aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "کابل"
इरशाद कामिल
born.1971
शायर
अज़ीम कामिल
born.1993
सय्यद अली मियाँ कामिल
कार्ल मार्क्स
लेखक
अंजुमन तारीख़-ए-अफ़ग़ानिसतान, काबुल
पर्काशक
दीपक कामिल
born.1998
राशिद कामिल
कामिल अख़्तर
ग़ुलाम अली खाँ कामिल
रशीद कामिल
यूसुफ़ खां कम्बल पोश
कामिल अल-क़ादरी
मोहम्मद जलालुद्दीन हुसामी कामिल
कामिल जूनागढ़ूी
हकीम अनवार मोहम्मद ख़ाँ कामिल
born.1905
रबूद आँ तुर्क शीराज़ी दिल-ए-तबरेज़-ओ-काबुल रासबा करती है बू-ए-गुल से अपना हम-सफ़र पैदा
अनजाने साए फिरने लगे हैं इधर उधरमौसम हमारे शहर में काबुल के आ गए
इतनी मिठाइयाँ कौन खाता है? देखो न एक एक दुकान पर मनों होंगी। सुना है रात को एक जिन्नात हर एक दुकान पर जाता है। जितना माल बचा होता है, वो सब ख़रीद लेता है और सच-मुच के रुपये देता है। बिल्कुल ऐसे ही चाँदी के रुपये।महमूद को यक़ीन न आया। ऐसे रुपये जिन्नात को कहाँ से मिल जाएँगे।
जा के काबुल में आम का पौदाकभी परवान चढ़ नहीं सकता
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुनफ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
काबुलکابل
capital city of Afghanistan
Peer-e-Kamil
उमेरा अहमद
उपन्यास
Kabul Mein Saat Saal
उबैदुल्लाह सिंधी
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Dariya-e-Kabul Se Dariya-e-Yarmouk Tak
अबुल हसन अली नदवी
असली जवाहिर-ए-ख़मसा कामिल
शाह मोहम्मद गौस ग्वालियारी
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Kamil Ibn-e-Aseer
इस्लामियात
Dosheeza-e-Kabul
सादिक़ हुसैन सरधनवी
ऐतिहासिक
Fatah-e-Kabul
कर्बल कथा
फ़ज़्ल अली फ़ज़्ली
शिक्षाप्रद
Ajaibaat-e-Farang
Urdu Ghazal
कामिल क़ुरैशी
Karbal Katha
फ़िक्शन
Daas Capital
Dariya-e-Kabul Se Dariya-e-Yarmook Tak
Insan-e-Kamil
ज़हीर अहमद शाह ज़हिरी सहसवानी
शाह साहब ने कहा, “जी! मैं नहीं कह सकता कि जो वाक़िया मैं आपको सुनाने वाला हूँ, हर शख़्स के लिए हैरत का बाइस होगा... मैं अपनी ज़ात के मुतअल्लिक़ आपसे अर्ज़ कर रहा हूँ... और ये हक़ीक़त है कि मैं जो दास्तान आपको सुनाऊंगा, इस वक़्त तक मेरी ज़िंदगी में मुहैय्यर-उल-उक़ूल हैसियत रखती है।”शाह साहब ने नेल कटर से अपने नाख़ुन काटने शुरू किए। मैं उनकी दास्तान सुनने के लिए बेताब था, मगर शायद वो आग़ाज़ के मुतअल्लिक़ सोच रहे थे कि अपनी दास्तान को कहाँ से शुरू करूं। मेरा ख़याल दुरुस्त था कि जो कुछ उन पर बीता था, उसको कई बरस हो चुके थे। वो तमाम वाक़ियात की याद अपने ज़ेहन में ताज़ा कर रहे थे।
1903 میں میاں دانی نے اور میں نے ہندو کالج دہلی سے ایف اے کا امتحان پاس کیا اور دونوں مشن کالج میں داخل ہو گئے۔ ایف اے میں میرا مضمون اختیاری سائنس اور دانی کا عربی تھا۔ انہوں نے مجھے مشورہ دیا کہ بے اے میں عربی لے لو، دونوں کوایک دوسرے سے مدد ملے گی اور امتحان کی تیاری میں سہولت ہوگی۔ مجھے اپنے حافظے پر گھمنڈ تھا، یہ بھی نہ سمجھا کہ اس مضمون کو سن...
