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नज़्म
ये मेरी ग़ज़लें ये मेरी नज़्में
सुख़न-शनासों को मेरा तर्ज़-ए-अमल न भाए
तिरी मोहब्बत का दर्द हो जिस ग़ज़ल में शामिल
क़तील शिफ़ाई
कहानी
हिजाब इम्तियाज़ अली
ग़ज़ल
मेरी पर्वाज़ किसी को नहीं भाती तो न भाए
क्या करूँ ज़ेहन 'मुज़फ़्फ़र' मिरा जिब्रीली है
मुज़फ़्फ़र वारसी
नज़्म
इक बेवफ़ा के नाम
खो जाएँ तेरे हुस्न की रानाइयाँ तमाम
तेरी अदा किसी को न भाए ख़ुदा करे