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नज़्म
बंजारा-नामा
जब चलते चलते रस्ते में ये गौन तिरी रह जावेगी
इक बधिया तेरी मिट्टी पर फिर घास न चरने आवेगी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
अब और तब
ज़मीं पर लेक्चरर कुछ तैरते फिरते नज़र आए
और उन की ''गाऊन'' से कंधों पे दो शहपर नज़र आए
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
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हिंदी ग़ज़ल
सब रंग उड़े हैं तन-मन के किस मुँह से गाऊँ फाग सखी
मैं तोसे पीर कहूँ मन की मैं साजन पायो घाग सखी
आशु झा 'नक़्क़ाश'
ग़ज़ल
चाँद ही तारों की झुरमुट में ज़रा देख ऐ दिल
गौन में शोख़-ए-नसारा की ये बू ताम नहीं
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं देखना उन्हें ग़ौर से
जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई कि ये रास्ता कोई और है
सलीम कौसर
ग़ज़ल
निगाह-ए-बादा-गूँ यूँ तो तिरी बातों का क्या कहना
तिरी हर बात लेकिन एहतियातन छान लेते हैं