aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "रवानगी"
नय्यर रानी शफ़क़
born.1967
शायर
ज़हीर रानी बनोरी
हसन रिवानी
लेखक
रानी सिंह
योगदानकर्ता
रानी नज़ीर
मिसिज़. रानी कपूर
पर्काशक
रानी किताब घर, दिल्ली
रफ़ीक़ रिवानी
रागी अकबराबादी
रानी भटयाणी ट्रस्ट, बाडमेर, राजस्थान
रानी चंद
ज़किया रानी
संपादक
रानी एण्ड जुगनू सिंह
रहानी इशात घर, मुल्तान
आशा रानी लखोटिया
बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल कासो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
ये किताबें कुछ ऐसी दिलचस्प थीं कि मैं रात रात भर अपने बिस्तर में दुबुक कर उन्हें पढ़ा करता और सुब्ह देर तक सोया रहता, अम्माँ मेरे इस रवैय्ये से सख़्त नालाँ थीं, अब्बा जी को मेरी सेहत बर्बाद होने का ख़तरा लाहक़ था लेकिन मैंने उनको बता दिया था...
मिर्ज़ा ने हमारा शुक्रिया अदा किया और चलते चलते फिर ताकीद की, “क्रिकेट मत देखो, क्रिकेट की स्प्रिट देखो।” हम ये बताना भूल ही गए कि रवाना होने से क़ब्ल मिर्ज़ा ने अपने बैट पर जुमला तमाशाइयों के दस्तख़त लिये। एक ख़ातून ने (जो किसी तरफ़ से अनपढ़ मालूम नहीं...
बिठा के रिक्शे में कल शब रवाना करते हुएदिया जो मैं ने किराया तो बाप रोने लगा
अगले रोज़ मेरी रवानगी थी। पाल और गौतमा मुझे रुख़्सत करने आए। गाड़ी चलने लगी। पाल ने सिगरेट एक तरफ़ फेंक कर कहा,"मेरा मिस्री सिगरेट केस मत भूलना। " और गौतमा की सोगवार आँखों ने कहा,"मुझे मत भूलना। " और मैंने कहा, "मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा। " और गाड़ी...
शायर,पत्रकार और गीतकार। ग़ुलाम बेगम बादशाह और झाँसी की रानी जैसी फ़िल्मों के संवाद लेखक
मीर तक़ी मीर 18 वीं सदी के आधुनिक उर्दू शायर थे। उर्दू भाषा को बनाने और सजाने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। ख़ुदा-ए-सुख़न के रूप में प्रख्यात, मीर ने अपने बारे में कहा था 'मीर' दरिया है सुने शेर ज़बानी उसकी अल्लाह अल्लाह रे तबीअत की रवानी उसकी। रेख़्ता उनके के 20 लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा पढ़े गए शेर आपके सामने पेश कर रहा है। इन शेरों का चुनाव आसान नहीं था। हम जानते हैं कि अब भी मीर के कई अच्छे शेर इस सूची में नहीं हैं। इस सिलसिले में नीचे दिए गए टिप्पणी बॉक्स में आपके पसंदीदा शेर का स्वागत है। अगर हमारे संपादक मंडल को आप का भेजा हुआ शेर पसंद आता है तो हम इसको नई सूची में शामिल करेंगे।उम्मीद है कि आपको हमारी ये कोशिश पसंद आई होगी और आप इस सूची को संवारने और आरास्ता करने में हमारी मदद करेंगें ।
सफ़र दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बिखरी ज़िन्दगी को समझने का वसीला है और ज़िन्दगी की रवानी का इस्तिआरा भी। शायरों ने सफ़र की मुश्किलों और इस से हासिल होने वाली ख़ुशियों का अलग-अलग ढंग से इज़हार किया है। यह शायरी ज़िन्दगी के मुश्किल लम्हों में हौसले का ज़रिया भी हैं। आइये निकलते है सफ़र शायरी के दिलचस्प सफ़र पर रेख़्ता के साथ।
रवानगीروانگی
departure
प्रस्थान, प्रयाण, कूच, प्रेषण, भेजना।।
झांसी की रानी
नियाज़ फ़तेहपुरी
नाटक / ड्रामा
रानी केतकी की कहानी
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
दास्तान
अरबों की जहाज़ रानी
सय्यद सुलैमान नदवी
रूठी रानी
प्रेमचंद
सामाजिक
रानी केतकी और कुँवर उदय भान
कि़स्सा / दास्तान
Kunwari Khushboo
नॉवेल / उपन्यास
Shor Hai Gali Gali
Mashooqa
Ab Rat Guzarne Wali Hai
Siyahkaar
Bijli
Call Girl
Miss Bel Batam
रोमांटिक
रूप की रानी चोरों का राजा
फ़िल्मी-नग़्मे
रात रानी
सरदार सलीम
काव्य संग्रह
ये सुन कर मुमताज़ बिल्कुल ख़ामोश होगया और उसकी ये ख़ामोश तक़रीबन आठ रोज़ तक क़ायम रही और उस वक़्त टूटी जब उसने अचानक हमें बताया कि वो पौने चार बजे समुंदरी जहाज़ से कराची जा रहा है। हम तीनों में से किसी ने उसके इस इरादे के मुतअल्लिक़ बातचीत...
