
1931 - 2012
डॉ. मुबश्शिरा सदफ़ ' ग़ज़ल'
born.1986
मोहन सिंह दीवाना
1899 - 1984
डॉ. ज़ाकिर हुसैन
1897 - 1969
आफ़ताब राँझा
नलनी विभा नाज़ली
born.1954
अली यासिर
1976 - 2020
शाम के क़रीब कैंप में जहां सिराजुद्दीन बैठा था। उसके पास ही कुछ गड़बड़ सी हुई। चार आदमी कुछ उठा कर ला रहे थे। उसने दरयाफ़्त किया तो मालूम हुआ कि एक लड़की रेलवे लाइन के पास बेहोश पड़ी थी। लोग उसे उठा कर लाए हैं। सिराजुद्दीन उनके पीछे पीछे...
मैं उन आँखों का ज़िक्र कर रहा था जो मुझे बेहद पसंद थीं। पसंद का मुआमला इन्फ़िरादी हैसियत रखता है। बहुत मुम्किन है अगर आप ये आँखें देखते तो आप के दिल-ओ-दिमाग़ में कोई रद्द-ए-अमल पैदा न होता। ये भी मुम्किन है कि आपसे अगर उनके बारे में कोई राय...
कहते हैं कि नौ अप्रैल की शाम को डाक्टर सत्यपाल और डाक्टर किचलू की जिला वतनी के अहकाम डिप्टी कमिशनर को मिल गए थे। वो उनकी तामील के लिए तैयार नहीं था। इसलिए कि उसके ख़याल के मुताबिक़ अमृतसर में किसी हैजानख़ेज बात का ख़तरा नहीं था। लोग पुरअम्न तरीक़े...
मगर इम्तियाज़ी फुफ्फो भी इन पाँच पांडवों पर सौ कौरवों से भारी पड़तीं। उनका सबसे ख़तरनाक हर्बा उनकी चिनचिनाती हुई बरमे की नोक जैसी आवाज़ थी। बोलना जो शुरू' करतीं तो ऐसा लगता जैसे मशीनगन की गोलियाँ एक कान से घुसती हैं और दूसरे कान से ज़न से निकल जाती...
बात ये भी थी कि बेगम जान को खुजली का मर्ज़ था। बेचारी को ऐसी खुजली होती थी और हज़ारों तेल और उबटन मले जाते थे मगर खुजली थी कि क़ायम। डाक्टर हकीम कहते कुछ भी नहीं। जिस्म साफ़ चट पड़ा है। हाँ कोई जिल्द अंदर बीमारी हो तो ख़ैर।...
चिकित्सक
डॉक्टरڈاکٹر
doctor
फ़ोर्ट विलियम कॉलेज की अदबी ख़िदमात
डॉ. उबैदा बेगम
शोध
Homeopathic
डॉ. रेकवेग
होम्योपैथी
Dr. Allama Iqbal Ke Shikwa, Jawab-e-Shikwa Ki Nasri Tarjumani
अल्लामा इक़बाल
शायरी तन्क़ीद
Aasan Arooz
छंदशास्र
Jadeed Urdu Ghazal
डॉ. राहत बद्र
Dr. Nazeer Ahmad Ki Kahani Kuchh Meri Aur Kuchh Unki Zabani
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
गद्य/नस्र
Aap Beeti Allama Iqbal
डॉ. ख़ालिद नदीम
आत्मकथा
Practice of Medicine
डॉ. दौलत सिंह
औषधि
डॉ. बशीर बद्र की शायरी
अंजुम बाराबंकवी
संकलन
Amraz-e-Niswan
डॉ. काशी राम
तरक़्क़ी पसंद तहरीक और उर्दू अफ़्साना
डॉ. सादिक़
साहित्यिक आंदोलन
Cyclopedia Of Homeopathic Dargaz
Urdu Stage Drama
डॉ. ए.बी. अशरफ
नाटक इतिहास एवं समीक्षा
फ़रहंग-ए-कुल्लियात-ए-इक़बाल (उर्दू)
डॉ. रुख़साना बेगम
महिलाओं की रचनाएँ
क़ुर्रतुलऐन हैदर की अफ़्साना निगारी
डॉ. मुसर्रत जहाँ
आलोचना
लंबे लंबे वक़्फ़ों के बाद दुश्मन की तरफ़ से इक्का दुक्का फ़ायर होता रहा। यहां से उसका जवाब कभी कभी दे दिया जाता। ये खेल पूरे दो दिन जारी रहा... मौसम यकलख़्त बहुत सर्द हो गया। इस क़दर सर्द कि दिन को भी ख़ून मुंजमिद होने लगता था, चुनांचे सूबेदार...
