aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "पठान"
अमान पठान
born.1992
शायर
सुफ़यान सूफ़ी
डॉ. ज़ाहिदा पठान
लेखक
एस. एन. पठान
मक्तबा जमात-ए-इस्लामी, पठान कोट, पंजाब
पर्काशक
मोहम्मद शाहिद पठान
इरफ़ाना समद, पठान टोली, आलमगंज, पटना
शहाबुद्दीन नूर मोहम्मद पठान
पठानी पटनायक
संपादक
राय परान नाथ
शायद आप क़ियास कर रहे हों कि बेला और बतूल मेरी लड़कियां हैं। नहीं ये ग़लत है मेरी कोई लड़की नहीं है। इन दोनों लड़कियों को मैंने बाज़ार से ख़रीदा है। जिन दिनों हिंदू-मुस्लिम फ़साद ज़ोरों पर था, और ग्रांट रोड, और फ़ारस रोड और मदन पुरा पर इन्सानी ख़ून...
बाज़ार में ताँगा खड़ा है चिरंजी उसको साफ़ कर रहा है, इतने में एक पठान आता है और चिरंजी से उन दो सौ रूपों का तक़ाज़ा शुरू कर देता है जो उसने क़र्ज़ ले रखे हैं। पठान रोज़-रोज़ के वा’दों से तंग आया हुआ है, चुनांचे वो चिरंजी से बड़े...
जब मैं पेशावर से चली, तो मैंने छकाछक इत्मीनान का साँस लिया। मेरे डिब्बों में ज़्यादा-तर हिंदू लोग बैठे हुए थे। ये लोग पेशावर से होते हुए मरदान से, कोहाट से, चारसद्दा से, ख़ैबर से, लंडी कोतल से, बन्नूँ, नौशेरा से, मानसहरा से आए थे और पाकिस्तान में जान-ओ-माल को...
मेरी बीवी को अपने वज़ीर-ए-आज़म की बातें सुनने का बहुत शौक़ है मगर मैं उसे अपने साथ नहीं ले जा सकता क्योंकि हमारे आठ बच्चे हैं और घर में हर वक़्त परेशानी सी रहती है। जब देखो कोई न कोई चीज़ कम हो जाती है। राशन तो रोज़ कम पड़...
मैं तस्हीह करने ही वाला था कि नरायन की बुलंद आवाज़ कानों के अंदर घुसी, “औरत! पेशावर की औरत। ख़ू, बेजो उस को जल्दी। ख़ू हम भी क़सूर का पठान है।” मैंने कहा, “बकवास न करो नरायन सुनो, कल दक्कन क्वीन से मैं उन्हें बंबई भेज रहा हूँ। सईद या...
तौबा, उर्दू की मधुशाला शायरी की मूल शब्दावली है । तौबा को विषय बनाते हुए उर्दू शायरी ने अपने विषय-वस्तु को ख़ूब विस्तार दिया है । ख़ास बात ये है कि पश्चाताप का विषय उर्दू शायरी में शोख़ी और शरारत के पहलू को सामने लाता है । मदिरा पान करने वाला पात्र अपने उपदेशक के कहने पर शराब से तौबा तो करता है लेकिन कभी मौसम की ख़ुशगवारी और कभी शराब की प्रबल इच्छा की वजह से ये तौबा टूट जाती है । यहाँ प्रस्तुत चुनिंदा शायरी में आप उपदेशक और शराब पीने वाले की शोख़ी और छेड़-छाड़ का आनंद लीजिए ।
पान हिन्दुस्तानी तहज़ीब का एक अहम हिस्सा है। हिन्दुस्तान के एक ब़ड़े हिस्से में पान खाना और खिलाना समाजी राब्ते और तअल्लुक़ात को बढ़ाने और मेहमान-नवाज़ी की रस्म को क़ायम रखने का अहम ज़रिया है। पान की लाली अगर महबूब के होंठों पर हो तो शायर इसे सौ तरह से देखता और बयान करता है। आप भी मुलाहिज़ फ़रमाइये पान शायरी का यह रंगः
पठानپٹھان
Pathan-hillbilly
Sahbai Ki Farsi Tasaneef Ka Tanqeedi Mutala
शायरी तन्क़ीद
Tafheem-o-Tanqeed
मज़ामीन / लेख
Zar-e-Naqd
लेख
अाख़िरी पटठान
इक़बाल अंसारी
नॉवेल / उपन्यास
Tabeer-o-Taveel
Hindutva Ka Matlab Bhartiya Yakjahti
अन्य
Tafheem-o-Tahseen
Juye Sheer
Zarb-e-Sang-e-Tarash
Joo-e-Sher
काव्य संग्रह
गणेश प्राण मंजूम
मुंशी शंकर दयाल फ़रहत
महा-काव्य
Yasu Martha Ko Pyar Karta Tha
क्रिश्चियन
'वज़ीर-आग़ा' पठान हैं साथ साथ यारों के यार भी हैंपकड़ के वो तुम को पीट देंगे मैं कल उन्हें साथ ला रहा हूँ
“जी नहीं, डेढ़ से ज़्यादा एक क़तरा भी नहीं।” करीम एक थर्ड क्लास बिल्डिंग के पास ठहर गया। जिसके एक कोने में छोटे से मैले बोर्ड पर मेरीना होटल लिखा था। नाम तो ख़ूबसूरत था मगर इमारत निहायत ही ग़लीज़ थी। सीढ़ियां शिकस्ता, नीचे सूद खोर पठान बड़ी बड़ी शलवारें...
