aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सुधारने"
हिन्दू समाज सुधार कार्यालय, लखनऊ
पर्काशक
जीवन सुधार पब्लिकेशन्स, बिजनौर, उ. प्र.
उससे तफ्सील-ए-इ’ल्म का जो एक वलवला सा हमारे दिल में उठ रहा था, वह कुछ बैठ सा गया। हमने सोचा यह मामूँ लोग अपनी सर-परस्ती के ज़अ’म में वालदैन से भी ज़्यादा एहतियात बरतेंगें, जिसका नतीजा यह होगा कि हमारे दिमाग़ी और रूहानी क़वा को फलने फूलने का मौक़ा न...
कॉलेज में फ़य्याज़ का तीसरा साल था कि अचानक बाप का इंतक़ाल हो गया। माँ उससे एक बरस पहले ही सुधार चुकी थी। चुनाँचे अब फ़य्याज़ आज़ाद था। मगर ये आज़ादी अपने साथ कई ज़िम्मेदारियाँ ले कर आई थी। सबसे अहम मसलअ' अपनी और असग़री की, जो एक बच्ची की...
“शाहरुख आपा, अखंड भारतीय घास्य गेंद बल्ला भिड़ंत...” उ’स्मान ने चायदानी मेरी तरफ़ धकेलते हुए चुपके से कहा। मुझे और सबीहा को ज़ोर की हंसी आगई। अमीना आपा ने उ’स्मान की बात सुनकर हमें हंसते हुए देख लिया था। उन्होंने हम पर खा जाने वाली नज़रें डालीं और चाय बनाने...
“ख़ुश हो रही हूँ... माँ।” माँ राज़दारी से मेरे पास आकर बैठ गई और बैठी हुई आवाज़ में बोली, “मैनेजर की बीवी बोली मेरी बहन का बेटा है। पढ़ा लिखा तो नहीं है, पर जायदाद का अकेला वारिस है। हम तो जायदाद का नफिसा भी मुँह से नहीं ले सकते,...
कई दिन से वो घर में दाल सब्ज़ी दे रहा था। गोश्त ख़रीदने के लिए पैसे नहीं बचे थे। राशन भी ख़त्म होने लगा... आटा ख़त्म हुआ, चावल, फिर चीनी और नमक मिर्च भी। जब सब ख़त्म हो गया तब उसे फ़िक्र हुई... बीवी रोज़ दाल और सब्ज़ी देख के...
अहमद फ़राज़ पिछली सदी के प्रख्यात शायरों में शुमार किए जाते हैं। अपने समकालीन में बेहद सादा और अद्वितीय शैली की वजह से उनकी शायरी ख़ास अहमियत की हामिल है। रेख़्ता फ़राज़ के 20 लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा पढ़े गए शेर पेश कर रहा है जिसने पाठकों पर जादू ही नहीं किया बल्कि उनके दिलों को मोह लिया । इन शेरों का चुनाव बहुत आसान नहीं था। हम जानते हैं कि अब भी फ़राज़ के बहुत से लोकप्रिय शेर इस सूची में नहीं हैं। इस सिलसिले में आपकी राय का स्वागत है। अगर हमारे संपादक मंडल को आप का भेजा हुआ शेर पसंद आता है तो हम इसको नई सूची में शामिल करेंगे।उम्मीद है कि आपको हमारी ये कोशिश पसंद आई होगी और आप इस सूची को संवारने और आरास्ता करने में हमारी मदद करेंगें ।
शायर और रचनाकारों की कल्पना-शक्ति ने बदन की साधारण और सामान्य क्रियाओं को भी हुस्न के दिलचस्प आख्यान में रूपांतरित कर दिया है । असल में अंगड़ाई बदन की साधारण और सामान्य क्रियाओं में से एक है लेकिन शायरों ने अलग से इसके सौन्दर्यशास्त्र की पूरी किताब लिख दी है और अपने ज़हन की ज़रख़ेज़ी और उर्वरता का अदभूत एवं अद्भुत सबूत दिया है । अंगड़ाई के संदर्भ में उर्दू शायरी के कुछ हिस्से तो ऐसे हैं कि मानोअंगड़ाई ही हुस्न की पूरी तस्वीर हो । अपने महबूब की अंगड़ाई का नज़ारा और उसकी तस्वीर बनाती हुई चुनिंदा शायरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ।
