aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ghulam-abbas"
मोहसिन नक़वी
1947 - 1996
शायर
ग़ुलाम अब्बास
1909 - 1982
लेखक
अब्बास इराक़ी
कमाल लखनवी
born.1929
ग़ुलाम अब्बस माहू
मिर्ज़ा ग़ुलाम अब्बास ज़ाहिर हैदरी
1905 - 1978
ग़ुलाम अब्बास
कलाकार
डॉ. गुलाम अब्बास तौसिली
ग़ुलाम अब्बास दलाल
गुलाम अब्बास खान
मोहम्मद अब्बास इबन-ए-गु़लाम अली चिशती देहलवी
अनुवादक
सहर इंदौरी
काविश अब्बासी
born.1953
बलदिया का इजलास ज़ोरों पर था। हाल खचाखच भरा हुआ था और खिलाफ़-ए-मा’मूल एक मेम्बर भी ग़ैर-हाज़िर न था। बलदिया के ज़ेर-ए-बहस मस्अला ये था कि ज़नान-बाज़ारी को शह्र बदर कर दिया जाए क्योंकि उनका वुजूद इन्सानियत, शराफ़त और तहज़ीब के दामन पर बदनुमा दाग़ है। बलदिया के एक भारी...
शहर से कोई डेढ़ दो मील के फ़ासले पर पर फ़िज़ा बाग़ों और फुलवारियों में घिरी हुई क़रीब क़रीब एक ही वज़ा की बनी हुई इमारतों का एक सिलसिला है जो दूर तक फैलता चला गया है। इमारतों में कई छोटे बड़े दफ़्तर हैं जिनमें कम-ओ-बेश चार हज़ार आदमी काम...
पुलिस ने ऐसी होशियारी से छापा मारा था कि उनमें से एक भी बच कर नहीं निकल सका था और फिर जाता तो कहाँ, बैठक का एक ही ज़ीना था जिस पर पुलिस के सिपाहियों ने पहले ही क़ब्ज़ा जमा लिया था। रही खिड़की, अगर कोई मनचला जान की परवाना...
جب سے سرکار نے لوگوں کو مکانات تعمیر کرانے کے لیے زمینیں الاٹ کرنی شروع کی ہیں، اس شہر کی کایا ہی پلٹ گئی ہے۔ آس پاس کے وہ علاقے جو میلوں تک ویران پڑے تھے ، اب ان میں جگہ جگہ کھدائیاں ہو رہی ہیں۔ ان گنت راج مزدور،...
ये उस ज़माने की बात है जब मेरी उम्र बस कोई तेरह-चौदह बरस की थी। हम जिस महल्ले में रहते थे वो शहर के एक बा-रौनक बाज़ार के पिछवाड़े वाक़े था। उस जगह ज़्यादा-तर दरमयाने तबक़े के लोग या ग़रीब-ग़ुरबा ही आबाद थे। अलबत्ता एक पुरानी हवेली वहाँ ऐसी थी...
Kulliyat-e-Ghulam Abbas
अफ़साना
Jade Ki Chandni
धनक
पाठ्य पुस्तक
Ghulam Abbas Ke Pandara Afsane
ज़ुल्फ़िक़ार अहसन
Aanandi
Zindagi Naqab Chehre
Al-Hamra
Chand Tara
नज़्म
Char Chhote Natak
Mohabbat Roti Hai
नॉवेल / उपन्यास
Jila Watan
कहानी
Nisbaten
ग़ज़ल
जज़ीरा सुख़नवराँ
Chand Ki Beti Aur Dusri Japani Kahaniyan
जज़ीरा-ए-सुख़नवरान
دن بھر جیسے جیسے سائے گھٹتے بڑھتے اور زاویے بدلتے رہتے، سبحان کی دکان بھی جگہیں بدلتی رہتی۔ صبح کو سورج نکلنے سے پہلے ہی وہ اپنا ٹھیلہ وکیل صاحب کے مکان کے سامنے سڑک کے اس کنارے لا کھڑا کرتا۔ اس طرف کوئی عمارت نہ تھی۔ زمین بھوبھل کی...
