आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "balaa-e-saaz-o-saamaanii"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "balaa-e-saaz-o-saamaanii"
ग़ज़ल
हदीस-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-शम्-ओ-परवाना नहीं कहते
हम अपना हाल-ए-दिल कहते हैं अफ़्साना नहीं कहते
फ़िगार उन्नावी
शेर
मिरी ज़िंदगी का महवर यही सोज़-ओ-साज़-ए-हस्ती
कभी जज़्ब-ए-वालहाना कभी ज़ब्त-ए-आरिफ़ाना
फ़ारूक़ बाँसपारी
ग़ज़ल
दिल आया इस तरह आख़िर फ़रेब-ए-साज़-ओ-सामाँ में
उलझ कर जैसे रह जाए कोई ख़्वाब-ए-परेशाँ में
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "balaa-e-saaz-o-saamaanii"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "balaa-e-saaz-o-saamaanii"
नज़्म
इंक़लाब
न एशिया में न यूरोप में सोज़-ओ-साज़-ए-हयात
ख़ुदी की मौत है ये और वो ज़मीर की मौत
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जद्दाई
वो सोज़-ओ-साज़-ए-मोहब्बत वो पुर-फ़ुसूँ रातें
वो हल्का हल्का तरन्नुम वो जाँ-फ़ज़ा बातें
सिद्दीक़ कलीम
ग़ज़ल
ये फ़ज़ा-ए-साज़-ओ-मुज़रिब ये हुजूम-ताज-ए-दाराँ
चलो आओ हम भी निकलें ब-लिबास-ए-सोगवाराँ
अज़ीज़ हामिद मदनी
शेर
लम्स-ए-सदा-ए-साज़ ने ज़ख़्म निहाल कर दिए
ये तो वही हुनर है जो दस्त-ए-तबीब-ए-जाँ में था