मीर तक़ी मीर 18 वीं सदी के आधुनिक उर्दू शायर थे। उर्दू भाषा को बनाने और सजाने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। ख़ुदा-ए-सुख़न के रूप में प्रख्यात, मीर ने अपने बारे में कहा था 'मीर' दरिया है सुने शेर ज़बानी उसकी अल्लाह अल्लाह रे तबीअत की रवानी उसकी। रेख़्ता उनके के 20 लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा पढ़े गए शेर आपके सामने पेश कर रहा है। इन शेरों का चुनाव आसान नहीं था। हम जानते हैं कि अब भी मीर के कई अच्छे शेर इस सूची में नहीं हैं। इस सिलसिले में नीचे दिए गए टिप्पणी बॉक्स में आपके पसंदीदा शेर का स्वागत है। अगर हमारे संपादक मंडल को आप का भेजा हुआ शेर पसंद आता है तो हम इसको नई सूची में शामिल करेंगे।उम्मीद है कि आपको हमारी ये कोशिश पसंद आई होगी और आप इस सूची को संवारने और आरास्ता करने में हमारी मदद करेंगें ।
सुधारनेسدھارنے
reform
Shumara Number-000
जमिय्यते-इत्तिहाद इमदादे-बाहमी, हैदराबाद
गाँव सुधार
सपन सुहाने
फ़िल्मी-नग़्मे
ख़्वाब सुहाने किस के
फ़रखंदा शमीम
महिलाओं की रचनाएँ
Shumara Number-011
मोहम्मद कलीमुल्लाह
Aug 1944गाँव सुधार
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Jun 1943गाँव सुधार
Shumara Number-005
Feb 1945गाँव सुधार
Shumara Number-004
मोहम्मद अब्दुल क़वी
Jun 1941गाँव सुधार
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May 1944गाँव सुधार
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Jul 1943गाँव सुधार
Jan 1944गाँव सुधार
Shumara Number-012
Dec 1943गाँव सुधार
Jul 1941गाँव सुधार
Shumara Number-006
Mar 1944गाँव सुधार
Shumara Number-002
Nov 1944गाँव सुधार
Jan 1945गाँव सुधार
जिस समाज में मुहब्बत करना जुर्म हो, वहाँ क़हबाख़ाने खोलना कोई जुर्म नहीं। तवायफ़ों के लाइसेंसों से जो रक़म वसूल की जाती है, वो अख़लाक़ सुधारने वाली सभाओं पर ख़र्च की जाती है।...
असग़र अपनी कॉलेज की ज़िंदगी की सब बातें नसीमा को लिखा रहता और जब वो अख़बार में उसका नाम देखती तो नसीमा का सर ग़ुरूर से ऊँचा हो जाता। उसकी किसी सहेली का भाई या मंगेतर ऐसा देश-भग्त नहीं था। नसीमा ने भी अपने को एक नई ज़िंदगी के लिए...
लहू से वक़्त की ज़ुल्फ़ें सँवारने वालासर-ए-सिनाँ है ख़ुदा को पुकारने वाला
औरतें फ़तह करने के इस शौक़ की इब्तिदा अहद-ए-शबाब में एक मफ़्तूहा मर्द से मिलने के बाद हुई। वो मर्द एक नौजवान था और उन दिनों किसी पालतू वफ़ादार की तरह एक लड़की के पीछे दुम हिलाता फिर रहा था। मैं उसके क़रीब तो चला जाता था लेकिन नज़दीक नहीं...
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने मेंकि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
अशआ'र मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैंकुछ शेर फ़क़त उन को सुनाने के लिए हैं
तेरी बातें ही सुनाने आएदोस्त भी दिल ही दुखाने आए
फ़ुग़ाँ ऐ दुश्मन-ए-दार-ए-दिल-ओ-जाँमिरी हालत सुधारी जा रही है
जो दिल से कहा है जो दिल से सुना हैसब उन को सुनाने के दिन आ रहे हैं
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