aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tavaalat"
एजाज़ तवक्कल
born.1962
शायर
माह तलअत ज़ाहिदी
1953 - 2020
तलअत ज़हरा
लेखक
नूरैन तलअत अरूबा
born.1957
तलत परवीन
born.1978
तलअत नूरैन
born.1964
बृजेस तलअत निज़ामी
1935 - 2011
तलअत सिद्दीक़ी नह्टोरी
तलअत सलीम
तलअत महमूद
1924 - 1998
कलाकार
तलअत फ़राज़
तलअत इरफ़ानी
तलअत इशारत
तलअत अज़ीज़
born.1956
मोहम्मद तलत हरब मिसरी
रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैंचले तो उस को ज़माने ठहर के देखते हैं
आई-डी जब से मिली है मुझे हम-साई कीअच्छी लगती है तवालत शब-ए-तन्हाई की
इन दूरियों ने और बढ़ा दी हैं क़ुर्बतेंसब फ़ासले वबा की तवालत से मिट गए
अपनी चादर की तवालत देख कर पाँव पसारबोझ सर पर लादने से क़ब्ल सर को देख ले
उलझता हूँ मसाफ़त की तवालत से मैं जितनामसाफ़त को मैं उतना ही ज़ियादा कर रहा हूँ
तवालतطوالت
length, prolixity
लम्बाई, दीर्घता, आयाम, विलम्ब, ढील, देर, बखेड़ा, झंझट, दर्दैसर, मुद्दत की लम्बाई ।
तावीलातتاویلات
interpretation
Nazeer Akbarabadi Ki Nazm Nigari
सय्यद तलअत हुसैन नक़वी
नज़्म तन्क़ीद
Taleemi Nafsiyat
नज़ीर अकबराबादी के कलाम का तन्क़ीदी मुतला
शायरी तन्क़ीद
Barqi Tawanai
अंजुम इक़बाल
विज्ञान
Jauhari Tawanai
एम. एच. मसऊद बट्ट
Urdu Mein Reportage Ki Riwayat
तलअत गुल
आलोचना
Hindustan Ki Halat
ओ. सिडनी
इतिहास
Tabaqat-e Nasiri Ya Tareekh-e-Iran-o-Islam
मिनहाज सिराज
इस्लामिक इतिहास
तज़्किरा-तुस-सलात
सयय्द मक़सूद अली राफ़े
मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन
Tabaqat
एहसान दानिश
Tabaqat us Sufiya
अबू अब्दुर्रहमान सलमा
Farsi Ki Pahli Kitab
रशीद अहमद तलअत
Hasrat Mohani
तलअत सुल्ताना
जीवनी
Yunus Imriya
तलअत सईद हिल्मान
Shakh-e-Ghazal
ग़ज़ल
इल्म था ग़ार की तवालत कासर्फ़ की रौशनी बचत के साथ
कहानी दर-कहानी दर-कहानीमैं क़िस्से में तवालत चाहता हूँ
मिरा क़िस्सा निहायत मुख़्तसर हैकहानी को तवालत दे रहा हूँ
ख़िज़र से हम भी मिला कर क़दम चले थे मगरमसाफ़तों की तवालत से साँस फूल गए
शब-ए-ग़म की तवालत से न घबराना 'फ़रह' आख़िरये सूरज ढल भी जाए तो इसे फिर से निकलना था
कहानी की कहानी हो गया हूँतवालत में मिसाली हो गया हूँ
'जावेद' अजब अहबाब तिरे करते हैं ये ज़ाएअ' वक़्त तिराहैं इल्म से कोसों दूर मगर फिर भी है तवालत बातों में
वो एक इस्म-ए-तवालत जो शब की काट सकेवो इस्म आलम-ए-वहशत में मुझ को याद भी था
अब हम पे जो आई तो किसी तौर न गुज़रीसुनते थे शब-ए-ग़म की तवालत है सहर तक
नाज़ करता था तवालत पे कि वक़्त-ए-रुख़्सतभेद साए पे खुला शाम की अय्यारी का
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