aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "एहतिज़ाज़"
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
1943 - 1986
शायर
सय्यद एहतिशाम हुसैन
1912 - 1972
लेखक
एहतिशाम अख्तर
born.1944
राज़ एहतिशाम
born.1994
कलीम उस्मानी
1928 - 2000
एहतिशाम अली
born.1983
एहतिशाम बछरायूनी
born.1939
एहतिशाम हसन
born.1969
एतिज़ाज़ अहसन
मुनज़्ज़ा एहतिशाम गोंदल
born.1984
क़ाज़ी एहतिशाम बछरौनी
मोहम्मद एहतिशाम कटोनोवी
एहतिशाम-उल-हक़ आफ़ाक़ी
born.1995
सय्यद एहतिशाम अहमद नदवी
born.1925
एहतिशाम अली रहीमाबादी
रोना इलाज-ए-ज़ुल्मत-ए-दुनिया नहीं तो क्याकम-अज़-कम एहतिजाज-ए-ख़ुदाई है रोइए
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी होअगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी हो
गोया ‘दिल में बसाओ’ प्रोग्राम को अ’मली जामा पहनाने के लिए महल्ला ‘मुल्ला शकूर’ की इस कमेटी ने कई प्रभात फेरियाँ निकालीं। सुबह चार-पाँच बजे का वक़्त उनके लिए मौज़ूँ तरीन वक़्त होता था। न लोगों का शोर, न ट्रैफ़िक की उलझन। रात-भर चौकीदारी करने वाले कुत्ते तक बुझे हुए...
ये मस्अला कोई महीने भर तक बलदिया के ज़ेर-ए-बहस रहा और बिल-आख़िर तमाम अराकीन की इत्तिफ़ाक़-ए-राय ये अम्र क़रार पाया कि ज़नान-ए-बाज़ारी के ममलूका मकानों को ख़रीद लेना चाहिए और उन्हें रहने के लिए शह्र से काफ़ी दूर कोई अलग-थलग इलाक़ा दे देना चाहिए। उन औरतों ने बलदिया के इस...
कुत्तों के भौंकने पर मुझे सब से बड़ा एितराज़ ये है कि उनकी आवाज़ सोचने के तमाम क़ुवा को मुअत्तल कर देती है। ख़ुसूसन जब किसी दुकान के तख़्ते के नीचे से उनका एक पूरा खुफ़िया जलसा बाहर सड़क पर आ कर तब्लीग़ का काम शुरू कर दे तो आप...
मजबूरी ज़िंदगी में तसलसुल के साथ पेश आने वाली एक सूरत-ए-हाल है जिस में इंसान की जो थोड़ी बहोत ख़ुद-मुख़्तारियत है वो भी ख़त्म हो जाती और इंसान पूरी तरह से मजबूर हो जाता है और यहीं से वो शायरी पैदा होती है जिस में बाज़ मर्तबा एहतिजाज भी होता है और बाज़ मर्तबा हालात के मुक़ाबले में सिपर अंदाज़ होने की कैफ़ियत भी। हम इस तरह के शेरों का एक छोटा सा इंतिख़ाब पेश कर रहे हैं।
ज़लज़ला एक क़ुदरती आफ़त है जिससे बाज़-औक़ात बड़ी बड़ी इन्सानी तबाहिया हो जाती हैं और इन्सान की अपनी सी सारी तैयारियाँ यूँ ही धरी रह जाती हैं। हमारे मुन्तख़ब-कर्दा ये शेर क़ुदरत के मुक़ाबले में इन्सानी कमज़ोरी और बेबसी को भी वाज़ेह करते हैं और साथ ही इस बेबसी से फूटने वाले इन्सानी एहतिजाज और ग़ुस्से को भी।
एहतिज़ाज़اہتزاز
swaying, undulating
उर्दू की कहानी
भाषा
Tanqeed Aur Amali Tanqeed
आलोचना
Gaudan Ka Tanqeedi Mutala
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
जदीद अरबी अदब का इर्त्क़ा
इतिहास
Urdu Adab Ki Tanqeedi Tarikh
Sahil Aur Samundar
Urdu Adab Ki Tanqeedi Tareekh
Tanqeed Aur Amli Tanqeed
अरबी शायरी के जदीद रुजहानात
साहित्यिक आंदोलन
Urdu Ki Kahani
सीखने के संसाधन
Zauq-e-Adab Aur Shuoor
Josh Malihabadi: Insan Aur Shair
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Etibar-e-Nazar
चुनांचे उसने दूसरे रोज़ एक तवील ख़त लिखा और जब वो कॉलिज से वापस आ रहा था, टांगे में यासमीन को देखा, वो उतर कर किराया अदा कर चुकी थी और घर की जानिब जा रही थी, ख़त उसके हाथ में दे दिया। उसने कोई एहतिजाज न किया। एक नज़र...
