aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बिला"
हारिस बिलाल
born.1993
शायर
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
born.1980
बिलाल सहारनपुरी
born.1983
आसिफ़ बिलाल
born.2002
हमज़ा बिलाल
born.1992
बिलाल अहमद
born.1979
बिलाल असवद
born.1985
बिलाल राज़
born.1994
अब्दाल बेला
लेखक
बिलाल हसन मिंटो
बिलाल साबिर
born.1995
मोहम्मद बिल हसन शरार
आमिर किताब घर बटला हाउस, नई दिल्ली
पर्काशक
बिलाल अबदुल हई हसनी नदवी
शाहिद बिलाल
ख़ुदाबख़्श और सुल्ताना का आपस में कैसे संबंध हुआ ये एक लंबी कहानी है। ख़ुदाबख़्श रावलपिंडी का था। इन्ट्रेंस पास करने के बाद उसने लारी चलाना सीखा, चुनांचे चार बरस तक वो रावलपिंडी और कश्मीर के दरमियान लारी चलाने का काम करता रहा। इसके बाद कश्मीर में उसकी दोस्ती एक...
जब हमने इंटरेन्स पास किया तो मक़ामी स्कूल के हेड मास्टर साहब ख़ास तौर से मुबारकबाद देने के लिए आये। क़रीबी रिश्तेदारों ने दा’वतें दीं। मोहल्ले वालों में मिठाई बांटी गयी और हमारे घर वालों पर यक लख़्त इस बात का इंक्शाफ़ हुआ कि वह लड़का जिसे आज तक अपनी...
मौसम बहुत वाहियात क़िस्म का था। सवा चार बज चुके थे। सूरज ग़ुरूब होने की तैयारियां कर रहा था लेकिन मौसम निहायत ज़लील था। पसीना था कि छूटा जा रहा था। ख़ुदा मालूम कहाँ से मसामों के ज़रिए इतना पानी निकल रहा था। सुरेंद्र ने कई मर्तबा ग़ौर किया था...
ग़ालिब: तुम्हें क्या, तुमने तो अपने खाने पीने के बर्तन अलग कर ही लिये। उमराव: (तेज़ हो कर) क्यों न करती। हाँ, ख़ूब याद आया। तुमने मुझे उस मकान की महल सरा देखने को भेजा था। अभी देखकर आई हूँ। तुम कहते थे दीवानख़ाना बहुत अच्छा है। महल सरा भी...
आनंदी, “आज तो कुल पाव भर था। वो मैंने गोश्त में डाल दिया।” जिस तरह सूखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है। उसी तरह भूक से बावला इंसान ज़रा-ज़रा बात पर तुनक जाता है। लाल बिहारी सिंह को भावज की ये ज़बान-दराज़ी बहुत बुरी मालूम हुई। तीखा हो कर बोला।...
नज़्मों का विशाल संग्रह - उर्दू शायरी का एक स्वरुप नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म गद्द-कविता भी उर्दू में स्थापित हो गई है।
कोई भी इन्क़लाब मुहब्बत के बिना अधूरी है | यही वजह है कि जितने भी इन्क़लाबी शायर हुए उन्होंने मुहब्बत के हवाले से बेहतरीन शेर कहे | यहाँ चंद ऐसी ही ग़ज़लें दी जा रही हैं, जिससे ये समझा जा सके कि इन्क़बाली शायरों की शायरी में रूमानियत का क्या रूप था
फ़िल्म और अदब में हमेशा से एक गहरा तअल्लुक़ रहा है ,अगर बात हिन्दुस्तानी फ़िल्मों की हो तो उनमें इस्तिमाल होने वाली ज़बान, डायलॉगज़ , स्क्रीन राईटिंग और नग़मो में उर्दू का हमेशा से बोल-बाला रहा है जो अब तक जारी है। आज इस कलेक्शन में हमने राजा मेहदी ख़ान के कुछ मशहूर नग़्मों को शामिल किया है । पढ़िए और क्लासिकल गानों का लुत्फ़ लीजिए।
बिलाبلا
without
Tareekh-e-Jhang
बिलाल जुबैरी
Ajab Hote Hai Shair Bhi
संकलन
सवानेह मुफ़क्किर-ए-इस्लाम हज़रत मौलाना सय्यद अबुल हसन अली नदवी
जीवनी
Tazkira Auliya-e-Jhang
तज़किरा
हज़रत बिलाल
सलीम गीलानी
Asli Janam Saakhi
भाई बाला
सफ़रनामा-ए-बिलाद-ए-इसलामिया
अबदुर्रहमान अमृतसरी
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Safar-e-Lucknow
रॉय बाला प्रशाद गौड़
हज़रत बिलाल बिन रबाह
अब्बास महमूदुल इक़ाद
Khushbu Ka Karobar
ताहिर बिलाल
काव्य संग्रह
ग़ुरूर का बदला
मोहम्मद इफ़्तिख़ार खोखर
कहानी
Al-Ehata Fee Akhbar-e-Ghar Natah
मोहम्मद लिसानुद्दीन बिल ख़तीब
अनुवाद
मेरा बल्ला कहाँ है?