रवानगी में समय का ख़याल करते हैंफिर उस को भेज के पहरों मलाल करते हैं
ट्रेन की रवानगी पर जब मैंने शहाब से ये कहा था, “वो तो पागल है, अच्छा ख़ुदा हाफ़िज़।” तो शायद इस शरीफ़ आदमी ने ये ख़याल कर लिया था कि मैंने उसी को पागल कहा है... मैं खिलखिला कर हंस पड़ा और निहायत मोअद्दबाना लहजे में कहा, “आपको ग़लत फ़हमी...
“तुम्हारे लिए एक कैडीलैक आई है”, रोज़ा ने अंदर आकर इत्तिला दी। “कैडीलैक...? उफ़्फ़ोह…”, कोरस हुआ। “तुम्हारे लिए ऐसी-ऐसी जग़ादरी मोटरें आती हैं कि हम लोगों की रौ'ब के मारे बिल्कुल घिग्घी बंध जाती है।”, बर्नाडा ने ख़ुश-दिली से इज़ाफ़ा किया। मैंने लड़कियों को ख़ुदा-हाफ़िज़ कहा और अपना सफ़री बैग...
बारात की रवानगीवो नौशा मियाँ पहने गोटे का हार
उसी बरस एक मर्तबा फिर मेरे बदन में ख़ेमा-ज़न आवारगी के शैतान ने मुझे वरग़लाया, मेरे पाँव को बग़ावत पर आमादा किया। दीवानगी-ए-सफ़र के मौसमों ने मुझे अपनी लपेट में ले लिया और मैं अपने चार चफ़ेरे से नाता तोड़ कर घर से निकल खड़ा हुआ। वस्त एशिया और यूरोप...
शायर मज़कूर की रवानगी के बाद सामईन उस शायरा की फ़र्माइश करते हैं जो ज़र के बॉर्डर की रेशमी साड़ी में मलफ़ूफ़ डाइस पर कुछ इस तरह बैठी होती है कि साफ़ मालूम होता है कि उन्हें किसी पहलू क़रार नहीं आरहा है। यहां अनाउंसर बकमाल होशियारी, सुलह जुई से...
ये मुअम्मर औरत सोचा करती थी कि "मेरे बालों को सफ़ेद करने वाले, मेरे दाँतों को गिराने वाले, मेरे चेहरे को ख़राब करने वाले, ये मर्द ही तो हैं, इनके ज़ुल्म ही तो हैं, अपनी औलाद को इन मुसीबतों से बचाऊँगी, इसीलिए मैं इस लड़की को इस जज़ीरे में लाई...
रुके भी हैं तो दोबारा रवानगी के लिएचले भी हैं तो कहीं राह में ठहर गए हैं
उसे परमिट सिस्टम की सितम ज़रीफ़ी से भी ताबीर किया जा सकता है। वैसे मैं उसे इत्तेफ़ाक़ ही कहूँगा कि वहाँ से मेरी रवानगी ठीक यक्म मुहर्रम को हुई। ये पिछले साल की बात है। पिछले साल चांद २९ का हुआ था। २९को सारे दिन फूफीजान और शमीम इमाम बाड़े...
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