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शेर
अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न
भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
ज़रा सी बात
ज़िंदगी के मैले में ख़्वाहिशों के रेले में
तुम से क्या कहें जानाँ इस क़दर झमेले में
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
चर्ख़-ए-कज-रफ़्तार है फिर माइल-ए-जौर-ओ-सितम
बिजलियाँ शाहिद हैं ख़िर्मन को जलाने के लिए
सय्यद सादिक़ हुसैन
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नज़्म
जुगनू
घुला घुला सा फ़लक है धुआँ धुआँ सी है शाम
है झुटपुटा कि कोई अज़दहा है माइल-ए-ख़्वाब
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
बरसात की बहारें
मैले कुचैले कपड़े आँखें भी डबडबाई
ने घर में झूला डाला ने ओढ़नी रंगाई
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
करिश्मे हैं कि नक़्काश-ए-अज़ल नैरंगियाँ तेरी
जहाँ में माइल-ए-रंग-ए-फ़ना हर नक़्श-ए-हस्ती है
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न
भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का