मीरा तेंदुलकर
बाल-साहित्य
Actors Ki AAp Beeti
मिस बिमला कुमारी
आत्मकथा
Model Town
कि़स्सा / दास्तान
इतने में भेड़ें खेत के पास आ गईं। झींगुर ने ललकार कर कहा, अरे ये भेड़ें कहाँ लिए आते हो। कुछ सूझता है कि नहीं? बुद्धू इन्किसार से बोला, महतो, डांड पर से निकल जाएँगी, घूम कर जाऊँगा तो कोस भर का चक्कर पड़ेगा। झींगुर, तो तुम्हारा चक्कर बचाने के...
चोंचों और चुहलों का ये सिलसिला शायद कुछ देर और जारी रहता कि इतने में एक साहब ने हिम्मत करके मरहूम के हक़ में पहला कल्मा-ए-ख़ैर कहा और मेरी जान में जान आई। उन्होंने सही फ़रमाया, “यूँ आंख बंद होने के बाद लोग कीड़े निकालने लगें, ये और बात है,...
एक मुद्दत तक ये शेवा रहा कि सुब्ह-सवेरे ज़रूरियात से फ़ारिग़ होते ही कान पर क़लम रखकर निकल खड़े होते और सारा सारा दिन बिला मुआवज़ा लोगों के ख़त लिखते फिरा करते थे लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वो किसी सोशल सर्विस लीग के मेंबर बन गए थे, मक़सद...
तो फ़ौरन बियाह दूँ लैला को तुझ सेबिला-दिक़्क़त मैं बन जाऊँ तिरी सास
जोगिंदर सिंह ने पगड़ी समेत अपने सर को एक ख़फ़ीफ़ सी जुंबिश दी और कहा, “तरक़्क़ी पसंदी... इसका मतलब तुम फ़ौरन ही नहीं समझ सकोगी। तरक़्क़ी पसंद उसको कहते हैं जो तरक़्क़ी पसंद करे। ये लफ़्ज़ फ़ारसी का है। अंग्रेज़ी में तरक़्क़ी पसंद को रेडिकल कहते हैं। वो अफ़साना निगार,...
अब तक कई किरदार आए और अपनी ज़िंदगी बता कर, अपनी एहमियत जता कर, अपनी ड्रामाईयत ज़हन नशीन कराके चले गए। हसीन औरतें, ख़ूबसूरत तख़य्युली हयूले, उसकी चार-दीवारी में अपने दिए जला कर चले गए, लेकिन कालू भंगी बदस्तूर अपनी झाड़ू सँभाले इसी तरह खड़ा है। उसने इस घर के...
ये क़िरमिज़ी रंग की भूरे रंग की साड़ी झब्बू भय्ये की औरत की है। उस औरत से मेरी बीवी कभी बात नहीं करती क्योंकि एक तो उसके कोई बच्चा वच्चा नहीं है और ऐसी औरत जिसके कोई बच्चा न हो बड़ी नहस होती है। जादू टोने कर के दूसरों के...
आवाज़ मुस्कुराई, “फुटपाथ पर आप मसहरी लगा कर सोते थे?” मनमोहन हंसा, “इससे पहले कि मैं आपसे मज़ीद गुफ़्तगु करूं। मैं ये बात वाज़ेह करदेना चाहता हूँ कि मैंने कभी झूट नहीं बोला। फुटपाथों पर सोते मुझे एक ज़माना हो गया है, ये दफ़्तर तक़रीबन एक हफ़्ते से मेरे क़ब्ज़े...
बच्चा ज़ाए करने के लिए वो हर रोज़ बीस-बीस ग्रेन कुनैन खाती थी। इससे भी उसकी तबीयत पर गिरानी सी रहती थी। अ’ज़ीज़ साहब के दिन पेशावर में उसके बग़ैर कैसे गुज़रते हैं, इसके मुतअ’ल्लिक़ भी उसको हर वक़्त फ़िक्र रहती थी। पूना पहुंचते ही उसने एक तार भेजा था।...
उसके जी में आई कि ग़ुलाम मुहम्मद को आवाज़ दे। जब वो भागा हुआ उसके सामने आजाए तो वो भरे हुए हुक़्क़े की तरफ़ इशारा करके उससे सिर्फ़ इतना कहे, “तुम निरे उल्लु के पट्ठे हो।” मगर उसने तअम्मुल किया और सोचा, “यूं बिगड़ना अच्छा मालूम नहीं होता। अगर ग़ुलाम...
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