اکبر کی شہرت و مقبولیت کی سب سے بڑی نقیب ان کی ظرافت تھی، ان کے نام کو قہقہوں نے اچھالا، ان کی شہرت کو مسکراہٹوں نے چمکایا۔ ہندوستان میں آج جو گھر گھر ان کا نام پھیلا ہوا ہے، اس عمارت کی ساری داغ بیل ان کی شوخ نگاری و لطیفہ گوئی ہی کی ڈالی ہوئی ہے۔ قوم نے ان کو جانا مگر اسی حیثیت سے کہ وہ روتے ہوئے چہروں کو ہنسا دیتے ہیں۔ ملک نے ان کو پہنچانا مگر ...
लगता है तू काबुल में नया आया है प्यारेअफ़्ग़ान का बच्चा भी जिहादी है चला जा
हमारे बेजा शकूक और ग़लत-फ़हमियों का इस मुदल्लिल तरीक़े से अज़ाला करने के बाद उन्होंने अपना वकीलों का सा लब-ओ-लहजा छोड़ा और बड़ी गर्मजोशी से हमारा हाथ अपने हाथ में लेकर, “हम नेक-ओ-बद हुज़ूर को समझाए जाते हैं” वाले अंदाज़ में कहा, “भई, अब तुम्हारा शुमार भी हैसियत दारों में होने लगा, जभी तो बंक को पाँच हज़ार क़र्ज़ देने में ज़रा पस-ओ-पेश न हुआ। वल्लाह मैं हसद...
یہی وجہ تھی کہ لبیبہ خانم کے قافلے کو گھر چھوڑے ہوئے آج پانچواں ہفتہ تھا۔ مقبول اور چلتی ہوئی شاہراہ تو طہران اور مشہد ہوکر کوہ ہندوکش کی دشوار گزار چڑھائیاں پار اتر کر ہرات اور پھر کابل پہنچ کر کابل تا دہلی کی شاہراہ بابری سے مل جاتی تھی۔ لیکن طہران اور مشہد دونوں بہت سرد علاقوں میں واقع ہیں اور کوہ ہندوکش میں داخل ہوکر یہ شاہراہ کئی جگہ پر چار ہز...
पलंग-ओ-नमर ख़ौफ़ से मर गएजहाँ बब्बर आया नज़र सैद था
वो पाकिस्तान तो न आ सकी मगर हमने एक अहमक़ाना मन्सूबा तैयार किया। अगर प्रेम दिल्ली से बाई एयर काबुल चली जाए और मैं भी वहाँ पहुँच जाऊँ तो हम एक दूसरे को देख सकते हैं। चंद रोज़ इकट्ठे गुज़ार सकते हैं। प्रेम ने इस तजवीज़ को इंतिहाई संजीदगी से लिया और बाक़ायदा मुझसे मशवरे तलब करने लगी कि जहाज़ से उतरते हुए कौन सा लिबास पहनूँ और क्या तुम मुझे पहचान लोगे ...
