aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ड्राइंग"
"कैसी प्राब्लम?" सब ड्राइंग रुम लोरज़ हैं, ठंडी नशिस्त गाहों में, अनन्नास के क़त्ले और कोल्ड काफ़ी का गिलास सामने रख कर मोहब्बत की सर्द आहें भरने वाले आशिक़ हैं। यूकिलिप्टस की पत्तियों का फ़्रैंच इतर कानों पर लगा कर कहानियाँ लिखने वाले अफ़्साना निगार हैं। क़ौम, मज़हब, मिल्लत और...
ड्राइंग रूम में दाख़िल होते ही शेख़ मोहम्मद शम्सुल हक़ साहब क मामू जान क़िबला दीवारों पर क़तार अंदर क़तार आवेज़ाँ तस्वीर-ए-बुताँ को आँखें फाड़-फाड़ के देखने लगे। हर तस्वीर को एक दफ़ा फिर हम पर वो निगाह डालते, जो किसी तरह ग़लत अंदाज़ न थी। जैसी नज़्रों से वो...
तक़ी की नाक की चोंच पर पसीने के क़तरे नुमूदार हो जाते, “मैं तो... मैं तो ड्राइंग सीख रहा हूँ।” वली मोहम्मद उसे और छेड़ता, “ड्राइंग चेहरे की सीखो, ये किस ड्राइंग मास्टर ने तुमसे कहा कि पहले नंगी टांगों से शुरू करो।”...
मुझे “उसका” इन्तिज़ार है। “वो” अन्दर का रेडार में खुलने वाले दरवाज़े से पर्दा सरका कर मुस्कुराता हुआ निकलेगा और मैं बौखलाहट में उठ कर उस की तरफ़ बढ़ूँगा। और फिर हम दोनों बड़ी गर्म जोशी से मिलेंगे। वो बड़ा ख़ुश सलीक़ा आदमी है। ड्राइंग-रुम की सजावट, रंगों का इन्तिख़ाब,...
उन ही के बड़े भाई, ड्राइंग रुम के अदीब कहलाते हैं। ये पूरे अदब को उसी नज़र से देखते हैं, गोया अपने मातहतों को झिड़क रहे हों। कोई उनकी नज़र में समाता ही नहीं। उनकी ज़ाती लाइब्रेरी शहर और यूनीवर्सिटी की बड़ी से बड़ी लाइब्रेरियों का मुक़ाबला करती है। जिसमें...
ड्राइंगڈرائنگ
drawing,
मैरीन ड्राइव
फ़िल्मी-नग़्मे
ड्राइंग रुम का दरवाज़ा खुला था। ताहिरा गैलरी में खड़ी थी। यहां उनका डोर प्लांट, दीवारों के साथ सजे थे। फ़र्श पर ईरानी क़ालीन के टुकड़े थे। दीवार पर आराइशी आईना नस्ब था। लम्हा भर को उस आईने में ताहिरा ने झांक कर देखा। अपने बाल दुरुस्त किए और खुले...
मैंने उसे ले जा कर ड्राइंग रुम में बिठा दिया। "आलीजाह, आलम-पनाह,यहां आराम से बैठें। सामने टेप रखे हैं। क्लासिकी, नीम क्लासिकी मौसीक़ी, ग़ज़ल, जो जी चाहे मुंतख़ब करें और सुनें। ख़ुद सोचिए कि जैसा सुकून यहां है, क्या वो किसी भी बार में मयस्सर आ सकता था?" मैंने झुक...
सियासी घाग को क़ौम और हुकूमत के दरमियान वही हैसियत हासिल होती है जो क़िमारख़ाने के मैनेजर को क़िमारबाज़ों में होती है। या'नी हार-जीत किसी की नफ़ा उसका! वह सदारत की कुर्सी पर सबसे ज़्यादा हार पहनकर तालियों और नारों की गूंज में बैठता है और तहरीर-ओ-तक़रीर में प्रेस और...
“यार तुम अब भी पहले की तरह घामड़ बातें करते हो। मेरा पूरा नाम हाज़िरी के वक़्त ड्राइंग मास्साब के ‘अलावा और कौन पुकारता था।” सरफ़राज़ ये सुनकर मुस्कुराया, हालाँकि घामड़ वाला जुमला उसे बुरा लगा था लेकिन वो सोच कर मुतमइन हो गया कि आज मैं अफ़सर की ऊँची...
कहना ये था हम तो मशरिक़ मग़रिब हैंमेरे हाँ तो कोई ड्राइंग-रूम नहीं
ज़िंदगी का पहला सफ़र उन्ही अंधेरों में कटा। शायद इस दुनिया का यही दस्तूर है कि जो उजालों की चाह करते हैं उन्हीं को अँधेरे मिलते हैं। अपने पीछे हम कैसी ज़िंदगी छोड़ आए थे? भरा पुरा घर। हँसता झूमता वो बाग़। पोर्टिको में अभी-अभी आकर खड़ी हुई कार। वो...
अब घर में दोनों मियां-बीवी के इलावा छोटा बेटा, उसकी बीवी और उनका बेटा रह गए थे। पोता अभी स्कूल नहीं जाता था। वो दिन भर उस से खेलता रहता। तीन चार महीने भी नहीं गुज़रे थे कि छोटा बेटा भी बीवी-बच्चों के साथ बाहर चला गया। अब घर में...
तैयार हो कर जब उन्होंने ड्राइंग-रूम में क़दम रखा तो उन्हें लग रहा था कि वो एक लंबी मसाफ़त तै करके आए हैं। ड्राइंगरूम में कोई पाँव पर पाँव रखे सोफ़े पर नीम-दराज़ अख़बार पढ़ रहा था। उनके क़दमों की आहट सुनकर वो चौंका। उन पर नज़र पड़ते ही यक-लख़्त...
आदी-बासियों की बनाई हुई चीज़ें या देही सन्नाओं’ की तैयार-कर्दा अश्या का हाल (PRESENT) अगर नौ-दौलते तब्क़े के ड्राइंग रूम्ज़ से वाबस्ता है तो यक़ीन जानिए कि उनका मुस्तक़बिल सिर्फ़ म्यूज़ीयम्स (MUSEUMS) में महफ़ूज़ रहेगा। सारिफ़ियत लफ़्ज़ों के मअ’नी बदल देती है कि अब इन्क़िलाब फ़िक्र में और क़ौमों की...
ایک روزشام ڈھلے میں ایک میڈیکل سٹور سے دوائی لے رہا تھا کہ موبائل پر Miss Call نے متوجہ کیا۔ نمبر دیکھا تو اجنبی تھا۔ رانگ نمبر معمول ہوں تو توجہ دینا عبث ٹھہرتا ہے۔ وقت کے ضیاع کے سوا کچھ ہاتھ نہیں آتا۔ پانچ منٹ بعد اُسی نمبر سے...
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