aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گپھا"
अनंत गुप्ता
born.1990
शायर
कालीदास गुप्ता रज़ा
1925 - 2001
लेखक
राम अवतार गुप्ता मुज़्तर
born.1936
निधि गुप्ता कशिश
born.1986
जौहर देवबंद
born.1912
शम्पा अंदलीब
born.1987
यशपाल गुप्ता
born.1928
सीमा गुप्ता
रजत गुप्ता अहद
1993 - 2020
अनुभव गुप्ता
विहान गुप्ता गर्ग
born.1999
विहान गुप्ता
आलोक गुप्ता
केफ़ी
एस. एन. दास गुप्ता
बदन की अंधी गुफा में छुपा हुआ होगाबढ़ा के हाथ
कौन सा वो जादू है जिस से ग़म की अँधेरी सर्द गुफा मेंलाख निसाई साँस दिलों के रोग मिटाने आ जाते हैं
उसे कहना दिसम्बर आ गया हैदिसम्बर के गुज़रते ही बरस इक और माज़ी की गुफा में डूब जाएगा
"नहीं जी, अम्मी॒", गुलरेज़ शर्मिंदा हो गया और अपने दोस्त का हाथ पकड़ कर साथ के कमरे में ले गया। उस कमरे में सुर्ख़ रंग के सोफ़े पर एक लड़की स्वेटर बुन रही थी। उस के पहलू में चीनी की एक छोटी सी रकाबी में खिलें पड़ी थीं। गुलरेज़ ने...
धूप दीवारों पे चढ़ कर देखती ही रह गईकौन सूरज को अँधेरों की गुफा तक ले गया
गुफाگپھا
cave
Deewan-e-Ghalib Kamil
मिर्ज़ा ग़ालिब
दीवान
गधा कहानी
मिर्ज़ा अदीब
हास्य-व्यंग
ग़ालिब
संकलन
तारीख़-ए-हिंदी फ़लसफ़ा
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
बालों का घुच्छा (नॉवेल) : शुमारा नम्बर-072
अजमल कमाल
आज
Mujarrabat-e-Gupta
बाबू देवी दयाल गुप्ता
Asadulla Khan Ghalib Murd
मज़ामीन / लेख
Anar Kali Ke Kirdar Aur Tabsire
एम एल गुप्ता
Ghalib Durun-e-Khana
जीवनी
एक गधा शेर बना
इस्माइल मेरठी
नज़्म
Ghalib Ki Baz Tasanif Ke Bare Mein
शायरी तन्क़ीद
Chakbast Aur Baqiyat-e-Chakbast
आलोचना
Bewaqoof Gadha
एम. के. पाशा
कहानी
Jahan-e-Ustad Dagh Dehlvi
Calcutta Ka Balwa
आर. एल. गुप्ता
मसनवी
बेहतर है पलट जाओ सियह-ख़ाना-ए-ग़म सेइस सर्द गुफा में तो हवा तक नहीं आती
अ’ज़ीज़ा कुछ न बोला और जय चंद ने महफ़िल बर्ख़ास्त कर दी। अ’ज़ीज़ा और रफ़ी चले गये और रसोईया जय चंद और सूरज कुमारी के बिस्तर लगा कर हमारे पास आ बैठा। सूरज कुमारी पूछ रही थी, “बाबूजी! सुना है गुफा में कबूतरों का जोड़ा भी दर्शन देता है।”...
और एक दिन जैसे बाप ने ज़िंदगी की दूर तक फैली गुफा में अपने मुस्तक़बिल का इख्तितामिया पढ़ लिया था। बस, यही बच्चे। इन्ही में समाई ज़िंदगी और। यही इख्तिताम है। फ़ुल स्टप?” वो अंदर तक लरज़ गए थे।...
بے در و دیوار ناٹک گھر بنایا چاہیے صحیح نام اور پتہ بتانےسے ہم قاصر ہیں، اس لیے کہ اس میں کچھ پردہ نشینوں کے بھی نام آتے ہیں۔ سردست اتنا اشارہ کافی ہوگا کہ اس تھیٹر کو اداکاروں کی ایک کوآپریٹیو سوسائٹی نقصان باہمی کی بنیاد پر چلا رہی...
शब की फ़र्श-ए-मरमरीं परशबनम-आगीं धुँद की नीली गुफा में
मिरी तलाश में निकली थी आफ़्ताब की फ़ौजजो मैं गुफा से निकलता तो आज मर जाता
اتنے بھائیوں کی خوشی حاصل کرنی سراسر مہنگی پڑی۔ ادھر گھر کے کاموں میں رخنہ پڑ گیا صبح تو خیر سدا ہی سے اٹھتے تھے اور اب بھی اٹھتے۔ اس لئے صبح کے کاموں کی برابری تو ہو ہی جاتی مگر دن بھر جو ادھر ادھر ٹلے کھاتے پھرتے تھے...
कारवाँ 'ख़ुर्शीद' जाने किस गुफा में खो गयारौशनी कैसी कि सहरा में सदा कोई नहीं
तुम ख़्वाबों की ताबीर से डर करलफ़्ज़ों की तारीक गुफा में छुप रहने के मुजरिम हो
जा छुपे अंधी गुफा में जो क़द-आवर लोग थेऔर बौनों की हुई है हुक्मरानी हर तरफ़
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