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शेर
चाहने वालो प्यार में थोड़ी आज़ादी भी लाज़िम है
देखो मेरा फूल ज़ियादा देख-भाल से टूट गया
मुकेश आलम
ग़ज़ल
मिरी आँखों में जब भी तेरे मंज़र बैठ जाते हैं
तो इन ख़ाली सफ़ीनों में समुंदर बैठ जाते हैं
मुकेश आलम
ग़ज़ल
आँख में तेरा अक्स तिरे ही एक ख़याल से टूट गया
झील का चाँद तो मछली की हल्की सी चाल से टूट गया
मुकेश आलम
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ग़ज़ल
आसाँ रस्तों में ऐसे भी जान के लाले पड़ जाते हैं
चलते चलते अपने जूतों से भी छाले पड़ जाते हैं