शेर, हवाई जहाज़, गोली, ट्रक और पठान रिवर्स गियर में चल ही नहीं सकते।...
बड़ी गड़बड़ हुई, आख़िर समझौता हो गया... रंडी वहीं कोठे पर रही और ख़ान साहब उसके शौहर की हैसियत से उसके साथ रहने लगे। सादिक़ ने मुझ से कहा, “ख़ान अजीब-ओ-ग़रीब आदमी है... इतने ऊंचे घराने से तअल्लुक़ रखता है। अख़बारी और सियासी दुनिया में नाम रखता है, लेकिन उसे...
मुझे मालूम नहीं कैसे और कब मैंने तहय्या कर लिया कि चोरी करूंगा... मुझे ये मालूम नहीं कि मुझे कैसे मालूम हुआ कि... मुहल्ले में एक बेवा औरत रहती है जिसके पास बेअंदाज़ा दौलत है। अकेली रहती है... मैं वहां रात के दो बजे पहुंचा। ये मुझे पहले ही मालूम...
उम्मीदवार के लिए सबसे बढ़कर ज़रूरी ये है कि वो काम-चोर न हो, एक नौजवान को हमने शुरू में तर्जुमे का काम दिया। चार दिन के बाद उससे एक नोट लिखने को कहा तो बिफर कर बोले कि मैं मुतर्जिम हूँ सब एडिटर नहीं हूँ। एक दूसरे साहिब को तर्जुमे...
उसको धन-दौलत की कोई परवाह नहीं थी। वो एक ऐसे नौजवान के ख़्वाब देखती थी जिसको माबूद बना कर उसकी सारी ज़िंदगी इबादत में गुज़र जाये। इश्क़-ओ-मुहब्बत की जाएनमाज़ पर वो मुजस्सम सजदा थी। उसकी माँ उसे ऐबट आबाद ले गई तो वहां मर्दों और औरतों से मिली-जुली महफ़िल मुनअक़िद...
"वो लोग पठान हैं, और अगर सय्यद भी होते तब भी हमें उनके तौर-तरीक़े पसंद न आते और भाई जान सबसे बड़ी बात तो ये है कि लड़का हमें बिल्कुल पसंद नहीं। आवारा है।"मैं "हूँ " करके थोड़ी देर चुप रहा। फिर बोला, "मगर ज़ाहिर है कि निसी बेटी को...
दस राउंड चलाने और तीन आदमियों को ज़ख़्मी करने के बाद पठान भी आख़िर सुर्ख़-रु हो ही गया। एक अफ़रा तफ़री मची थी। लोग एक दूसरे पर गिर रहे थे। छीना झपटी हो रही थी। मार धाड़ भी जारी थी।...
ताहिरा एक मशहूर इश्क़ पेशा मूसीक़ार की ख़ूबसूरत लड़की थी। अता यज़्दानी एक पठान आढ़ती का लड़का था। पहले शायरी शुरू की, फिर ड्रामा निगारी, उसके बाद आहिस्ता आहिस्ता फ़िल्मी कहानियां लिखने लगा... ताहिरा का बाप अपने आठवीं इश्क़ में मशग़ूल था और अता यज़्दानी अल्लामा मशरिक़ी की ख़ाकसार तहरीक...
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books