मेला बहुत दूर पीछे छूट चुका था। दस बज रहे थे। घर पहुँचने की जल्दी थी। अब दस्त-पनाह नहीं मिल सकता था। अब किसी के पास पैसे भी तो नहीं रहे, हामिद है बड़ा होशियार। अब दो फ़रीक़ हो गए, महमूद, मोहसिन और नूरी एक तरफ़, हामिद तन्हा दूसरी तरफ़।...
लेकिन इस तरफ़ कुछ किताबें बेचने वालों की दुकानें हैं। किताबों की दुनिया मुर्दों और ज़िंदों दोनों के बीच की दुनिया है। यहाँ हर शख़्स कह सकता है कि “हम भी इक अपनी हवा बाँधते हैं।” चलें ज़रा किताबों की इस ख़याली दुनिया की सैर करें। वो एक तरफ़ अलमारी...
(दौर-ए-जदीद के शोअरा की एक मजलिस में मिर्ज़ा ग़ालिब का इंतज़ार किया जा रहा है। उस मजलिस में तक़रीबन तमाम जलील-उल-क़द्र जदीद शोअरा तशरीफ़ फ़र्मा हैं। मसलन मीम नून अरशद, हीरा जी, डाक्टर क़ुर्बान हुसैन ख़ालिस, मियां रफ़ीक़ अहमद ख़ूगर, राजा अह्द अली खान, प्रोफ़ेसर ग़ैज़ अहमद ग़ैज़, बिक्रमा जीत...
रफ़्ता-रफ़्ता दूसरे लोग भी इस बस्ती में आने शुरू’ हुए। चुनाँचे शह्र के बड़े-बड़े चौकों में तांगे वाले सदाएँ लगाने लगे, “आओ, कोई नई बस्ती को” शह्र से पाँच कोस तक जो पक्की सड़क जाती थी उस पर पहुँच कर ताँगे वाले सवारियों से इनआ’म हासिल करने के लालच में...
मशीन रुक गई। "हाँ हाँ" बेबी ने मुस्कुरा कर कहा और हाथ के इशारे से मुझे अपनी तरफ़ बुलाया। मैं अपने जुज़दान की रस्सी मरोड़ता और टेढ़े टेढ़े पांव धर्ता बरामदे के सुतून के साथ आ लगा।...
उसका चेहरा जैसा कि मैं बयान कर चुका हूँ बेहद पीला था। उस पर उसकी नाक आँखों और मुँह के ख़ुतूत इस क़दर मद्धम थे जैसे किसी ने तस्वीर बनाई है और उसको पानी से धो डाला है। कभी कभी उसकी तरफ़ देखते देखते उसके होंट उभर से आते लेकिन...
“लेकिन ऐसे अशआर की तादाद आटे में नमक के बराबर है।” “ये है आपकी सुख़न-फ़हमी का आलम और कहा था आपने,...
आली साहिब ने कहा, “अच्छा फिर किसी पाकिस्तानी शायर का नाम ही बता दीजिए कि ग़ालिब का सा हो।” बोले, “मैं ज़बानी थोड़ा ही याद रखता हूँ। शायरों के नाम, अच्छा अब लंबे हो जाईए, मुझे बजट बनाना है।”...
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