aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "लूटने"
एस-एल-लूने
लेखक
बड़े वो आए दिल ओ जाँ के लूटने वालेनज़र से छेड़ दिया गुदगुदा के लूट लिया
न क्यूँ अंजाम-ए-उल्फ़त देख कर आँसू निकल आएँजहाँ को लूटने वाले ख़ुद अपना घर लुटा बैठे
सुख-चैन मिरा लूटने वाले आ किसी दिनमुझ को भी चुरा ले मिरी नींदों की तरह तू
आपका बाबू गोपी नाथ बज़ाहिर बुद्धू था लेकिन दर-असल बहुत होशियार और बाख़बर आदमी था। मेरा सादिक़ अंदर बाहर से बिल्कुल एक जैसा था। वो बुद्धू था न चालाक... दरमियाने दर्जे की अक़्ल-ओ-फ़हम का आदमी था। अपने कामों में आठों गांठ होशियार। हसब का पक्का। लेकिन दीन के मुआमले में...
किस ने वफ़ा का हम को वफ़ा से दिया जवाबइस रास्ते में लूटने वाले ही सब मिले
सफ़र में रहबर का किरदार हमेशा मशकूक रहा है। क़ाफ़िले के लुटने के पीछे रहबर की दग़ाबाज़ियाँ तसव्वुर की गई हैं। शायरों ने इस मज़मून को एक वसी-तर इस्तिआराती सतह पर बरता है और नए नए पहलू तलाश किए हैं। ये शायरी नई हैरतों के साथ नए हौसले पैदा करती है। एक इंतिख़ाब हाज़िर है।
Mustavi Ilm-e-Musallas
भौतिक विज्ञान
“और उस दूनी से हम एक सालिम सिगरेट ख़रीद सकेंगे जो आज सिर्फ़ एक आने में मिल जाती है।” जुमला मुकम्मल करते ही मिर्ज़ा ने अपना जलता हुआ असा ज़मीन पर दे मारा। चंद लम्हों बाद जब धुएं के बादल छटे तो मिर्ज़ा के इशारे पर एक बैरा प्लेट में...
ये नीम जाँ जो बे मिर्च मसाले के रातिब को ‘इंग्लिश फ़ूड’ कह कर सब्र-ओ-शुक्र के साथ खा रहा है, ये वही चटोरा है जो चार महीने पहले ये बता सकता था कि सुबह सात बजे से लेकर रात के नौ बजे तक कराची में किस ‘स्वीट मर्चेंट’ की कढ़ाई...
मुख़्तसर ये कि सब कुछ मिल-जुल कर मुशायरा लूटने में मदद देता था। एक नुमाइश के मुशायरे में तो तमग़ा तक दिया गया था। अख़बारों में तस्वीरें छापी गईं। रिसालों के एडिटरों ने बड़ी मिन्नत के ख़ुतूत लिखे कि मैं अपना ताज़ा कलाम भेजूँ। बेशुमार रिसाले और अख़बार मुफ़्त आने...
जिन्हों ने लूटा था मौला हुसैन का लाशाउन्हीं सिनाँ से रिदा लूटने की ख़्वाहिश थी
इस वाक़ए के चंद रोज़ बाद मैं और मिर्ज़ा बिर्जीस क़द्र शहर के एक बड़े सिनेमा में एक देसी फ़िल्म देख रहे थे। फ़िल्म बहुत घटिया थी, उसमें बड़े नुक़्स थे मगर हीरोइन में बड़ी चनक मनक थी और गाती भी ख़ूब थी। उसने फ़िल्म के बहुत से उयूब पर...
वो अपने को टटोलने लगी, “ख़ुश क़िस्मत!... मैं ख़ुश क़िस्मत, वो कैसे? आपको कैसे मालूम हुआ?” मैंने जवाब दिया, “जब पतंग कट जाये और कोठों पर चढ़े हुए लौंडे डोर लूटने के लिए शोर मचाना शुरू कर दें तो किसी के बताने की हाजत नहीं रहती कि पतंग कट गया...
’इस किरदार निगारी की ज़रूरत नहीं? अच्छा मैं अपना बयान जारी रखता हूँ... तुम वो अफ़राद हो जो अपने और अजनबियों के दरमियान कोई तमीज़ नहीं करते। तुम आज़ाद हो। अब यहां दो फ़रीक़ तुम्हारे रू-ब-रू खड़े हैं। एक शिकायत करता है। 'मुझे उसने लूट कर बर्बाद कर दिया है।'...
आँख पहचानती है लूटने वालों को मगरकौन पूछेगा मिरी बे-सर-ओ-सामानी से
“लो बेटी... तैयार हो जाओ सब... अब मैं अपनी छोकरी की लूट मचाऊँगी... इस त्यौहार में ये रस्म भी अ'जीब होती है। जिसकी लड़की बहुत जवान और शादी के क़ाबिल हो जाए, वो उसकी लूट मचाती है। ताई अम्माँ की तरह कोई बूढ़ी सुहागन उठ कर गिरी, छुहारे, बेर और...
"नहीं, मुझे कुछ नहीं हुआ।" उसने कहा,"बचपन ही से मेरी हालत कभी-कभी ऐसी होजाया करती है। मगर चंद ही दिनों में आपही आप ठीक हो जाती हूँ।" दिन पर दिन गुज़रते गए मगर उसकी हालत में फ़र्क़ न आया। इस दौरान उसका जी चाहा कि वो चौधरी से सारा हाल...
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