मगर नसीर को पा कर उसकी सूखी टहनी में जान सी पड़ गई थी। उस में हरी पत्तियाँ निकल आई थीं। वो ज़िंदगी जो अब तक ख़ुश्क और पामाल थी उसमें फिर रंग-ओ-बू के आसार पैदा हो गए थे। अंधेरे बयाबान में भटके हुए मुसाफ़िर को शम्मा की झलक नज़र...
ताराबाई की आँखें तारों की ऐसी रौशन हैं और वो गर्द-ओ-पेश की हर चीज़ को हैरत से तकती है। दर असल ताराबाई के चेहरे पर आँखें ही आँखें हैं । वो क़हत की सूखी मारी लड़की है। जिसे बेगम अल्मास ख़ुरशीद आलम के हाँ काम करते हुए सिर्फ़ चंद माह...
मैं वर्ना हर लिबास में नंग-ए-वजूद था महबूब ने अपनी गली के ऐन दरमियान आपकी क़ब्र खुदवाना शुरू कर दी लेकिन आप भी कोई कच्ची गोलियां खेले हुए नहीं थे। झट ब-आवाज़-ए-बुलंद उस नामाक़ूल हरकत पर पुरज़ोर एहतिजाज करते हुए फ़रमाने लगे,...
ग़रज़ सारा मुल्क नफ़्स-परवरी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। सबकी आँखों में साग़र-ओ-जाम का नशा छाया हुआ था। दुनिया में क्या हो रहा है... इल्म-ओ-हिकमत किन-किन ईजादों में मसरूफ़ है... बहर-ओ-बर पर मग़रिबी अक़्वाम किस तरह हावी होती जाती हैं... इसकी किसी को ख़बर न थी। बटेर लड़ रहे...
वो पट्टा बड़ा ढीला था और घूमते हुए बार-बार फटफटाता था और काम करने वालों के एहतिजाज के बावुजूद उसे िमल मालिकों ने नहीं बदला था क्योंकि काम चल रहा था और दूसरी सूरत में थोड़ी देर के लिए काम बन्द करना पड़ता है। पट्टे को तब्दील करने के लिए...
काँटों से एहतिजाज किया है कुछ इस तरहगुलशन की डाल डाल पे हम रक़्स कर गए
ख़ैर एडीसन की बिसात ही क्या थी, बर्क ने पूरी किताब इसी मौज़ू पर लिखी है कि ख़ूबसूरती को कैसे पहचानें। वो ख़ुद कहता है कि “मेरी इस छानबीन का मक़सद ये पता लगाना है कि क्या ऐसे कोई उसूल हैं जो इंसानी तख़य्युल पर यकसाँ तरीक़े से असरअंदाज़ होते...
सुनेगा कौन मगर एहतिजाज ख़ुश्बू काकि साँप ज़हर छिड़कता रहा चमेली पर
लड़का थर थर काँपता हुआ, आकर आंगन में खड़ा हो जाता है, दोनों बच्चियां घर में छुप जाती हैं कि ख़ुदा जाने क्या आफ़त नाज़िल होने वाली है, छोटा बच्चा खिड़की से चूहे की तरह झांक रहा है, आप जामें से बाहर हैं, हाथ में छड़ी है, मैं भी वो...
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