دل پیش تست من چہ بہ کابل چہ قندہار زیب النساء نے جس قسم کی تعلیم پائی تھی اور خود اس کا مذاق طبیعت جس قسم کا واقع ہوا تھا، اس کے لحاظ سے وہ پالیٹکس سے بالکل نا آشنا تھی تاہم عالمگیر کے پرپیچ عہد حکومت میں وہ بھی اس بدنامی سے نہ بچ سکی۔ ۱۰۹۱ ھ میں راجپوتوں نے جب عام بغاوت کی اور عالمگیر نے ان کے دبانے کے لئے شہزادہ اکبر کو فوج گراں دے کر جودھ پور کی طرف روانہ کیا تو راجپوتوں کے بہکانے سے شہزادہ خود باغی ہوگیا۔ اور عالمگیر کے مقابلے کو بڑھا۔ زیب النساء اور شہزادہ اکبر حقیقی بھائی بہن تھے۔ دونوں میں خط و کتابت بھی تھی۔ یہ خطوط پکڑے گئے اور عالمگیر نے اس کے انتقام میں زیب النساء کی تنخواہ جو چار لاکھ سالانہ تھی بند کردی۔ اس کے ساتھ تمام مال و متاع ضبط کر لیا گیا اور قلعہ سلیم گڑھ میں رہنے کا حکم ہوا لیکن معلوم ہوتا ہے کہ بہت جلد اس کی بے گناہی ثابت ہوئی اور عفو قصور کر دیا گیا کیونکہ ۱۰۹۴ ھ میں جب حمیدہ بانو بیگم (والدہ روح اللہ خاں) نے انتقال کیا، تو رسم تعزیت ادا کرنے کے لئے عالمگیر نے زیب النساء کو روح اللہ کے گھر بھیجا۔ اسی سن میں جب شہزادہ کام بخش (عالمگیر کا سب سے چھوٹا بیٹا) کی شادی ہوئی تو تقریب کی رسمیں زیب النساء ہی کے محل میں ہوئیں اور عالمگیر کے حکم سے تمام ارکان دربار زیب النساء کی ڈیوڑھی تک پا پیادہ گئے۔
ये वो बातें हैं जिन्हें मैं अपने आपसे करते हुए भी डरता हूँ। कोई नादीदा हाथ अगर उसके और मेरे ताल्लुक़ को मेरी कानफ़िडेंशियल रिपोर्ट (Confidential Report) में लिख दे तो मैं मातूब ठहरूं। भला कहीं दुश्मन भी दोस्त बनाए जाते हैं? लोग बनाते होंगे, हम नहीं बनाते।वहशत मेरे अंदर भंवर डालने लगती है। मैं इधर उधर निगाह डालता हूँ। मेरी स्टडी के फ़र्श पर दीवार ता दीवार सफ़ेद क़ालीन है जिस पर किरमान शाही ग़ालीचे बिछे हैं। ये ग़ालीचे मैंने जंग ज़दा काबुल के कूचा मुर्ग़ां की एक तंग और नीम तारीक दुकान से ख़रीदे थे। मैं गाव तकियों से टेक लगाए बैठा हूँ, सामने बर्फ़ की डलियों से भरी हुई चांदी की बाल्टी है, शराब है, भुने हुए नमकीन काजू और बादाम हैं, सिंके हुए गोश्त के पारचे हैं। नज़र उस से आगे जाती है तो टीक वुड (Teak Wood) की दीवारगीर अलमारियां हैं। उनके पीछे वो सेफ है जिसमें डालर और पौंड की गड्डियां हैं। दूसरी क़ीमती अश्या हैं। इस की बनाई हुई 'बनी ठनी' है जिसे मैं शदीद ख़्वाहिश के बावजूद अपने घर की किसी दीवार पर आवेज़ां करने की हिम्मत न कर सका। ये उन अलमारियों का बातिन है और उनके ज़ाहिर में क़ीमती किताबें सजी हुई हैं। दुनियाभर से जमा किए हुए नवादिरात हैं, सबसे ऊपर किसी ख़त्तात का एक शाहकार है और तुम अपने रब की किन किन नेअमतों को झुटलाओगे। मेरी निगाहें अलमारी के इस ताक़चे तक आई हैं जिसमें महात्मा बुध का वह मुजस्समा है जिसे Fasting Buddha के नाम से याद किया जाता है। त्याग और तपस्या ने कपिल वस्तु शहज़ादे का बदन घुला दिया है, गिनी जा सकती हैं। पेट पीठ से जा लगा है उसकी धंसी हुई और पथराई हुई आँखों से मुझे डर लगता है। मैं घबरा कर किसी और शय को देखने लगता हूँ। उसकी आँखें भी मेरे वजूद को हर्फ़ हर्फ़ पढ़ती थीं और मुझे उसकी आँखों से भी डर लगता था फिर भी दिल उसकी तरफ़ खिंचता था।
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books