पहले-पहल जब उसे मालूम हुआ कि उसकी बीवी भाग गई तो वो भौचक्का सा रह गया। शादी का पहला ही साल और ऐसी अनहोनी सी बात किसी तरह यक़ीं करने को जी नहीं चाहता था। मगर जब बार-बार उसके कमरे में जाकर उसकी चीज़ों को गुम पाया। यहाँ तक कि...
इस पहाड़ी पर वो फ़क़त दो ही घर थे। मकान तो अस्ल में एक ही था। मगर बा'द में इसके मालिक ने इसके बीचों-बीच लकड़ी की एक पतली सी दीवार खड़ी करके उसे दो हिस्सों में तक़सीम कर दिया था। और अब इसमें अलग अलग दो ख़ानदान रहते थे। पहाड़ों...
मिर्ज़ा बिर्जीस क़द्र को में एक अर्से से जानता हूँ। हर-चंद हमारी तबीअतों और हमारी समाजी हैसियतों में बड़ा फ़र्क़ था। फिर भी हम दोनों दोस्त थे। मिर्ज़ा का तअल्लुक़ एक ऐसे घराने से था जो किसी ज़माने में बहुत मुअज्ज़िज़ और मुतमव्विल समझा जाता था मगर अब उसकी हालत...
अल्लाह के कुछ बंदे ऐसे भी हैं जिनके लिए सौम-ओ-सलात का पाबंद होना ही काफ़ी नहीं होता बल्कि वो अपने मज़हबी वलवलों की तसकीन के लिए इससे कहीं सिवा चाहते हैं। उनकी तमन्ना होती है कि जिस नूर से उनका सीना रौशन है उसकी किरन दूसरों तक भी पहुँचे। वो...
اس شام میں دفتر سے تھکا ہارا گھر پہنچا ہی تھا کہ میری بیوی نے بڑے تشویش کے لہجہ میں مجھ سے کہا، ’’ابھی ابھی نانا جان کے ہاں سے پیغام آیا ہے۔ سرفراز ماموں کی حالت یک لخت بہت بگڑ گئی ہے۔ امید نہیں وہ آج کی رات بھی...
سیٹھ چھنامل کا منیم چیلا رام صبح سے دوپہر کے بارہ بجے تک کوٹھی میں بہی کھاتے اور لکھنے پڑھنے کا کام کیا کرتا۔ اس کے بعد وہ رقمیں اگاہنے چلا جاتا۔ جون کی ایک دوپہر کو وہ اپنا کپڑے کا تھیلا لئے، جس میں وہ کاغذات وغیرہ رکھا کرتا...
जनवरी की एक शाम को एक ख़ुशपोश नौजवान डेविस रोड से गुज़र कर माल रोड पर पहुँचा और चेरिंग क्रास का रुख़ कर के ख़रामाँ ख़रामाँ पटरी पर चलने लगा। ये नौजवान अपनी तराश ख़राश से ख़ासा फ़ैशनेबल मालूम होता था। लंबी लंबी क़लमें, चमकते हुए बाल, बारीक बारीक मूंछें...
بادشاہ اپنی حسین و جواں سال ملکہ کو دیوانہ وار چاہتا تھا۔ ملکہ دل ہی دل میں اس کی الفت پر ناز کرتی، مگر فطرتاً وہ عورتوں کے اس غیور و خود سر طبقہ میں سے تھی جو دنیا میں کسی کو اپنی کمزوری سے باخبر کرنا اور اپنے تئیں...
محبت کا جذبہ پہلے پہل انسان کے دل میں کب بیدار ہوتا ہے، اس کے لیے عمر کی کوئی قید نہیں۔ بعض لوگ لڑکپن ہی سےعاشق مزاج ہوتے ہیں اور بعض بلوغت کو پہنچ کے بھی اس جذبے سے بے بہرہ ہی رہتے ہیں۔ میری عمر کوئی نو دس برس...
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