aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Showing search results for "नाराज़गी"
Matba Narayani, Delhi
Publisher
Narayni Gupta
Author
bahut naaraaz hai vo aur use ham se shikaayat haiki is naaraazgii kii bhii shikaayat kyuu.n nahii.n karte
mai.n kal se naaraaz huu.n qasam se aur ek kone me.n jaa pa.Dii huu.nhaa.n mai.n Galat huu.n dikhaa.o phir bhii tumhii jhukaa.o mujhe manaa.o
जानवरों में गधा सबसे बेवक़ूफ़ समझा जाता है। जब हम किसी शख़्स को परले दर्जे का अहमक़ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं। गधा वाक़ई बेवक़ूफ़ है। या उसकी सादा-लौही और इंतिहा दर्जा की क़ुव्वत-ए-बर्दाशत ने उसे ये ख़िताब दिलवाया है, इसका तस्फ़िया नहीं हो सकता। गाय शरीफ़ जानवर है। मगर सींग मारती है। कुत्ता भी ग़रीब जानवर है लेकिन कभी-कभी उसे ग़ुस्सा भी आ जात...
अम्माँ ने क़दरे तल्ख़ी से कहा, "तू मुझ से पूछ तो लेता। बेशक आफ़ताब उनसे पढ़ता रहा है और उनकी बहुत इज़्ज़त करता है मगर तेरे अब्बा जी उनसे बोलते नहीं हैं। किसी बात पर झगड़ा हो गया था सो अब तक नाराज़गी चली आती है। अगर उन्हें पता चल गया कि तू उनके हाँ गया था तो वो ख़फ़ा होंगे, फिर अम्माँ ने हमदर्द बन कर कहा, "अपने अब्बा से इसका ज़िक्र न करना।"मैं अब्बा जी से भला इसका ज़िक्र क्यूँ करता, मगर सच्ची बात तो ये है कि मैं दाऊ जी के हाँ जाता रहा और ख़ूब ख़ूब उनसे मोतबरी की बातें करता रहा।
apnii qismat me.n likhii thii dhuup kii naaraazgiisaaya-e-diivaar thaa lekin pas-e-diivaar thaa
Sulking is a dear and a lovable aspect of love that makes life romantic and worth living. Poetry is full of ideas around the experience of sulking. Urdu poetry has capitalised on this experience in a major way. Some examples would be of great interest to you.
A teacher is not just the one who imparts knowledge; he also symbolises an institution. Along with the taught, the teacher creates a complex of meaning which makes life and living meaningful. Some verses on teacher will bring you close to a variety of ideas that define life and the purpose of our living.
नाराज़गीناراضگی
dissatisfaction
Hindustan Sarzameen Aur Awam
History
duniyaa na jiit paa.o to haaro na aap kotho.Dii bahut to zehn me.n naaraazgii rahe
“आपको मेरी नाराज़गी का कोई ख़याल नहीं।”“मैं सबसे पहले अपने आपको नाराज़ नहीं करना चाहता... अगर मैं आपकी हंसी की तारीफ़ न करूं तो मेरा ज़ौक़ मुझ से नाराज़ हो जाएगा... ये ज़ौक़ मुझे बहुत अज़ीज़ है!”
मैं स्टेशन तक उसके साथ गया। ब्लैक मार्किट से टिकट ख़रीद कर उसे गाड़ी पर बिठाया और घर चला आया। अ’ज़ीज़ को हल्का हल्का बुख़ार था। हम दोनों देर तक बातें करते रहे लेकिन जानकी का ज़िक्र न आया।तीसरे रोज़ सुबह साढ़े पाँच बजे के क़रीब मुझे बाहर का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। इसके बाद जानकी की । लफ़्ज़ों को ऊपर तले करती हुई वो अ’ज़ीज़ से पूछ रही थी कि उस की तबीयत अब कैसी है और क्या उसकी ग़ैर-मौजूदगी में उसने बाक़ायदा दवा पी थी या नहीं। अ’ज़ीज़ की आवाज़ मेरे कानों तक न पहुंची लेकिन आध घंटे बाद जब कि नींद से मेरी आँखें मुंद रही थीं, अ’ज़ीज़ की ख़फ़गी आमेज़ बातों का दबा दबा शोर सुनाई दिया। समझ में तो कुछ न आया लेकिन इतना पता चल गया कि वो जानकी से अपनी नाराज़गी का इज़हार कर रहा था।
एक बार वह भी बिगड़े, सेठ जी गर्म हो पड़े। सेठानी जी जज़्बे के मारे घर से निकल पड़ीं, सवाल-ओ-जवाब होने लगे। ख़ूब मुबाहिसा हुआ, मुजादिला की नौबत आ पहुंची, सेठ जी ने घर में घुस कर किवाड़ बंद कर लिये। गाँव के कई मुअज़्ज़िज़ आदमी जमा हो गए। दोनों फ़रीक़ को समझाया। सेठ जी को दिलासा देकर घर से निकाला और सलाह दी कि आपस में सर फुटव्वल से काम न चलेगा। इस से क्या फ़ायद...
