aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बैकरी"
नज़ीर बाक़री
शायर
माजिद-अल-बाक़री
1928 - 1995
अशरफ़ बाक़री
born.1944
अबुल्हसन अल-बकरी
लेखक
ग़ज़नफर अली बाक़री
मोहम्मद रज़ा बाक़री
संपादक
विजय प्रकाश बैरी
पर्काशक
जी. ए. बाक़री
सय्यद मोहम्मद असकरी बाक़री
तक़ी शाइर बाक़री
सय्यद मोहम्मद मासूम बक्करी
मतबा गुलशन-ए-बाक़री, लखनऊ
बैरी एण्ड रोक्लिफ़, लन्दन
अली इब्नुल-हुसैन बाक़री
जार्ज बैकर
बैकरी में नौकरी करनी पड़ीवो सिवाए केक कुछ खाता नहीं
लेकिन मुसीबत ये है कि निकल जाने से पहले इनके अलावा हर एक को ख़बर हो जाती थी। वो जब मिलाप या प्रताप के दफ़्तर से खूँटी से अपना कोट लटका कर सिगरेट लेने के बाहर निकले और बर्मा पहुंच गए तो उनका यही ख़याल था कि किसी को ख़बर...
जज़्बों के बैरी वक़्त की साज़िश न हो कोईतुम्हारे इस तरह हर लम्हा याद आने से
गिलहरी, साँप, बकरी और चीता साथ होते हैंसुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है
खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिएसवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझ को
बैकरीبیکری
bakery
Tareekh-e-Sind
भारत का इतिहास
शेर और बकरी
किश्वर नाहीद
कहानियाँ
Tareekh-e-Masumi
ख़राशें
मुस्तलहात-ए-उर्दू
लतीफ़े
Tareekh-e-Masoomi
नॉन-फ़िक्शन
Mukhtasar Janab-e-Rasool-e-Arabi (S.W.)
जीवनी
Aks-e-Fikr
शाइरी
Talash-e-Aagahi
Monograph
Taak Jhank
अफ़साना
Inqalab-e-Hind Ki Yadgar
Maktab-e-Tashayyo
सय्यद अली इब्न-उल-हसन बाक़री
Kalam-e-Shair
Qissa Futooh-ul-Yaman
इतिहास
एक बकरी के मिम्याने की आवाज़और धुँदलाई हुई शाम के बे-नूर अँधेरे साए
अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने देतेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
मियाँ नूरी के वकील साहब का हश्र इस से भी बदतर हुआ। वकील ज़मीन पर या ताक़ पर तो नहीं बैठ सकता। उसकी पोज़ीशन का लिहाज़ तो करना ही होगा। दीवार में दो खूँटियाँ गाड़ी गईं। उन पर चीड़ का एक पुराना पटरा रक्खा गया। पटरे पर सुर्ख़ रंग का...
सौगंधी साड़ी का एक किनारा अपनी उंगली पर लपेटती हुई आगे बढ़ी और मोटर के दरवाज़े के पास खड़ी हो गई। सेठ साहिब ने बैट्री उसके चेहरे के पास रौशन की। एक लम्हे के लिए उस रौशनी ने सौगंधी की ख़ुमार आलूद आँखों में चकाचौंद पैदा की। बटन दबाने की...
इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ परमेरी शह-रग पे मिरी माँ की दुआ रक्खी थी
हर रोज़ तीसरे पहर गाँव का एक कबाबी सर पर अपने सामान का टोकरा उठाए आ जाता और ख़्वाँचा वाली बुढ़िया के पास ज़मीन पर चूल्हा बना, कबाब, कलेजी, दिल और गुर्दे सीखों पर चढ़ा, बस्ती वालों के हाथ बेचता। एक भटयारी ने जो ये हाल देखा तो अपने मियाँ...
भेड़िया गुर्ग और बकरी गोसपंदमेश का है नाम भेड़ ऐ ख़ुद-पसंद
इलम-उल-हैवानात के प्रोफ़ेसरों से पूछा, सलोत्रियों से दिरयाफ़्त किया, ख़ुद सर खपाते रहे लेकिन कभी समझ में न आया कि आख़िर कुत्तों का फ़ायदा क्या है? गाय को लीजिए, दूध देती है, बकरी को लीजिए, दूध देती है और मेंगनियाँ भी। ये कुत्ते क्या करते हैं? कहने लगे कि, “कुत्ता...
मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और हैमुझे जिस ने बकरी बना दिया वो तो भेड़िया कोई और है
धुआँ बना के फ़ज़ा में उड़ा दिया मुझ कोमैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझ को
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