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ग़ज़ल
अरिनी ओ लन-तरानी का सब राज़ खुल गया
क्या नश्शा-ए-ग़रीब है शर्ब-उल-यहूद में
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
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ग़ज़ल
बज़्म-ए-तरब वक़्त-ए-ऐश साक़ी ओ नक़्ल ओ शराब
कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बस-कि तेरे हिज्र में है ना-गवारा अक्ल-ओ-शर्ब
दिल ब-जुज़ ख़ून-ए-जिगर ऐ जान कुछ खाता नहीं
वलीउल्लाह मुहिब
रेखाचित्र
सय्यद ज़मीर जाफ़री
ग़ज़ल
हुदूद-ए-अक्ल-ओ-शर्ब का सवाल ही नहीं रहा
दिलों में ख़ौफ़-ए-रब्ब-ए-ज़ुल-जलाल ही नहीं रहा
शाद आरफ़ी
ग़ज़ल
वस्ल-ए-बुत-ए-महरु है शर्ब-ए-मय-ए-गुलगूँ है
फिर और इनायात-ए-यज़्दाँ किसे कहते हैं
वज़ीर अली सबा लखनवी
ग़ज़ल
नक़्स ये वज़्अ का हो जाएगा दाग़-ए-इस्मत
क्यूँ वो शब-गर्द हुआ माह-ए-तमाम-ए-मख़्सूस