zaraa sii baat pe naaraazgii agar hai yahiito phir nibhegii kahaa.n dostii agar hai yahii
उनका एक नवासा था, माँ उसकी बेवा थी और उसका एक ही लड़का था। इकलौता लड़का बड़ा लाडला होता है। उस पर एक आफ़त ये थी कि सिरा की बीमारी में मुब्तला था, इसलिए हर तरह उसकी ख़ातिर और रज़ाजूई मंज़ूर थी। वो मौलाना को बहुत दिक़ करता मगर वो उफ़ तक न करते। वो एंडे बेंडे सवालात करता। ये बड़े तहम्मुल से जवाब देते। वो फ़ुज़ूल फ़रमाइशें करता, ये उसकी तामील करते। वो ख़फ़ा होता और ...
नाराज़गी की लहर बढ़ती ही चली गई। यहाँ तक कि एक शाम जब फ़य्याज़ दफ़्तर से घर आ रहा था तो गली के मोड़ पर उसकी मुठभेड़ महल्ले की बड़ी मस्जिद के इमाम साहब से हुई।"अस्सलाम अलैकुम!" इमाम साहब ने मुसाफ़ाह करने के बाद सीने पर हाथ रखा। और यूँ गोया हुए, "बिरादर! मैं कई दिन से आपसे मिलना चाहता था। वो बात ये है कि आपको मौसीक़ी से अज़हद लगाव पैदा हो गया है। हर-चंद इस्लाम में ख़ुश-आवाज़ी और लह्न को बड़ा दर्जा हासिल है। मगर असतग़फ़िरुल्लाह। ये ख़ुराफ़ात जो दिन-रात आपके घर पर होती रहती हैं, इनकी तो किसी सूरत में भी इजाज़त नहीं है, बिला-शक आप अपने फे़'ल के ख़ुद-मुख़्तार हैं और रब-उल-इज़्ज़त के सामने आप अपने आ'माल के ख़ुद जवाब-दाह होंगे मगर ये मसअला सिर्फ़ आप ही की ज़ात तक महदूद नहीं है। बल्कि पूरे महल्ले पर आपकी इन ख़ुराफ़ात का निहायत क़बीह असर पड़ रहा है। मैं उम्मीद करता हूँ कि जनाब ठंडे दिल से मेरी इस गुज़ारिश पर ग़ौर फ़रमाएँगे और इन लग़वियात से जल्द छुटकारा हासिल कर लेंगे। बस मुझे यही कहना था।"
"मुझे ख़ौफ़ है तुम्हारे मुँह से कोई ऐसा कलमा न निकल जाये जो महाराज की नाराज़गी का बाइस हो।"जय कृष्ण ने उन्हें यक़ीन दिलाया कि इसकी जानिब से कोई ऐसी हरकत सरज़द न होगी मगर उसे क्या ख़बर थी कि आज के महाराज साहब वो नहीं हैं जो आज से एक साल क़ब्ल थे। मुम्किन है पॉलिटिकल एजेंट के रुख़्सत हो जाने के बाद हो जाएं। उनके लिए आज़ादी और इन्क़लाब की गुफ़्तगू भी इसी तरह तफ़रीह का बाइस थी जैसे क़त्ल और डाका की वारदातें या बाज़ार-ए-हुस्न की दिल-आवेज़ ख़बरें। इसलिए जब उसने महाराज की ख़िदमत में इत्तिला कराई तो मालूम हुआ कि उनकी तबीयत इस वक़्त नासाज़ है लेकिन वो लौट ही रहा था कि महाराज को ख़याल आया, शायद उससे फ़िल्मी दुनिया की ताज़ा ख़बरें मालूम हो जाएं। उसे बुला लिया और मुस्कराकर बोले, "तुम ख़ूब आए, भई कहो तुमने एम.सी.सी. का मैच देखा या नहीं। मैं तो उन परेशानियों में कुछ ऐसा गिरफ़्तार हुआ कि हिल न सका। अब तो यही दुआ कर रहां हूँ कि किसी तरह एजेंट साहब ख़ुश ख़ुश रुख़्सत हो जाएं। मैंने जो तक़रीर तैयार करवाई है वो ज़रा तुम भी देख लो। मैंने उन क़ौमी तहरीकों की ख़ूब ख़बर ली है और हरिजन तहरीक के भी छींटे उड़ा दिये हैं।"
इस जज़ीरे में बसने वालों में तवह्हुम परस्ती आम है। इनकी रसमें अजीब हैं। ये तूफ़ानों को ख़ुदा की नाराज़गी तसव्वुर करते हैं और जानवरों और अनाज को समुंदर में फेंक कर ख़ुदा को भेंट देते हैं। वबाई अमराज़ की सूरत में मछलियाँ धागे में गूँध कर गले में पहन लेते हैं। गीतों की देवी को रक़्स-ओ-सुरूद से मनाते हैं। पूर्णमाशी की रात को शादियाँ करते हैं और बहुत से...
jiyaa huu.n umr bhar mai.n bhii akelaause bhii kyaa milaa naaraazgii se
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