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ग़ज़ल
बड़े शौक़ से मिरा घर जला कोई आँच तुझ पे न आएगी
ये ज़बाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
जब सूरज भी खो जाएगा और चाँद कहीं सो जाएगा
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा