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नज़्म
इबलीस की मजलिस-ए-शूरा
फ़ितना-ए-फ़र्दा की हैबत का ये आलम है कि आज
काँपते हैं कोहसार-ओ-मुर्ग़-ज़ार-ओ-जूएबार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा
सिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब साज़-ए-अज़ल की फ़ुग़ाँ
जिस से दिखाती है ज़ात ज़ेर-ओ-बम-ए-मुम्किनात
अल्लामा इक़बाल
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नज़्म
नई तहज़ीब
किसी को इस तग़य्युर का न हिस होगा न ग़म होगा
हुए जिस साज़ से पैदा उसी के ज़ेर-ओ-बम होंगे
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
रात आख़िर हुई और बज़्म हुई ज़ेर-ओ-ज़बर
अब न देखोगे कभी लुत्फ़-ए-शबाना हरगिज़
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
अपनी मल्का-ए-सुख़न से
दरिया का मोड़ नग़्मा-ए-शीरीं का ज़ेर-ओ-बम
चादर शब-ए-नुजूम की शबनम का रख़्त-ए-नम
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
इश्क़ से पैदा नवा-ए-ज़िंदगी में ज़ेर-ओ-बम
इश्क़ से मिट्टी की तस्वीरों में सोज़-ए-दम-ब-दम
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
साबिर ज़फ़र
ग़ज़ल
ज़ेर-ओ-बम से साज़-ए-ख़िलक़त के जहाँ बनता गया
ये ज़मीं बनती गई ये आसमाँ बनता गया