aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".tuy"
कृष्ण कुमार तूर
born.1933
शायर
अतीया परवीन बिलग्रामी
लेखक
मकतब-उल-बुशरा, कराची
पर्काशक
इदारा-तुल-मुसन्निफ़ीन, झंग
अंजुमन एआनतुल अन्सार, फ़तेहपुर, यू.पी.
तूव पब्लिकेशन, महाराष्ट्र
मकतबा-तुस-शर्क, कराची
इदारतुल कुरआन, लखनऊ
अल-मतबातुल-कौसर, आज़मगढ़
फ़ैज-उल-हसन तूर
मतबा तुत बूदहनी प्रेस, बरेली
मजलिस-ए-बरकात अल-जामितुल अशरफया, आजमगढ़
इस्ती तू यूनिवर सितारियो
मतबा शोला-ए-तूर, कानपुर
मकतबतुस सलाम, लाहौर
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रखतू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
ऐ मिरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़तू नहाती है अब भी बान में क्या
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँगमैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसादोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैंतुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
मोहब्बत पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से मोहब्बत में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें मोहब्बत के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और मोहब्बत करने वालों के बीच साझा कीजिए.
सूफ़ीवाद ने उर्दू शायरी को कई तरह से विस्तार दिया है और प्रेम के रंगों को सूफ़ीयाना-इश्क़ के संदर्भों में स्थापित किया है। असल में इशक़ में फ़ना का तसव्वुर, इशक़-ए-हक़ीक़ी से ही आया है। इसके अलावा हमारे जीवन की स्थिरता, हमारी सहिष्णुता और मज़हबी कट्टरपन की जगह सहनशीलता का परिचय आदि ने सूफ़ीवाद के माध्यम से भी उर्दू शायरी को माला-माल किया है। दिलचस्प बात ये है कि तसव्वुफ़ ने जीवन के हर विषय को प्रभावित किया जिसके माध्यम से शायरों ने कला की अस्मिता को क़ायम किया। आधुनिक युग के अंधकार में सूफ़ीवाद से प्रेरित शायरी का महत्व और बढ़ जाता है।
कृष्ण का काव्यात्मक रूप समय-समय पर कई कवियों को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | इनमें सूरदास, मीराबाई और विद्यापति अहम् नामों में हैं | शायरी की इस परम्परा को उर्दू शायरों ने भी बख़ूबी निभाया है | मिसाल के तौर पर यहाँ चुनिन्दा उर्दू नज़्में दी जा रही हैं |
''तोए'''ط
equivalent to T
अभी तुम इश्क़ में हो
पंकज सुबीर
संकलन
घुंगरू टूट गए
क़तील शिफ़ाई
आत्मकथा
Aur Talwar Toot Gayi
नसीम हिजाज़ी
जीवनीपरक
Aks-e-Lala-e-Toor
अल्लामा इक़बाल
शायरी
Ghazalan Tum To Waqif Ho
अदा जाफ़री
नज़्म
हामिज़ुल असनान
मोहम्मद इफ्तिखार-उल-हक़
शोध / समीक्षा
Mukashafa-tul-Quloob Urdu
इमाम मोहम्मद ग़ज़ाली
अनुवाद
Khazeezna-tul-Atibba
इल्मुद्दीन भागवालिया
औषधि
Babar Nama
मोहम्मद क़ासिम सिद्दीक़ी
शख़्सियत
शहर मेरे साथ चल तू
निदा फ़ाज़ली
काव्य संग्रह
Tazkira-tus-Saadat
महबूब शाह
इस्लामिक इतिहास
Mohabbat Ho Gai Tum Se
सईद वासिक़
Tum Udas Mat Hona
नज़ीर तबस्सुम
Tum Ko Dekhein
हरचरन चावला
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैंतुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुमतुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों कावो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
जान तुम पर निसार करता हूँमैं नहीं जानता दुआ क्या है
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरातिरे सामने आसमाँ और भी हैं
का'बा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'शर्म तुम को मगर नहीं आती
हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिनख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक
तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझेमेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
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